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सड़कों के किनारे अतिक्रमण पर हाई कोर्ट की सख्ती, चार सप्ताह में निपटारा करने के आदेश

सड़कों के किनारे अतिक्रमण के मामलों को समय पर न निपटाने को लेकर हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal High court) ने कड़ी नाराजगी जताई है. अदालत ने राजस्व विभाग के अफसरों को भी लताड़ लगाई है. पढे़ं पूरी खबर...

Himachal High court
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Published : Dec 2, 2022, 9:06 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (Himachal High court) ने सड़कों के किनारे अतिक्रमण के मामलों को समय पर न निपटाने को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है. अदालत ने राजस्व विभाग के अफसरों को भी लताड़ लगाई है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने संबंधित उप मंडल अधिकारियों यानी एसडीएम व राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अतिक्रमण से जुड़े मामलों का निपटारा चार हफ्तों के भीतर किया जाए.

अदालत ने ये भी कहा कि इसके अलावा अतिक्रमण को लेकर दीवानी अदालतों में जितने भी मामले लंबित पड़े हैं, उन्हें तीन महीने के भीतर निपटाया जाए. खंडपीठ ने राज्य सरकार के राजस्व अधिकारियों को लताड़ लगाते हुए कहा कि कानून की सही जानकारी न होने के कारण राजस्व अधिकारी फिजूल में ही अतिक्रमण से जुड़े मामलों को अपने पास निपटारे के लिए रख लेते हैं. ऐसे में ये मामले दशकों तक लंबित पड़े रहते हैं.

न्यायमूर्ति तरलोक चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए हैं कि वह दीवानी अदालतों और हाई कोर्ट के समक्ष लंबित पड़े मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए आवेदन दाखिल करे. इस मामले में अब अगली सुनवाई 29 दिसंबर 2022 को निर्धारित की गई है. अदालत ने राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को 29 दिसंबर 2022 तक सारी जानकारियों से युक्त नवीनतम शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश भी जारी किए है.

उल्लेखनीय है कि इस संदर्भ में हाई कोर्ट के पूर्व में दिए गए विभिन्न आदेशों की अनुपालना में राज्य सरकार की ओर से अदालत में बताया गया कि सडक़ के किनारे अतिक्रमण के 472 मामले पाए गए हैं. इनमें से 134 मामले शिमला के ठियोग नेशनल हाईवे पर, 240 मामले मंडी जोन में व 98 मामले हमीरपुर जोन के अंतर्गत हैं. इनमें से कुल 170 अतिक्रमण हटा दिए गए है. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि ठियोग बाईपास सड़क मार्ग के साथ किए गए अतिक्रमण के कारण एक दशक से वहां जरूरी निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है.

न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि जो ठेकेदार इस कार्य के लिए तैनात किया गया है, वह और अधिक श्रमिकों को काम में लगाए. अदालत ने कहा कि 31 जनवरी 2023 तक यह बाईपास तैयार हो सके, इतने श्रमिक काम पर लगाए जाने चाहिए. अदालत ने इस बारे में भी राज्य सरकार से अनुपालना रिपोर्ट मांग ली है.

ये भी पढे़ं: IGMC के सेंट्रल हीटिंग सिस्टम रूम में भड़की आग, बड़ा हादसा टला

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (Himachal High court) ने सड़कों के किनारे अतिक्रमण के मामलों को समय पर न निपटाने को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है. अदालत ने राजस्व विभाग के अफसरों को भी लताड़ लगाई है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने संबंधित उप मंडल अधिकारियों यानी एसडीएम व राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अतिक्रमण से जुड़े मामलों का निपटारा चार हफ्तों के भीतर किया जाए.

अदालत ने ये भी कहा कि इसके अलावा अतिक्रमण को लेकर दीवानी अदालतों में जितने भी मामले लंबित पड़े हैं, उन्हें तीन महीने के भीतर निपटाया जाए. खंडपीठ ने राज्य सरकार के राजस्व अधिकारियों को लताड़ लगाते हुए कहा कि कानून की सही जानकारी न होने के कारण राजस्व अधिकारी फिजूल में ही अतिक्रमण से जुड़े मामलों को अपने पास निपटारे के लिए रख लेते हैं. ऐसे में ये मामले दशकों तक लंबित पड़े रहते हैं.

न्यायमूर्ति तरलोक चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए हैं कि वह दीवानी अदालतों और हाई कोर्ट के समक्ष लंबित पड़े मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए आवेदन दाखिल करे. इस मामले में अब अगली सुनवाई 29 दिसंबर 2022 को निर्धारित की गई है. अदालत ने राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को 29 दिसंबर 2022 तक सारी जानकारियों से युक्त नवीनतम शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश भी जारी किए है.

उल्लेखनीय है कि इस संदर्भ में हाई कोर्ट के पूर्व में दिए गए विभिन्न आदेशों की अनुपालना में राज्य सरकार की ओर से अदालत में बताया गया कि सडक़ के किनारे अतिक्रमण के 472 मामले पाए गए हैं. इनमें से 134 मामले शिमला के ठियोग नेशनल हाईवे पर, 240 मामले मंडी जोन में व 98 मामले हमीरपुर जोन के अंतर्गत हैं. इनमें से कुल 170 अतिक्रमण हटा दिए गए है. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि ठियोग बाईपास सड़क मार्ग के साथ किए गए अतिक्रमण के कारण एक दशक से वहां जरूरी निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है.

न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि जो ठेकेदार इस कार्य के लिए तैनात किया गया है, वह और अधिक श्रमिकों को काम में लगाए. अदालत ने कहा कि 31 जनवरी 2023 तक यह बाईपास तैयार हो सके, इतने श्रमिक काम पर लगाए जाने चाहिए. अदालत ने इस बारे में भी राज्य सरकार से अनुपालना रिपोर्ट मांग ली है.

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