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हिमाचल सचिवालय होगा पेपरलेस, 5 फरवरी को कैबिनेट बैठक से ट्रायल होगा शुरू - ई-कैबिनेट

हिमाचल विधानसभा के बाद अब राज्य सचिवालय भी पेपरलेस होगा. मंत्रिमंडल की बैठक में आने वाले प्रस्ताव विभागों को ऑनलाइन भेजने होंगे. सभी सरकारी विभागों को सामान्य प्रशासन की ओर से सूचित किया गया है कि प्रस्ताव ऑनलाइन भेजें. ई-कैबिनेट को सफल करने के लिए सभी आला अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

himachal cabinet (file)
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Published : Feb 4, 2021, 1:43 PM IST

शिमला: देश की पहली ई-विधान प्रणाली वाली हिमाचल विधानसभा के बाद अब राज्य सचिवालय भी पेपरलेस होगा. इसका शुरुआत ट्रायल 5 फरवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक से होगा. ई-कैबिनेट के लिए हिमाचल सरकार ने तैयारी कर ली है. मंत्रिमंडल की बैठक में आने वाले प्रस्ताव विभागों को ऑनलाइन भेजने होंगे. ऑनलाइन प्रस्ताव भेजने का कार्य प्रयोग के आधार पर होगा. ऐसा करने से सीधे तौर पर कागज की बचत होगी और अनावश्यक तौर पर सचिवालय के लिए वाहनों की दौड़ पर अंकुश लगेगा. सभी सरकारी विभागों को सामान्य प्रशासन की ओर से सूचित किया गया है कि प्रस्ताव ऑनलाइन भेजें.

अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण

ट्रायल को सफल बनाने के लिए ई-कैबिनेट के तहत के तहत 16 कंप्यूटर स्क्रीन लगाई गई हैं. कंप्यूटरीकृत प्रणाली से सभी सरकारी विभागों को एनआइसी ने सीधे तौर पर जोड़ दिया है. मुख्यमंत्री सहित बारह मंत्रिमंडलीय सदस्यों के अतिरिक्त मुख्य सचिव और दूसरे अधिकारी भी कंप्यूटरों पर ही मंत्रिमंडलीय बैठक से जुड़ा काम करेंगे. ई-कैबिनेट को सफल करने के लिए सभी आला अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है.

राज्य सचिवालय होगा पेपरलेस

जयराम सरकार ने राज्य सचिवालय को पेपरलेस करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया है. हिमाचल विधानसभा भी अगस्त 2014 में पेपरलेस हो गई थी. इससे हर साल 6 हजार पेड़ कटने से बचते हैं और सरकारी खजाने को सालाना 15 करोड़ रुपए का लाभ होता है. इसी तर्ज पर अब राज्य सचिवालय को भी पेपरलेस किया जा रहा है. सचिवालय के पेपरलेस होने से कई लाभ होंगे. हजारों पेड़ कटने से बचेंगे और राजस्व की भी बचत होगी. सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी. उम्मीद है इससे प्रोजेक्ट में सभी फाइलों को डिजिटाइड करने का प्रावधान है. इससे कार्यों में तेजी आएगी और कामकाज पारदर्शी होगा.

मोदी सरकार की ऑनलाइन सर्विसिज

सचिवालय का सारा रिकार्ड भी ऑनलाइन होगा. अभी देखा गया है कि विभिन्न कार्यों के लिए उच्चाधिकारी नीचे के स्टाफ पर निर्भर रहते हैं. संचार क्रांति के इस दौर में बाबूगिरी चल रही है. इससे विकास कार्यों से संबंधित फाइलों के आगे सरकने की गति कछुए समान हो जाती है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ऑनलाइन सर्विसिज को बढ़ावा देने की नीति पर जयराम सरकार भी आगे कदम बढ़ा रही है. इसी कड़ी में ये प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. हिमाचल विधानसभा में ई-विधान प्रणाली चार साल से सफलता से काम कर रही है. ई-विधान की सफलता को देखते हुए देश के कई राज्यों ने हिमाचल से अपने यहां ऐसी ही प्रणाली स्थापित करने के लिए मदद मांगी है. अब राज्य सचिवालय के पेपरलेस होने से इस पहाड़ी राज्य की उपलब्धियों में नया नगीना जुड़ेगा.

