शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य बिजली बोर्ड प्रबंधन से भ्रष्टाचार के आरोपों पर दस दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है. बोर्ड के अफसरों पर भ्रष्टाचार में लिप्त होकर विभिन्न ठेकेदारों और निजी प्रतिष्ठानों को काम देने का आरोप है. इस संदर्भ में न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पांवटा साहिब निवासी चतर सिंह की तरफ से जनहित में दाखिल याचिका की सुनवाई के बाद ये आदेश जारी किए हैं.
प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि बिजली बोर्ड के कर्ताधर्ता अधिकारियों ने चुनिंदा निजी प्रतिष्ठानों को बिजली के नए मीटर लगाने और खराब हो चुके नए मीटरों को बदलने का काम देकर प्रबंधन को भारी राजस्व नुकसान पहुंचाया है. याचिका में कहा गया है कि चुनिंदा ठेकेदार इस कार्य के लिए भारी भरकम मजदूरी वसूल रहे हैं. प्रार्थी का कहना है कि वो खुद बिजली बोर्ड से रिटायर है और इस नाते बोर्ड के आला अधिकारियों की कारगुजारी से वाकिफ है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिजली बोर्ड ने 12 मार्च 2018 को नए मीटर लगाने और खराब हो चुके नए मीटरों को बदलने के लिए जो टेंडर आबंटित किए थे उसके अनुसार एक फर्म को मीटर बदलने की मजदूरी प्रति यूनिट 2360 रुपए दी जा रही है. (Himachal Pradesh High Court) (Himachal Electricity Board Management)
फर्म को फेज एक के 5200 मीटर और फेज-तीन के 546 मीटर बदलने का कार्य सौंपा गया है. इसके लिए लगभग 1 करोड़ 27 लाख रुपए का ठेका दिया गया है. यह मजदूरी किन्नौर जिले की अपेक्षा जिला सिरमौर में 200 गुणा तक दी जा रही है. एक ही कार्य के लिए किन्नौर में 212 रुपए जबकि सिरमौर में 2360 रुपए दिए जा रहे हैं. इससे उच्च स्तर पर बोर्ड के अधिकारियों की मिलीभगत व भ्रष्टाचार का पता चलता है. वहीं, सोलन जिला में विभिन्न फर्मों को इसी काम के लिए मजदूरी 441 रुपए प्रति मीटर दी जा रही है.
प्रार्थी ने याचिका में आरोप लगाया है कि पूर्व विद्युत मंत्री के ओएसडी रहे पूर्व चीफ इंजीनियर ने निजी तौर पर मैसर्ज कौशल इलेक्ट्रिकल्ज को लाभ पहुंचाने के लिए सिरमौर जिले में इतनी बड़ी राशि केवल मजदूरी की एवज में अदा करने का यह ठेका दिलवाया था. प्रार्थी ने 2008 से लेकर अब तक के ऐसे ही करोड़ों रुपए के घोटाले बताते हुए मांग उठाई है कि राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच करवाई जाए. प्रार्थी ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन करने और दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की गुहार भी लगाई है.