शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने आदालतों पर अवांछित भार कम करने के लिए राज्य सरकार की ओर से बनाई विभागीय मुकदमा निगरानी समिति को सुचारू करने के आदेश जारी किए हैं.
राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए हैं कि ऐसे सभी प्रकार के मामले संबंधित अधिकारी/कर्मचारी द्वारा विभागीय मुकदमा निगरानी समिति के समक्ष रखे जाएं जिनका निपटारा कानून सम्भव हो सकता है. ऐसा करने में विफल रहने वाले अधिकारी/कर्मचारी की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए. साथ ही निगरानी समिति के मुकदमों और कामकाज की आवधिक लेखा जांच होनी चाहिए और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी परिणामी कार्रवाई होनी चाहिए.
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने एक याचिका का निपटारा करते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को निर्देशानुसार नीति के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के आदेश जारी किए हैं. उन्हें 31.8.2021 को या उससे पहले इस संबंध में अनुपालना हलफनामा दाखिल करने के आदेश जारी किए गए हैं.
हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव (गृह) ने 7.3.2011 को हिमाचल प्रदेश राज्य मुकदमा नीति को अनुमोदित किया था. इसे न केवल हिमाचल प्रदेश सरकार के सभी प्रधान सचिवों/सचिवों और हिमाचल प्रदेश के सभी विभागाध्यक्षों को, लेकिन गृह विभाग की वेबसाइट के लिंक से अभियोजन विभाग की वेबसाइट www.himachal.nic.in/hom पर भी अपलोड किया गया है.
सभी को यह भी सूचित किया गया था कि यह नीति राज्य सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा मुकदमेबाजी पर परिहार्य लागत से बचाने के लिए मुकदमेबाजी को कम करने के लिए मुकदमेबाजी रणनीतियों के व्यापक दिशानिर्देशों की रूपरेखा तैयार की है ताकि सरकार के संबंध में न्यायपालिका पर अपरिहार्य भार को कम किया जा सके.