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सरकारी खजाने में फर्जीवाड़े पर आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश, कांगड़ा जिले का है मामला - सरकारी खजाने में फर्जीवाड़े पर आपराधिक मामला

हिमाचल हाई कोर्ट ने कांगड़ा की एक पंचायत के पूर्व प्रधान व वार्ड मेंबर पर सरकारी खजाने में फर्जीवाड़े पर आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश दिए. डीसी कांगड़ा को इस मामले में कार्रवाई के लिए कहा गया है. डीसी कांगड़ा को उक्त दोनों पूर्व जनप्रतिनिधियों सहित अन्य दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाने के आदेश दिए हैं.

Himachal High Court News
हिमाचल हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
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Published : Nov 26, 2022, 9:22 PM IST

शिमला: हाई कोर्ट ने जिला कांगड़ा की एक पंचायत के पूर्व प्रधान व वार्ड मेंबर पर सरकारी खजाने में फर्जीवाड़े पर आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश दिए. इस संदर्भ में दाखिल की गई याचिका का निपटारा करते हुए न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने धर्मशाला की गबली दाड़ी पंचायत के पूर्व प्रधान व वार्ड मेंबर के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के आदेश दिए. डीसी कांगड़ा को इस मामले में कार्रवाई के लिए कहा गया है. डीसी कांगड़ा को उक्त दोनों पूर्व जनप्रतिनिधियों सहित अन्य दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाने के आदेश दिए हैं.

हाई कोर्ट में प्रार्थी ने उक्त दोनों प्रतिवादियों पर आरोप लगाया था कि इन्होंने ग्राम पंचायत क्षेत्र में सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए स्वीकृत धनराशि में घपला किया था. इसकी शिकायत भी संबंधित अधिकारियों को दी गई थी. आरोप था कि सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 9 लाख 54 हजार रुपए स्वीकृत होने के बावजूद भवन का निर्माण नहीं किया गया.

इस मामले में जांच के बावजूद दोनों आरोपियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. प्रार्थी द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता जांचने के लिए हाईकोर्ट ने लोकल कमिश्नर को मौके पर जा कर रिपोर्ट तैयार करने के आदेश भी दिए थे. लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट के अनुसार जहां सामुदायिक भवन बनाया जाना था वहां अब घनी झाड़ियां हैं.

यही नहीं, मौके पर डेढ़ से चार फुट गहरे 15 गड्ढे भी असमान तरीके से खुदे हुए पाए गए. मौके पर और कोई भी दीवार अथवा पिल्लर नहीं पाया गया. जांच में पता चला था कि 5 मार्च 2011 को सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए 9 लाख 54 हजार रुपए स्वीकृत किए गए थे और 2 मई 2011 को 4 लाख रुपए जारी भी कर दिए गए थे. संबंधित विभाग ने अपनी रिपोर्ट में अदालत को बताया कि भवन निर्माण का काम जारी है.

कोर्ट ने लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट और सरकार की रिपोर्ट में विरोधाभास पाते हुए टिप्पणी की कि विभागीय प्रतिवादियों ने अपनी ड्यूटी का निर्वहन ईमानदारी से नहीं किया. कोर्ट ने रिकॉर्ड के मुताबिक पाया कि इस मामले में सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है. इस पर अदालत ने पुलिस को मामले की जांच 6 महीने में पूरी कर अंजाम तक पहुंचाने के आदेश जारी किए.

ये भी पढ़ें- क्या होता है हॉर्स ट्रेडिंग का मतलब, सियासत में क्‍या मायने? हिमाचल में कांग्रेस को भी डर

शिमला: हाई कोर्ट ने जिला कांगड़ा की एक पंचायत के पूर्व प्रधान व वार्ड मेंबर पर सरकारी खजाने में फर्जीवाड़े पर आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश दिए. इस संदर्भ में दाखिल की गई याचिका का निपटारा करते हुए न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने धर्मशाला की गबली दाड़ी पंचायत के पूर्व प्रधान व वार्ड मेंबर के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के आदेश दिए. डीसी कांगड़ा को इस मामले में कार्रवाई के लिए कहा गया है. डीसी कांगड़ा को उक्त दोनों पूर्व जनप्रतिनिधियों सहित अन्य दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाने के आदेश दिए हैं.

हाई कोर्ट में प्रार्थी ने उक्त दोनों प्रतिवादियों पर आरोप लगाया था कि इन्होंने ग्राम पंचायत क्षेत्र में सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए स्वीकृत धनराशि में घपला किया था. इसकी शिकायत भी संबंधित अधिकारियों को दी गई थी. आरोप था कि सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 9 लाख 54 हजार रुपए स्वीकृत होने के बावजूद भवन का निर्माण नहीं किया गया.

इस मामले में जांच के बावजूद दोनों आरोपियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. प्रार्थी द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता जांचने के लिए हाईकोर्ट ने लोकल कमिश्नर को मौके पर जा कर रिपोर्ट तैयार करने के आदेश भी दिए थे. लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट के अनुसार जहां सामुदायिक भवन बनाया जाना था वहां अब घनी झाड़ियां हैं.

यही नहीं, मौके पर डेढ़ से चार फुट गहरे 15 गड्ढे भी असमान तरीके से खुदे हुए पाए गए. मौके पर और कोई भी दीवार अथवा पिल्लर नहीं पाया गया. जांच में पता चला था कि 5 मार्च 2011 को सामुदायिक भवन के निर्माण के लिए 9 लाख 54 हजार रुपए स्वीकृत किए गए थे और 2 मई 2011 को 4 लाख रुपए जारी भी कर दिए गए थे. संबंधित विभाग ने अपनी रिपोर्ट में अदालत को बताया कि भवन निर्माण का काम जारी है.

कोर्ट ने लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट और सरकार की रिपोर्ट में विरोधाभास पाते हुए टिप्पणी की कि विभागीय प्रतिवादियों ने अपनी ड्यूटी का निर्वहन ईमानदारी से नहीं किया. कोर्ट ने रिकॉर्ड के मुताबिक पाया कि इस मामले में सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है. इस पर अदालत ने पुलिस को मामले की जांच 6 महीने में पूरी कर अंजाम तक पहुंचाने के आदेश जारी किए.

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