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Himachal Pradesh High Court: रोहड़ू अस्पताल में खाली पद न भरने को लेकर हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती, सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश - शिमला न्यूज

हाईकोर्ट ने सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े पदों को भरने में देरी पर सख्ती दिखाते हुए सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं. बता दें कि रोहड़ू अस्पताल में स्टाफ नर्सेज के 33 पद भरे जाने हैं. पढ़ें पूरी खबर..

High Court Order on vacant posts in Rohru Hospital
रोहड़ू अस्पताल में खाली पद न भरने को लेकर हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 12, 2023, 10:35 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े पद भरने में देरी पर कड़ा संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इन पदों को भरने में हो रही टालमटोल को लेकर स्वास्थ्य सचिव को अपना पक्ष स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं. रोहड़ू अस्पताल में स्टाफ नर्सेज के 33 पद भरे जाने हैं. इनमें से 13 पद लोकसेवा आयोग की तरफ से तैयार किए गए वेटिंग पैनल से भरे जाने हैं. इसके अलावा बीस पद बैचवाइज भर्ती के माध्यम से भरने हैं.

हाईकोर्ट ने हैरानी जताई कि इस मामले में सरकार ने दो महीने पहले जो बातें अदालत के समक्ष बताई थीं, अब भी वही दोहराई जा रही हैं. खंडपीठ के समक्ष सरकार ने बताया कि यह पद मार्च 2024 तक भर लिए जाएंगे. हाईकोर्ट ने सरकार की टालमटोल वाली प्रवृति पर कड़ा एतराज जताया है. अदालत ने कहा कि क्या सरकार यह जताना चाहती है कि मार्च 2024 तक संबंधित क्षेत्र में कोई बीमार ही नहीं पड़ेगा अथवा जो बीमार है, उनका मर्ज मार्च तक टल जाएगा?

उल्लेखनीय है कि एक मीडिया रिपोर्ट में रोहड़ू अस्पताल में खाली पदों के कारण आ रही परेशानी का ब्यौरा दिया गया था. मामले को जनहित का मानते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि सिविल अस्पताल रोहड़ू में स्टाफ नर्सेज के खाली पदों को कितने समय में भरा जाएगा. यही नहीं, अदालत ने सरकार से यह भी पूछा था कि अस्पताल में पैरा मेडिकल स्टाफ के जो खाली पद हैं, उन्हें कब तक भर दिया जाएगा.

हाईकोर्ट ने खाली पदों को लेकर स्वत संज्ञान लिया है और इस मामले में निदेशक हैल्थ व ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर रोहड़ू को भी प्रतिवादी बनाया गया है. अदालत के संज्ञान में ये तथ्य आए हैं कि स्टाफ नर्सेज व पैरामेडिकल स्टाफ के पद खाली रहने के कारण मरीजों को मरहम पट्टी जैसी छोटी मोटी स्वास्थ्य सुविधा के लिए भी परेशान होना पड़ता है. यदि उपलब्ध पैरा मेडिकल स्टाफ में से कर्मचारी अवकाश पर हों तो ड्यूटी में तैनात डॉक्टर भी मरहम पट्टी जैसा काम करते नजर आते हैं. हाईकोर्ट ने इन बातों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य सचिव से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

ये भी पढ़ें: सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती मामले में हाईकोर्ट में बदली खंडपीठ, अब 7 दिसंबर को सुनवाई करेगी नई बैंच

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े पद भरने में देरी पर कड़ा संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इन पदों को भरने में हो रही टालमटोल को लेकर स्वास्थ्य सचिव को अपना पक्ष स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं. रोहड़ू अस्पताल में स्टाफ नर्सेज के 33 पद भरे जाने हैं. इनमें से 13 पद लोकसेवा आयोग की तरफ से तैयार किए गए वेटिंग पैनल से भरे जाने हैं. इसके अलावा बीस पद बैचवाइज भर्ती के माध्यम से भरने हैं.

हाईकोर्ट ने हैरानी जताई कि इस मामले में सरकार ने दो महीने पहले जो बातें अदालत के समक्ष बताई थीं, अब भी वही दोहराई जा रही हैं. खंडपीठ के समक्ष सरकार ने बताया कि यह पद मार्च 2024 तक भर लिए जाएंगे. हाईकोर्ट ने सरकार की टालमटोल वाली प्रवृति पर कड़ा एतराज जताया है. अदालत ने कहा कि क्या सरकार यह जताना चाहती है कि मार्च 2024 तक संबंधित क्षेत्र में कोई बीमार ही नहीं पड़ेगा अथवा जो बीमार है, उनका मर्ज मार्च तक टल जाएगा?

उल्लेखनीय है कि एक मीडिया रिपोर्ट में रोहड़ू अस्पताल में खाली पदों के कारण आ रही परेशानी का ब्यौरा दिया गया था. मामले को जनहित का मानते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि सिविल अस्पताल रोहड़ू में स्टाफ नर्सेज के खाली पदों को कितने समय में भरा जाएगा. यही नहीं, अदालत ने सरकार से यह भी पूछा था कि अस्पताल में पैरा मेडिकल स्टाफ के जो खाली पद हैं, उन्हें कब तक भर दिया जाएगा.

हाईकोर्ट ने खाली पदों को लेकर स्वत संज्ञान लिया है और इस मामले में निदेशक हैल्थ व ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर रोहड़ू को भी प्रतिवादी बनाया गया है. अदालत के संज्ञान में ये तथ्य आए हैं कि स्टाफ नर्सेज व पैरामेडिकल स्टाफ के पद खाली रहने के कारण मरीजों को मरहम पट्टी जैसी छोटी मोटी स्वास्थ्य सुविधा के लिए भी परेशान होना पड़ता है. यदि उपलब्ध पैरा मेडिकल स्टाफ में से कर्मचारी अवकाश पर हों तो ड्यूटी में तैनात डॉक्टर भी मरहम पट्टी जैसा काम करते नजर आते हैं. हाईकोर्ट ने इन बातों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य सचिव से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.

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