शिमला: हिमाचल सरकार ने नगर निगम चुनाव में विधायकों को मतदान का अधिकार देने संबंधी निर्णय लिया है. इसे लेकर राज्य सरकार की तरफ से एक स्पष्टीकरण जारी किया गया था. ये स्पष्टीकरण मंडी व सोलन जिला के डीसी के पत्र के बाद जारी किया गया था. अब राज्य सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है. अदालत ने इस संदर्भ में दाखिल की गई चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
इस मामले में सोलन जिला के रहने वाले शैलेंद्र गुप्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती याचिका दाखिल की है. प्रार्थी ने नगर निगमों में मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव को लेकर विधायक को मिले वोट के अधिकार के खिलाफ याचिका दाखिल की है. प्रार्थी ने एक आवेदन के माध्यम से मामले में फैसला आने तक अंतरिम राहत के तौर पर विधायकों के वोटिंग राईट पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी करने का आग्रह भी किया है. हाईकोर्ट ने फिलहाल कोई अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए सरकार से प्रार्थी के इस आवेदन पर भी जवाब तलब कर लिया है.
शैलेंद्र गुप्ता ने सरकार के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें स्थानीय विधायक को मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव का अधिकार दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि सरकार के इस आदेश से मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव प्रभावित होंगे. प्रार्थी का कहना है कि सरकार की तरफ से मंडी के डीसी को भेजे गए आदेश में पूर्व में विधायक को वोट का अधिकार नहीं था. डीसी मंडी व डीसी सोलन ने 13 अक्टूबर को विधायक की वोट को लेकर सरकार से एक स्पष्टीकरण की मांग की थी.
राज्य सरकार की तरफ से दिए गए जवाब में 21 अक्टूबर को सरकार ने डीसी मंडी को भेजे पत्र में स्पष्ट किया था कि नगर निगम के मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में विधायक को वोट का अधिकार नहीं है. इसके बाद अचानक सरकार ने 23 नवंबर को जारी आदेश में विधायक को वोट का अधिकार दे दिया. सरकार ने यह फैसला उस समय लिया जब 24 नवंबर को पालमपुर व 25 नवंबर को मंडी नगर निगम में मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव होना था.
प्रार्थी ने आरोप लगाया कि सरकार ने चुनावों को प्रभावित करने के लिए ऐन मौके पर ये जनविरोधी फैसला लिया. प्रार्थी ने मुख्य सचिव सहित शहरी विभाग सचिव व निदेशक को प्रतिवादी बनाया है. कोर्ट ने इन्हे नोटिस जारी कर जवाब तलब किया. मामले पर आगामी सुनवाई अब 18 मार्च को तय की गई है.
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