शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से रविवार को एबीवीपी के 10 छात्रों का निष्कासन वापस ले लिया गया है. एबीवीपी के विरोध के आगे विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो दिन में ही घुटने टेक दिए और छात्रों का निष्कासन वापस ले लिया. निष्कासन की सूचना एचपीयू कुलसचिव की ओर से जारी कि गई है. एबीवीपी के कार्यकर्ता पिछले दो दिनों से छात्रों के निष्कासन को लेकर एचपीयू के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे थे.
बताया जा रहा है कि एबीवीपी के छात्रों ने एचपीयू प्रशासन को चेताया था कि अगर छात्रों का निष्कासन वापस नहीं लिया गया तो वह स्थापना दिवस में आने वाले अतिथियों के सामने अपनी मागों को लेकर प्रदर्शन करेंगे. ऐसे में प्रशासन ने तुंरत छात्रों का निष्कासन वापस ले लिया है. जिसकी बड़ी वजह एचपीयू का स्थापना दिवस बताया जा रहा हैं जो 22 जुलाई को आता है.
बता दें कि 12 जुलाई को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने रूसा के छठे सेमेस्टर के आधे-अधूरे घोषित परिणाम और रूसा के तहत दूसरे और चौथे सेमेस्टर के रिअपीयर के रिजल्ट घोषित न करने के विरोध में कुलपति कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया था. एचपीयू कैंपस में किसी भी तरह के प्रदर्शन की अनुमति नहीं है. जिसका एबीवीपी के छात्रों ने उल्लंघन किया था, जिसके तहत 9 एबीवीपी से संबंधित और एक आउटसाइडर छात्र के एचपीयू कैंपस में प्रवेश पर बैन लगाया गया था.
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वहीं एसएफआई ने विश्वविद्यालय के इस फैसले का स्वागत किया है लेकिन वहीं दूसरी ओर उन्होंने इसे विश्वविद्यालय के प्रशासन व कुलपति का दोहरा चरित्र भी बताया है. एसएफआई के कैंपस अध्यक्ष विक्रम का आरोप है कि एक तरफ प्रबंधन ने एबीवीपी के छात्रों का निष्कासन दो दिन में वापस लिया और पिछले 5 सालों से एसएफआई के 7 छात्र नेता निष्कासित हैं उनका निष्कासन प्रशासन ने आज तक वापस नहीं लिया है. इससे साफ जाहिर होता है कि प्रदेश सरकार व कुलपति एबीवीपी पर किस कदर मेहरबान हैं. एसएफआई ने कुलपति व प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह छात्रों के साथ विचारधारा के आधार पर भेदभाव ना करें और सभी छात्रों को समान नजर से देखे क्योंकि वह सिर्फ एबीवीपी के नहीं बल्कि पूरे छात्र समुदाय का प्रशासन हैं.