ये भी पढ़ेंः हिमाचल कैबिनेट का बड़ा फैसला, एक फरवरी से खुलेंगे स्कूल-कॉलेज

शिमला: देश की पहली ई-विधान प्रणाली वाली हिमाचल विधानसभा के बाद अब राज्य सचिवालय भी पेपरलेस होगा. इसका शुरुआत ट्रायल 5 फरवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक से होगा. ई-कैबिनेट के लिए हिमाचल सरकार ने तैयारी कर ली है. मंत्रिमंडल की बैठक में आने वाले प्रस्ताव विभागों को ऑनलाइन भेजने होंगे. ऑनलाइन प्रस्ताव भेजने का कार्य प्रयोग के आधार पर होगा. ऐसा करने से सीधे तौर पर कागज की बचत होगी और अनावश्यक तौर पर सचिवालय के लिए वाहनों की दौड़ पर अंकुश लगेगा. सभी सरकारी विभागों को सामान्य प्रशासन की ओर से सूचित किया गया है कि प्रस्ताव ऑनलाइन भेजें.

अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण

ट्रायल को सफल बनाने के लिए ई-कैबिनेट के तहत के तहत 16 कंप्यूटर स्क्रीन लगाई गई हैं. कंप्यूटरीकृत प्रणाली से सभी सरकारी विभागों को एनआइसी ने सीधे तौर पर जोड़ दिया है. मुख्यमंत्री सहित बारह मंत्रिमंडलीय सदस्यों के अतिरिक्त मुख्य सचिव और दूसरे अधिकारी भी कंप्यूटरों पर ही मंत्रिमंडलीय बैठक से जुड़ा काम करेंगे. ई-कैबिनेट को सफल करने के लिए सभी आला अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है.

राज्य सचिवालय होगा पेपरलेस

जयराम सरकार ने राज्य सचिवालय को पेपरलेस करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया है. हिमाचल विधानसभा भी अगस्त 2014 में पेपरलेस हो गई थी. इससे हर साल 6 हजार पेड़ कटने से बचते हैं और सरकारी खजाने को सालाना 15 करोड़ रुपए का लाभ होता है. इसी तर्ज पर अब राज्य सचिवालय को भी पेपरलेस किया जा रहा है. सचिवालय के पेपरलेस होने से कई लाभ होंगे. हजारों पेड़ कटने से बचेंगे और राजस्व की भी बचत होगी. सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी. उम्मीद है इससे प्रोजेक्ट में सभी फाइलों को डिजिटाइड करने का प्रावधान है. इससे कार्यों में तेजी आएगी और कामकाज पारदर्शी होगा.

मोदी सरकार की ऑनलाइन सर्विसिज

सचिवालय का सारा रिकार्ड भी ऑनलाइन होगा. अभी देखा गया है कि विभिन्न कार्यों के लिए उच्चाधिकारी नीचे के स्टाफ पर निर्भर रहते हैं. संचार क्रांति के इस दौर में बाबूगिरी चल रही है. इससे विकास कार्यों से संबंधित फाइलों के आगे सरकने की गति कछुए समान हो जाती है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ऑनलाइन सर्विसिज को बढ़ावा देने की नीति पर जयराम सरकार भी आगे कदम बढ़ा रही है. इसी कड़ी में ये प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. हिमाचल विधानसभा में ई-विधान प्रणाली चार साल से सफलता से काम कर रही है. ई-विधान की सफलता को देखते हुए देश के कई राज्यों ने हिमाचल से अपने यहां ऐसी ही प्रणाली स्थापित करने के लिए मदद मांगी है. अब राज्य सचिवालय के पेपरलेस होने से इस पहाड़ी राज्य की उपलब्धियों में नया नगीना जुड़ेगा.

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