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उद्योगपति से इंश्योरेंस क्लेम के बदले 5 लाख रिश्वत लेने के आरोपी की जमानत याचिका पर CBI को नोटिस जारी

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने परवाणू के एक उद्योगपति से इंश्योरेंस क्लेम के बदले पांच लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोपी की जमानत याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया. (hp High Court issued Notice to CBI) पढ़ें पूरा मामला...

Himachal Pradesh High Court
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Published : Jan 10, 2023, 6:34 PM IST

शिमला: परवाणू के एक उद्योगपति से इंश्योरेंस क्लेम के बदले पांच लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोपी जेके मित्तल की जमानत याचिका पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया. न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने जेके मित्तल की जमानत याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश दिए. जगदीश मित्तल पर आरोप है कि उसने सह अभियुक्त एनएस सिद्धू से मिलकर उपभोक्ता अदालत के फैसले को लागू करने और आगामी अपील न करने की एवज में 5 लाख रुपए की रिश्वत ली. (Himachal Pradesh High Court) (CBI Arrested Employees of Insurance Company)

सीबीआई के अनुसार रिश्वत लेने के पश्चात मामले में नियुक्त सर्वेयर सह अभियुक्त एनएस सिद्धू ने जेके मित्तल को रिश्वत प्राप्ति की जानकारी दी. फिर मित्तल ने ऑफिस स्टाफ को हिदायत दी कि वे शिकायतकर्ता के इंश्योरेंस की राशि का भुगतान कर दे. उल्लेखनीय है कि सीबीआई शिमला की टीम ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के महाप्रबंधक और सर्वेयर को रिश्वत के मामले में 4 जनवरी को गिरफ्तार किया था. कंपनी के महाप्रबंधक जेके मित्तल और सर्वेयर एनएस सिद्धू को सीबीआई शिमला की टीम ने चंडीगढ़ में गिरफ्तार किया था. (hp High Court issued Notice to CBI)

मामले के अनुसार 19 मई 2010 को शिकायतकर्ता के परवाणू स्थित एक उद्योग में आग लग गई थी. न्यू इंडिया कंपनी से इस निजी फैक्ट्री की इंश्योरेंस की गई थी. इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम देने से मना कर दिया था. शिकायतकर्ता ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में इसकी शिकायत की. आयोग ने शिकायत का निपटारा करते हुए इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिए कि वह शिकायतकर्ता को 44 लाख रुपए 9 फीसदी ब्याज सहित अदा करे. 7 नवंबर 2022 को पारित इन आदेशों पर 8 सप्ताह के भीतर अमल करने को कहा गया था अन्यथा उक्त राशि 12 फीसदी ब्याज सहित देने के आदेश जारी किए गए थे.

शिकायतकर्ता ने इन आदेशों के बाद सर्वेयर से बात की. आरोप है कि इंश्योरेंस कंपनी के महाप्रबंधक ने सर्वेयर के माध्यम से उद्योगपति को 44 लाख का क्लेम देने की बात पर सहमति जताई. लेकिन इस रकम के लिए उसने उद्योगपति से मामले में आगामी अपील न करने और जल्दी से क्लेम राशि का भुगतान करने की एवज में 12 लाख रिश्वत की मांग की. शिकायतकर्ता को रिश्वत की बात पसंद नहीं आई और लिखित शिकायत सीबीआई के शिमला कार्यालय में की. इसके बाद सीबीआई ने जाल बिछा कर सह आरोपी को रंगे हाथों पकड़ा. सीबीआई अदालत शिमला पहले ही दोनों आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर चुकी है.

ये भी पढ़ें: एमसी शिमला की परिधि से बाहर पेयजल कनेक्शन न देने पर हाईकोर्ट की सख्ती, सरकार व एसजेपीएल से मांगा जवाब

शिमला: परवाणू के एक उद्योगपति से इंश्योरेंस क्लेम के बदले पांच लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोपी जेके मित्तल की जमानत याचिका पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया. न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने जेके मित्तल की जमानत याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश दिए. जगदीश मित्तल पर आरोप है कि उसने सह अभियुक्त एनएस सिद्धू से मिलकर उपभोक्ता अदालत के फैसले को लागू करने और आगामी अपील न करने की एवज में 5 लाख रुपए की रिश्वत ली. (Himachal Pradesh High Court) (CBI Arrested Employees of Insurance Company)

सीबीआई के अनुसार रिश्वत लेने के पश्चात मामले में नियुक्त सर्वेयर सह अभियुक्त एनएस सिद्धू ने जेके मित्तल को रिश्वत प्राप्ति की जानकारी दी. फिर मित्तल ने ऑफिस स्टाफ को हिदायत दी कि वे शिकायतकर्ता के इंश्योरेंस की राशि का भुगतान कर दे. उल्लेखनीय है कि सीबीआई शिमला की टीम ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के महाप्रबंधक और सर्वेयर को रिश्वत के मामले में 4 जनवरी को गिरफ्तार किया था. कंपनी के महाप्रबंधक जेके मित्तल और सर्वेयर एनएस सिद्धू को सीबीआई शिमला की टीम ने चंडीगढ़ में गिरफ्तार किया था. (hp High Court issued Notice to CBI)

मामले के अनुसार 19 मई 2010 को शिकायतकर्ता के परवाणू स्थित एक उद्योग में आग लग गई थी. न्यू इंडिया कंपनी से इस निजी फैक्ट्री की इंश्योरेंस की गई थी. इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम देने से मना कर दिया था. शिकायतकर्ता ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में इसकी शिकायत की. आयोग ने शिकायत का निपटारा करते हुए इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिए कि वह शिकायतकर्ता को 44 लाख रुपए 9 फीसदी ब्याज सहित अदा करे. 7 नवंबर 2022 को पारित इन आदेशों पर 8 सप्ताह के भीतर अमल करने को कहा गया था अन्यथा उक्त राशि 12 फीसदी ब्याज सहित देने के आदेश जारी किए गए थे.

शिकायतकर्ता ने इन आदेशों के बाद सर्वेयर से बात की. आरोप है कि इंश्योरेंस कंपनी के महाप्रबंधक ने सर्वेयर के माध्यम से उद्योगपति को 44 लाख का क्लेम देने की बात पर सहमति जताई. लेकिन इस रकम के लिए उसने उद्योगपति से मामले में आगामी अपील न करने और जल्दी से क्लेम राशि का भुगतान करने की एवज में 12 लाख रिश्वत की मांग की. शिकायतकर्ता को रिश्वत की बात पसंद नहीं आई और लिखित शिकायत सीबीआई के शिमला कार्यालय में की. इसके बाद सीबीआई ने जाल बिछा कर सह आरोपी को रंगे हाथों पकड़ा. सीबीआई अदालत शिमला पहले ही दोनों आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर चुकी है.

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