शिमला: लाहौल-स्पीति जिला में स्थित मृकुला देवी मंदिर की पौराणिक नक्काशी बदलने से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) से ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र मृकुला देवी मंदिर एक ऐतिहासिक धरोहर है और एएसआई संरक्षित स्मारक है. इस मंदिर की पौराणिक नक्काशी बदलने से जुड़े मामले की सुनवाई हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट कर रहा है.
अदालत ने एएसआई से ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब करने के बाद मामले की सुनवाई 9 अगस्त को तय की है. इस मामले की सुनवाई हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ कर रही है. पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने मंदिर भवन के जीर्णोद्धार के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को नई विशेष टीम के गठन के आदेश जारी किए थे. पिछली सुनवाई के समय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कुल्लू के सचिव ने मां मृकुला देवी मंदिर की खस्ता हालत को अदालत के समक्ष रखा था.
प्राधिकरण की रिपोर्ट में बताया गया था कि इस ऐतिहासिक मंदिर के दोनों हिस्सों के बीच की छत्त झुकी हुई है. यहां मंदिर में लकड़ी का एक पुराना खंभा नष्ट हो रहा है. इसके अलावा छत्त का बाहरी हिस्सा भी गिर रहा है. मंदिर को फिर से नया रंग करने के लिए एएसआई ने पुराने रंग को हटाया था, लेकिन पुरातत्व विभाग ने अभी भी नया रंग नहीं किया है. करीब साढ़े तीन दशक से मंदिर के रखरखाव का जिम्मा एएसआई के पास है. विभाग ने मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया हुआ है.
वहीं, केंद्र सरकार ने भी इस मामले में रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को बताया था कि मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए ठेकेदार को काम सौंपा गया है. मंदिर की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि मां मृकुला देवी मंदिर की नक्काशी बदलने वाले इस मामले में हाईकोर्ट ने एमिक्स क्यूरी की भी नियुक्ति की हुई है. पिछली सुनवाइयों के दौरान ये तथ्य भी अदालत के संज्ञान में लाया जा चुका है कि काम कर रहे ठेकेदार को शायद मंदिर के पौराणिक महत्व का अंदाजा नहीं है.