शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने शनिवार को अपहरण व दुराचार के जुर्म के लिए सुनाई गई सजा को बरकरार रखते हुए निचली अदालत के फैंसले पर अपनी मोहर लगा दी. उत्तराखंड निवासी जितेंद्र सिंह उर्फ जीतू को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोलन ने सात वर्ष की कारावास व 20 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई थी. जुर्माने राशि की अदायगी न करने की सूरत में दोषी को एक वर्ष के अतिरिक्त कारावास काटने के भी आदेश दिए गए थे.
मामले के अनुसार 7 मई 2016 को दोषी नाबालिग को बहला-फुसला कर देहरादून ले गया. शादी का झांसा दिया व नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया. नाबालिग के पिता की शिकायत पर पुलिस ने दोषी को हिरासत में लिया गया. भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 366 और पोक्सो अधिनियम की धारा 4 के तहत दोषी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. जांच कार्य पूरा होने के बाद अभियोजन पक्ष ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोलन की अदालत में चालान पेश किया.
अदालत ने आरोपी को दुष्कर्म और अपहरण के जुर्म का दोषी ठहराया और उपरोक्त सजा सुनाई. इस निर्णय को दोषी ने हाईकोर्ट के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दे डाली. हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि अभियोजन पक्ष पूरे तरीके से दोषी के खिलाफ अभियोग साबित करने में सफल रहा है. अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोलन ने गवाहों के बयानों को सही तरीके से परखा है.
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