शिमला: सड़क किनारे जगह घेरकर सामान बेचने वाले तहबाजारियों को हटाने के लिए एसपी शिमला को जरूरत के अनुसार फोर्स तैनाती के आदेश जारी किए गए हैं. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अतिक्रमण के मामले को लेकर जारी सुनवाई में संबंधित प्रशासन ने अदालत को बताया कि तहबाजारी इस काम में रुकावट डाल रहे हैं. इस पर हाईकोर्ट ने एसपी शिमला को उपरोक्त आदेश जारी किए. हाईकोर्ट ने शिमला नगर निगम के अफसरों द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में तहबाजारियों की तरफ से दिए जा रहे दखल को गंभीरता से लिया है. अदालत ने आदेश की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए एसपी शिमला को अतिक्रमण हटाने के दौरान पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात करने के आदेश दिए गए. हाईकोर्ट ने शिमला के एसपी और नगर निगम प्रबंधन को इस मामले में 30 मई तक स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए.
हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान तहबाजारियों व स्थानीय दुकानदारों द्वारा लोअर बाजार शिमला की मुख्य सड़क पर कब्जे के साथ-साथ शहर की मुख्य सड़कों पर किए जाने वाले कब्जों को हटाने के लिए 15 मेंबर्स वाली टास्क फोर्स गठित करने को कहा था. अदालत ने शिमला शहर व साथ लगते अन्य कस्बों की सड़कों से अतिक्रमण हटाने सहित शिमला शहर की मुख्य सड़कों पर मुफ्त पार्किंग पर लगाई रोक से जुड़े आदेश की अनुपालना संबंधी स्टेट्स रिपोर्ट भी तलब की थी. खंडपीठ ने लोअर बाजार से अतिक्रमण व ओवर हैंगिंग हटाने को लेकर दिए गए आदेशों की वर्ड टू वर्ड अनुपालना के लिए कहा था. एसपी शिमला को आदेश दिए गए थे कि वो लोअर बाजार में अतिक्रमण तथा ओवर हैंगिंग हटाने के लिए सहायता प्रदान करें. वहीं, नगर निगम शिमला की ओर से अदालत में आरोप लगाया गया कि तहबाजारी कोर्ट के आदेश पर अमल करने से उन्हें रोक रहे हैं.
दरअसल, नौ साल पहले मीडिया में खबर आई कि अतिक्रमण के कारण लोअर बाजार शिमला से एंबुलेंस को क्रॉस होने का रास्ता नहीं मिला था. हाई कोर्ट ने उस खबर पर संज्ञान लिया था. उसके बाद समय-समय पर अदालत ने नगर निगम प्रशासन व संबंधित एजेंसियों को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दे रखे हैं. अदालत अपने आदेश की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए निरंतर आदेश जारी कर रही है. हाईकोर्ट के आदेश हैं कि शिमला में किसी भी दुकानदार को नालियों के किनारों पर सामान को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं होगी.
दुकान के आगे तिरपाल भी लगाने नहीं दिया जाएगा. नगर निगम अधिनियम की धारा-227 में दिए प्रावधानों के तहत अतिक्रमणकारियों के लाइसेंस रद्द करने को भी कहा गया था. किसी भी तहबाजारी को शिमला शहर की किसी भी सड़क के आसपास व बंद दुकानों के बाहर निगम की अनुमति के बगैर बैठने पर पाबंदी लगाई गई थी. स्पेशल मैजिस्ट्रेट और निगम के अधिकारियों को एक हफ्ते में कम से कम एक बार बाजारों की सड़कों का औचक निरीक्षण करने के आदेश भी दिए गए थे. डिफॉल्टरों के बिजली व पानी के कनेक्शन काटने को भी कहा गया था. चीफ फायर ऑफिसर शिमला को महीने में एक बार औचक मॉक ड्रिल कर फायर ब्रिगेड की गाड़ी लोअर बाजार की सड़क से ले जाने को कहा गया था. अदालत ने अतिक्रमण पाए जाने पर उसी समय अवैध निर्माण तोड़ने के आदेश भी दिए थे.
नगर निगम आयुक्त और एसपी शिमला को इन आदेशों की अनुपालना का जिम्मा देते हुए अदालत ने हर तीसरे माह अपनी स्टेट्स रिपोर्ट हाई कोर्ट की रजिस्ट्री को सौंपने के आदेश भी दिए थे. यही नहीं, हाईकोर्ट ने बिना पार्किंग सर्टिफिकेट के किसी भी वाहन के पंजीकरण पर भी प्रतिबंध लगाया था. कोर्ट ने अपने उपरोक्त सभी आदेशों की अवहेलना पर कोताही बरतने वालों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने के निर्देश भी जारी कर रखे हैं. मामले पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान व्यापार मंडल शिमला की ओर से सुझाव देने के लिए एक हफ्ते के और समय की मांग की गई. खंडपीठ ने इस दौरान सरकार व नगर निगम शिमला को मामले से जुड़े अपने ताजा आदेशों की अनुपालना के आदेश जारी किए. मामले पर 30 मई को अगली सुनवाई होगी.
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