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Sewerage Treatment Plants में तय मापदंडों का नहीं हो रहा पालन, PCB ने दिए प्लांट अपग्रेड करने के निर्देश - हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

हिमाचल में कई जगह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स में तय मापदंडों के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ऐसे प्लांट्स का चयन कर उन्हें जल्द अपग्रेड करने के निर्देश दिए हैं. पढे़ं पूरी खबर..

sewerage treatment plants in Himachal
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Published : Feb 3, 2023, 7:55 PM IST

शिमला: हिमाचल में कई जगह एसटीपी यानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स पानी के स्रोतों के लिए प्रदूषण का खतरा पैदा कर रहे हैं. इसकी वजह यह है कि ये प्लांट तय मापदंडों के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल शक्ति विभाग और एसजेपीएनएल यानी शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड को निर्देश दिए हैं कि प्लांटों को एनजीटी के आदेशों के मुताबिक अपग्रेड करें.

हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने आज यहां कहा कि बोर्ड ने शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड यानी एसजेपीएनएल और जल शक्ति विभाग द्वारा मल उपचार संयंत्रों यानी एसटीपी में तय मापदंडों का अनुपालन नहीं करने पर कड़ा संज्ञान लिया है. उन्होंने कहा कि निर्धारित मापदंडों का अनुपालन नहीं करने से जल स्त्रोतों के प्रदूषित होने का खतरा बना हुआ है.

उन्होंने कहा कि एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुसार बद्दी के समीप सिरसा नदी, मारकण्डा नदी, ब्यास नदी, अश्वनी खड्ड, गिरी नदी और पब्बर नदी के प्रदूषित भागों का कायाकल्प करने के लिए वर्ष 2019-20 में कार्य योजना तैयार की गई थी. एसजेपीएनएल और जल शक्ति विभाग को एनजीटी के निर्देशों के अनुसार कार्यों में तेजी लाने की आवश्यकता थी.

जलशक्ति विभाग 70 और SJPNL अपग्रेड कर रहा 6 प्लांट: जल शक्ति विभाग राज्य के मुख्य शहरी क्षेत्रों के विभिन्न हिस्सों में 99.97 एमएलडी क्षमता के 70 एसटीपी का संचालन कर रहा है, इसके अलावा एसजेपीएनएल के पास 26.06 एमएलडी क्षमता के 06 एसटीपी हैं, जिन्हें स्तरोन्नत करने की आवश्यकता है. हालांकि, अश्वनी खड्ड के प्रदूषित नदी खंड का कायाकल्प नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुसार किया जा रहा है.

प्रदूषकों की सघनता को कम करने के लिए अश्विनी खड्ड के जलग्रहण क्षेत्र की जैव उपचारात्मक प्रक्रिया को भी तेज करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि बोर्ड नियमित रूप से उपचारित अपशिष्ट जल का निरीक्षण, निगरानी और सैंपल भी एकत्रित कर आवश्यकता पड़ने पर नियामक कार्रवाई करता है. संजय गुप्ता ने कहा कि इन गैर-अनुपालन वाले एसटीपी के अनुचित संचालन और कामकाज के संबंध में संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए गए हैं और प्राथमिकता के आधार पर संशोधन, उन्नयन, विस्तार और निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा गया है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा एसटीपी के संचालन में सुधार की आवश्यकता है और मल निकासी प्रबंधन प्रणाली के संवर्द्धन कार्य में तेजी लाने की जरूरत है, जो कि नदियों के पानी की गुणवत्ता और राज्य के प्राकृतिक जलीय संसाधनों को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने कहा कि जल्द ही संबंधित विभाग के साथ समीक्षा बैठक की जाएगी. बोर्ड ने प्रधान सचिव, शहरी विकास और सचिव जल शक्ति विभाग से भी इस मामले में उचित कदम उठाने का आग्रह किया है.

ये भी पढ़ें: परिवहन विभाग के इलेक्ट्रिक वाहनों को CM ने दिखाई हरी झंडी, कहा: 2025 तक पहला ग्रीन स्टेट होगा हिमाचल

शिमला: हिमाचल में कई जगह एसटीपी यानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स पानी के स्रोतों के लिए प्रदूषण का खतरा पैदा कर रहे हैं. इसकी वजह यह है कि ये प्लांट तय मापदंडों के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल शक्ति विभाग और एसजेपीएनएल यानी शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड को निर्देश दिए हैं कि प्लांटों को एनजीटी के आदेशों के मुताबिक अपग्रेड करें.

हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने आज यहां कहा कि बोर्ड ने शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड यानी एसजेपीएनएल और जल शक्ति विभाग द्वारा मल उपचार संयंत्रों यानी एसटीपी में तय मापदंडों का अनुपालन नहीं करने पर कड़ा संज्ञान लिया है. उन्होंने कहा कि निर्धारित मापदंडों का अनुपालन नहीं करने से जल स्त्रोतों के प्रदूषित होने का खतरा बना हुआ है.

उन्होंने कहा कि एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुसार बद्दी के समीप सिरसा नदी, मारकण्डा नदी, ब्यास नदी, अश्वनी खड्ड, गिरी नदी और पब्बर नदी के प्रदूषित भागों का कायाकल्प करने के लिए वर्ष 2019-20 में कार्य योजना तैयार की गई थी. एसजेपीएनएल और जल शक्ति विभाग को एनजीटी के निर्देशों के अनुसार कार्यों में तेजी लाने की आवश्यकता थी.

जलशक्ति विभाग 70 और SJPNL अपग्रेड कर रहा 6 प्लांट: जल शक्ति विभाग राज्य के मुख्य शहरी क्षेत्रों के विभिन्न हिस्सों में 99.97 एमएलडी क्षमता के 70 एसटीपी का संचालन कर रहा है, इसके अलावा एसजेपीएनएल के पास 26.06 एमएलडी क्षमता के 06 एसटीपी हैं, जिन्हें स्तरोन्नत करने की आवश्यकता है. हालांकि, अश्वनी खड्ड के प्रदूषित नदी खंड का कायाकल्प नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुसार किया जा रहा है.

प्रदूषकों की सघनता को कम करने के लिए अश्विनी खड्ड के जलग्रहण क्षेत्र की जैव उपचारात्मक प्रक्रिया को भी तेज करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि बोर्ड नियमित रूप से उपचारित अपशिष्ट जल का निरीक्षण, निगरानी और सैंपल भी एकत्रित कर आवश्यकता पड़ने पर नियामक कार्रवाई करता है. संजय गुप्ता ने कहा कि इन गैर-अनुपालन वाले एसटीपी के अनुचित संचालन और कामकाज के संबंध में संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए गए हैं और प्राथमिकता के आधार पर संशोधन, उन्नयन, विस्तार और निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कहा गया है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा एसटीपी के संचालन में सुधार की आवश्यकता है और मल निकासी प्रबंधन प्रणाली के संवर्द्धन कार्य में तेजी लाने की जरूरत है, जो कि नदियों के पानी की गुणवत्ता और राज्य के प्राकृतिक जलीय संसाधनों को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने कहा कि जल्द ही संबंधित विभाग के साथ समीक्षा बैठक की जाएगी. बोर्ड ने प्रधान सचिव, शहरी विकास और सचिव जल शक्ति विभाग से भी इस मामले में उचित कदम उठाने का आग्रह किया है.

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