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Himachal High Court Order: 48 घंटे में ज्वाइनिंग दें जिला न्यायवादी, जानें नहीं तो फिर क्या होगा

हिमाचल हाईकोर्ट न्यायवादियों को 48 घंटो के अंदर ज्वाइन करने के आदेश दिए हैं. वहीं, ज्वाइनिंग न देने वाले अधिकारियों कार्यवाही का आदेश भी दिया गया है.

Himachal High Court Order
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Published : Apr 26, 2023, 8:04 AM IST

शिमला: हाईकोर्ट ने उन जिला न्यायवादियों को 48 घंटो के भीतर अपने तैनाती वाले स्थानों पर ज्वाइन करने के आदेश दिए हैं ,जिन्हें 13 मार्च और 31 मार्च की अधिसूचना के तहत नियुक्त और स्थानांतरित किया गया था. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने ज्वाइनिंग न देने वाले उक्त अधिकारियों को निलंबित करने और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने के आदेश भी दिए.

तबादला आदेश डीओ नोट पर आधारित होने चिंता जताई: प्रदेश उच्च न्यायालय ने अधिकांश लोक अभियोजक, सहायक जिला अटॉर्नी और जिला अटॉर्नी के तबादला आदेश डीओ नोट पर आधारित होने पर चिंता प्रकट करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए. यह आदेश एडीए ऑफिस कंडाघाट से डीडीए ऑफिस ठियोग को ट्रांसफर किए गए सहायक जिला न्यायवादी प्रशांत सिंह की याचिका का निपटारा करते हुए पारित किए.

वकीलों का राजनेताओं के साथ मिलनसार होना अच्छा नहीं: उल्लेखनीय है कि एक अन्य मामले में लोक अभियोजकों के कार्य और आचरण पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा था कि लोक अभियोजक उच्च सम्मान का एक वैधानिक पद धारण करता है. जांच एजेंसी के एक हिस्से के बजाय, वे एक स्वतंत्र वैधानिक प्राधिकरण भी हैं. लोक अभियोजक की भूमिका निष्पक्ष सुनवाई के लिए आंतरिक रूप से समर्पित होती है, इसलिए यह अच्छा नहीं होगा कि इन वकीलों को राजनेताओं के साथ मिलनसार या जनता के साथ मेलजोल करते देखा जाए.

अदालतों की कार्यवाही प्रभावित हो रही: कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि कुछ अधिकारियों ने 13 मार्च और 31 मार्च की अधिसूचना के अनुसार केवल इसलिए अपने स्थानांतरित स्थानों पर ज्वाइनिंग नहीं दी ,क्योंकि वे अपने मनपसंद स्थानों पर तैनाती की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. इनके ऐसे करने से अदालतों की कार्यवाही प्रभावित हो रही है. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन निदेशालय राजनैतिक हस्तक्षेप और अन्य दबाव मुक्त होना चाहिए. इसलिए कोर्ट ने फिर से अपने आदेशों को दोहराते हुए कहा कि उक्त अधिकारियों के तबादले करने के लिए केवल गृह सचिव और अभियोजन निदेशक ही सक्षम होंगे.

12 एडीए के पद खाली: मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि हाल ही में नई अदालतों को खोलते समय उपयुक्त स्टाफ विशेष तौर पर अभियोजन पक्ष से जुड़े स्टाफ की नियुक्तियां नहीं की गई. कोर्ट ने आदेश दिए कि आने वाले समय में अतिरिक्त कोर्ट खोलते समय लोक अभियोजन के पद को भी सृजित किया जाए. कोर्ट को बताया गया कि 12 एडीए के पद अभी भी सृजित किए जाने हैं. महाधिवक्ता अनूप रत्न ने इस पर कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह निजी तौर पर इस मसले को देखेंगे ,ताकि अदालती कामकाज में अभियोजकों की तैनाती न होने की वजह से कोई बाधा उत्पन्न न हो. कोर्ट ने गृह सचिव को अभियोजकों के रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए तुरंत कारगर कदम उठाने के आदेश भी दिए.

