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डिप्टी सीएम के आवेदन पर हिमाचल हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, सीपीएस मामले में सुनवाई 4 नवंबर को

हिमाचल हाई कोर्ट ने डिप्टी सीएम के उस आवेदन पर फैसला रिजर्व कर लिया है, जिसमें उन्होंने अपनी नियुक्ति को कानूनी तौर पर सही ठहराते हुए याचिका से नाम हटाने का आग्रह किया है. वहीं, डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्ति को लेकर मुख्य याचिका पर 4 नवंबर को सुनवाई होगी. पढ़ें पूरा मामला... (Himachal high court).

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 16, 2023, 7:41 PM IST

Himachal high court
हिमाचल हाई कोर्ट

शिमला: हिमाचल सरकार में डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्ति को लेकर मुख्य याचिका पर हाई कोर्ट अब 4 नवंबर को सुनवाई करेगा. वहीं, अदालत ने डिप्टी सीएम के उस आवेदन पर फैसला रिजर्व कर लिया है, जिसमें उन्होंने अपनी नियुक्ति को कानूनी तौर पर सही ठहराते हुए याचिका से नाम हटाने का आग्रह किया है. सोमवार को हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. खंडपीठ ने डिप्टी सीएम के आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सीपीएस के संदर्भ में 4 नवंबर को सुनवाई की तिथि तय की है.

उल्लेखनीय है कि डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. सरकार में मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाया गया है. इसके अलावा सुंदर सिंह ठाकुर, संजय अवस्थी, रामकुमार चौधरी, किशोरी लाल व मोहन लाल ब्राक्टा व आशीष बुटेल को सीपीएस के तौर पर नियुक्त किया गया है. भाजपा नेता सतपाल सिंह सत्ती व अन्यों ने इन नियुक्तियों को चुनौती दी है. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सीपीएस व डिप्टी सीएम की नियुक्ति वाले मामले में फैसला रिजर्व रख लिया था. इससे पहले डिप्टी सीएम व सीपीएस की तरफ से आग्रह किया गया था कि चुनौती देने वाली याचिका गुणवत्ताहीन यानी मेंटेनेबल नहीं है.

हाई कोर्ट ने इस संदर्भ में दाखिल याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि चुनौती देने वाली याचिका मेंटेनेबल है. उसी दौरान अदालत ने अपना फैसला भी सुरक्षित रख लिया था और सुनवाई की तारीख 16 अक्टूबर तय की थी. भाजपा नेता सतपाल सिंह सत्ती व 12 अन्य विधायकों सहित मंडी की एक महिला ने भी उपरोक्त नियुक्तियों को चुनौती दी है. इसके अलावा याचिका में उप मुख्यमंत्री को कैबिनेट मीटिंग में हिस्सा लेने से रोकने के आदेश जारी करने की मांग भी की गई है. साथ ही कहा गया है कि इसकी एवज में मिलने वाले अतिरिक्त वेतन को उनसे वसूल किया जाए.

वहीं, डिप्टी सीएम की तरफ से दाखिल आवेदन में दलील दी गई थी कि यह याचिका भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष की तरफ से दाखिल की गई है. सतपाल सिंह सत्ती की ओर से दाखिल याचिका में उनको उप मुख्यमंत्री होने के नाते प्रतिवादी बनाते हुए नियुक्ति को चुनौती दी गई है. डिप्टी सीएम के आवेदन में कहा गया है कि सात राज्यों में हिमाचल प्रदेश की तरह उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं और उन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की भी सरकार है. सर्वोच्च न्यायालय व हाई कोर्ट के निर्णयों के मुताबिक उनकी नियुक्ति कानून के दायरे में आती है. खंडपीठ ने दोनों पक्षों की ओर से हुई बहस सुनने के बाद आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. वहीं, इसी केस की मुख्य याचिका पर सुनवाई 4 नवंबर के लिए निर्धारित की है.

ये भी पढ़ें- माननीयों के खिलाफ आपराधिक केस वापस लेने का मामला, हाई कोर्ट ने तलब की आरोप पत्रों की प्रतिलिपियां

शिमला: हिमाचल सरकार में डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्ति को लेकर मुख्य याचिका पर हाई कोर्ट अब 4 नवंबर को सुनवाई करेगा. वहीं, अदालत ने डिप्टी सीएम के उस आवेदन पर फैसला रिजर्व कर लिया है, जिसमें उन्होंने अपनी नियुक्ति को कानूनी तौर पर सही ठहराते हुए याचिका से नाम हटाने का आग्रह किया है. सोमवार को हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. खंडपीठ ने डिप्टी सीएम के आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सीपीएस के संदर्भ में 4 नवंबर को सुनवाई की तिथि तय की है.

उल्लेखनीय है कि डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. सरकार में मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाया गया है. इसके अलावा सुंदर सिंह ठाकुर, संजय अवस्थी, रामकुमार चौधरी, किशोरी लाल व मोहन लाल ब्राक्टा व आशीष बुटेल को सीपीएस के तौर पर नियुक्त किया गया है. भाजपा नेता सतपाल सिंह सत्ती व अन्यों ने इन नियुक्तियों को चुनौती दी है. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सीपीएस व डिप्टी सीएम की नियुक्ति वाले मामले में फैसला रिजर्व रख लिया था. इससे पहले डिप्टी सीएम व सीपीएस की तरफ से आग्रह किया गया था कि चुनौती देने वाली याचिका गुणवत्ताहीन यानी मेंटेनेबल नहीं है.

हाई कोर्ट ने इस संदर्भ में दाखिल याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि चुनौती देने वाली याचिका मेंटेनेबल है. उसी दौरान अदालत ने अपना फैसला भी सुरक्षित रख लिया था और सुनवाई की तारीख 16 अक्टूबर तय की थी. भाजपा नेता सतपाल सिंह सत्ती व 12 अन्य विधायकों सहित मंडी की एक महिला ने भी उपरोक्त नियुक्तियों को चुनौती दी है. इसके अलावा याचिका में उप मुख्यमंत्री को कैबिनेट मीटिंग में हिस्सा लेने से रोकने के आदेश जारी करने की मांग भी की गई है. साथ ही कहा गया है कि इसकी एवज में मिलने वाले अतिरिक्त वेतन को उनसे वसूल किया जाए.

वहीं, डिप्टी सीएम की तरफ से दाखिल आवेदन में दलील दी गई थी कि यह याचिका भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष की तरफ से दाखिल की गई है. सतपाल सिंह सत्ती की ओर से दाखिल याचिका में उनको उप मुख्यमंत्री होने के नाते प्रतिवादी बनाते हुए नियुक्ति को चुनौती दी गई है. डिप्टी सीएम के आवेदन में कहा गया है कि सात राज्यों में हिमाचल प्रदेश की तरह उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं और उन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की भी सरकार है. सर्वोच्च न्यायालय व हाई कोर्ट के निर्णयों के मुताबिक उनकी नियुक्ति कानून के दायरे में आती है. खंडपीठ ने दोनों पक्षों की ओर से हुई बहस सुनने के बाद आवेदन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. वहीं, इसी केस की मुख्य याचिका पर सुनवाई 4 नवंबर के लिए निर्धारित की है.

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