शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर इन दिनों राज्य संग्रहालय और भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. इस प्रदर्शनी में कुल्लू शॉल, चंबा रुमाल, किन्नौर शॉल और वुडन क्राफ्ट के स्टॉल लगाए गए हैं. इस सबके बीच यहां बुद्धिस्म (Buddhism) को दर्शाने वाली थांका पेंटिंग (Thangka Painting) हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींच रही है. यहां एक थांका पेंटिंग का दाम एक लाख रुपये है. अब कोई यह पेंटिंग खरीद सके या नहीं, लेकिन इस पेंटिंग को देखने जरूर पहुंच रहा है. शहर भर में इस पेंटिंग के चर्चे हैं. (Himachal Pradesh Thangka Painting) (thangka painting in shimla)
पेंटिंग में एक लाख रुपये की क्यों है?: थांका पेंटिंग को बेहद खास माना जाता है. इस एक लाख रुपये की पेंटिंग के बॉर्डर पर 24 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा पेंटिंग बनाने में तिब्बत से आने वाले स्टोन पाउडर भी प्रयोग में लाया गया है. इस थांका पेंटिंग को बनाने में 11 दिन से ज्यादा का समय लगा है. थांका पेंटिंग को बनाते वक्त बेहद बारीकी से काम किया जाता है. इस पेंटिंग में जब भगवान बुध का मुंह बनाया जाता है, तो पवित्रता का भी खास ध्यान रखना होता है.
लोग पेंटिंग को कर रहे पसंद: थांका पेंटिंग के स्टॉल संचालक सोनम ने बताया कि शिमला में लोग पेंटिंग को लेकर उत्साहित नजर आ रहे हैं. लोग न केवल एक लाख रुपये वाली पेंटिंग के बारे में पूछते हैं बल्कि थांका आर्ट के बारे में भी जानकारी लेते हैं. उन्होंने कहा कि भारत-तिब्बत का संबंध बेहद पुराना और आत्मीयता से भरा है. ऐसे में जब लोग उत्सुकता से पेंटिंग के बारे में पूछते हैं, तो वे खुद भी प्रसन्न चित्त महसूस करते हैं.
क्या होता है थांका आर्ट?: थांका चित्रकला भारतीय, नेपाली और तिब्बती संस्कृति की अनुकाम मिसाल है. इसके जरिए तिब्बती धर्म, संस्कृति और दार्शनिक मूल्यों को अभिव्यक्त किया जाता रहा है. थांका पेंटिंग सामान्यत: सूती वस्त्र के धुले हुए काटल पर किया जाता है. थांका बनाने के लिए एक वस्त्र का उपयोग किया जाता है. वस्त्र के बीच में प्रमुख देव-देवी या गुरु का चित्र होता है और उनके चारों तरफ उनसे संबंधित चीजों को दर्शाया जाता है. थांका आर्ट अब पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है.
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