ये भी पढ़ें : संस्थानों को डी-नोटिफाई करने के मामले में अब 16 मई को होगी सुनवाई, सभी याचिकाओं को एक साथ सुनेगा हाईकोर्ट

शिमला: हाईकोर्ट ने उन जिला न्यायवादियों को 48 घंटो के भीतर अपने तैनाती वाले स्थानों पर ज्वाइन करने के आदेश दिए हैं ,जिन्हें 13 मार्च और 31 मार्च की अधिसूचना के तहत नियुक्त और स्थानांतरित किया गया था. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने ज्वाइनिंग न देने वाले उक्त अधिकारियों को निलंबित करने और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने के आदेश भी दिए.

तबादला आदेश डीओ नोट पर आधारित होने चिंता जताई: प्रदेश उच्च न्यायालय ने अधिकांश लोक अभियोजक, सहायक जिला अटॉर्नी और जिला अटॉर्नी के तबादला आदेश डीओ नोट पर आधारित होने पर चिंता प्रकट करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए. यह आदेश एडीए ऑफिस कंडाघाट से डीडीए ऑफिस ठियोग को ट्रांसफर किए गए सहायक जिला न्यायवादी प्रशांत सिंह की याचिका का निपटारा करते हुए पारित किए.

वकीलों का राजनेताओं के साथ मिलनसार होना अच्छा नहीं: उल्लेखनीय है कि एक अन्य मामले में लोक अभियोजकों के कार्य और आचरण पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा था कि लोक अभियोजक उच्च सम्मान का एक वैधानिक पद धारण करता है. जांच एजेंसी के एक हिस्से के बजाय, वे एक स्वतंत्र वैधानिक प्राधिकरण भी हैं. लोक अभियोजक की भूमिका निष्पक्ष सुनवाई के लिए आंतरिक रूप से समर्पित होती है, इसलिए यह अच्छा नहीं होगा कि इन वकीलों को राजनेताओं के साथ मिलनसार या जनता के साथ मेलजोल करते देखा जाए.

अदालतों की कार्यवाही प्रभावित हो रही: कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि कुछ अधिकारियों ने 13 मार्च और 31 मार्च की अधिसूचना के अनुसार केवल इसलिए अपने स्थानांतरित स्थानों पर ज्वाइनिंग नहीं दी ,क्योंकि वे अपने मनपसंद स्थानों पर तैनाती की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. इनके ऐसे करने से अदालतों की कार्यवाही प्रभावित हो रही है. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन निदेशालय राजनैतिक हस्तक्षेप और अन्य दबाव मुक्त होना चाहिए. इसलिए कोर्ट ने फिर से अपने आदेशों को दोहराते हुए कहा कि उक्त अधिकारियों के तबादले करने के लिए केवल गृह सचिव और अभियोजन निदेशक ही सक्षम होंगे.

12 एडीए के पद खाली: मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि हाल ही में नई अदालतों को खोलते समय उपयुक्त स्टाफ विशेष तौर पर अभियोजन पक्ष से जुड़े स्टाफ की नियुक्तियां नहीं की गई. कोर्ट ने आदेश दिए कि आने वाले समय में अतिरिक्त कोर्ट खोलते समय लोक अभियोजन के पद को भी सृजित किया जाए. कोर्ट को बताया गया कि 12 एडीए के पद अभी भी सृजित किए जाने हैं. महाधिवक्ता अनूप रत्न ने इस पर कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह निजी तौर पर इस मसले को देखेंगे ,ताकि अदालती कामकाज में अभियोजकों की तैनाती न होने की वजह से कोई बाधा उत्पन्न न हो. कोर्ट ने गृह सचिव को अभियोजकों के रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए तुरंत कारगर कदम उठाने के आदेश भी दिए.

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