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32 साल पहले दर्ज आपराधिक मामले से जुड़ा रिकॉर्ड न लोअर कोर्ट में न पुलिस के पास, लापरवाही पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी - हिमाचल हाईकोर्ट अपडेट न्यूज

हिमाचल हाईकोर्ट में एक अजीब मामला सामने आया, जिसमें 32 साल पहले दर्ज आपराधिक मामले के नतीजों से जुड़ा रिकॉर्ड न होने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. मामले में कोर्ट ने संबंधित पक्षों को उचित आदेश पारित कर 11 जुलाई को स्टेट्स रिपोर्ट तलब की है.

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हिमाचल हाईकोर्ट
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Published : Jun 21, 2023, 10:45 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 32 साल पहले दर्ज आपराधिक मामले के नतीजों से जुड़ा रिकॉर्ड न होने पर नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने इस मामले में संबंधित एजेंसियों की लापरवाही को खेदजनक करार दिया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने हैरानी प्रकट की है कि 32 साल पहले जो आपराधिक मामला दर्ज हुआ था, उसके नतीजों से जुड़ा रिकॉर्ड न तो लोअर कोर्ट के पास है न पुलिस के पास और न ही अभियोजन पक्ष के पास ये रिकॉर्ड मौजूद है.

नाराज हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट किन्नौर एट रामपुर बुशहर के सेशन जज को जिला शिमला के तहत आने वाले झाखड़ी पुलिस स्टेशन में वर्ष 1991 में दर्ज एफआईआर के रिकॉर्ड की जांच के आदेश जारी किए हैं. न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने शिमला जिला के एसपी को भी इसी मामले की एफआईआर के रिकॉर्ड की जांच के आदेश भी पारित किए हैं. यही नहीं, अदालत ने सभी संबंधित पक्षों से 11 जुलाई को इस मामले की स्टेट्स रिपोर्ट भी तलब की है.

मामले के अनुसार भगवान दास नामक प्रार्थी के खिलाफ 25 सितम्बर 1991 को पुलिस स्टेशन झाखड़ी में आईपीसी की धारा 147, 323 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. प्रार्थी भगवान दास ने बताया कि 21 जुलाई 1994 को वह अपने ऊपर लगाए गए आरोपों से बरी हो गया था. जिला किन्नौर के तहत रामपुर बुशहर की अदालत से वह बरी हो गया था. इसके बाद भगवान दास को 23 अप्रैल 1996 को रामपुर के तहसीलदार ने चरित्र प्रमाण पत्र यानी कैरेक्टर सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया था. प्रार्थी भगवान दास के अनुसार वर्ष 2021 में उसे डाक विभाग में मल्टी टास्किंग स्टाफ की भर्ती के लिए फिर से चरित्र प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ी.

प्रार्थी का कहना है कि उसे 7 जनवरी 2021 को जो चरित्र प्रमाण पत्र जारी किया गया था, उसमें कहा गया कि प्रार्थी के खिलाफ एक एफआईआर संख्या 289/91 पुलिस स्टेशन झाखडी में दर्ज है. इसके बाद प्रार्थी ने पुलिस व लोअर कोर्ट से उक्त प्राथमिकी की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी. आरटीआई में दी गई जानकारी में प्रार्थी को बताया गया कि उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के नतीजे का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. प्रार्थी ने हाईकोर्ट से मामले की जांच और अपने चरित्र प्रमाण पत्र में दुरुस्ती करवाने के आदेश जारी करने की गुहार लगाई. इस पर हाईकोर्ट ने संबंधित पक्षों को उचित आदेश पारित कर 11 जुलाई को स्टेट्स रिपोर्ट तलब की है.
ये भी पढ़ें: अडानी समूह को ब्याज सहित 280 करोड़ लौटाने का मामला, 11 जुलाई को होगी हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 32 साल पहले दर्ज आपराधिक मामले के नतीजों से जुड़ा रिकॉर्ड न होने पर नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने इस मामले में संबंधित एजेंसियों की लापरवाही को खेदजनक करार दिया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने हैरानी प्रकट की है कि 32 साल पहले जो आपराधिक मामला दर्ज हुआ था, उसके नतीजों से जुड़ा रिकॉर्ड न तो लोअर कोर्ट के पास है न पुलिस के पास और न ही अभियोजन पक्ष के पास ये रिकॉर्ड मौजूद है.

नाराज हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट किन्नौर एट रामपुर बुशहर के सेशन जज को जिला शिमला के तहत आने वाले झाखड़ी पुलिस स्टेशन में वर्ष 1991 में दर्ज एफआईआर के रिकॉर्ड की जांच के आदेश जारी किए हैं. न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ ने शिमला जिला के एसपी को भी इसी मामले की एफआईआर के रिकॉर्ड की जांच के आदेश भी पारित किए हैं. यही नहीं, अदालत ने सभी संबंधित पक्षों से 11 जुलाई को इस मामले की स्टेट्स रिपोर्ट भी तलब की है.

मामले के अनुसार भगवान दास नामक प्रार्थी के खिलाफ 25 सितम्बर 1991 को पुलिस स्टेशन झाखड़ी में आईपीसी की धारा 147, 323 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. प्रार्थी भगवान दास ने बताया कि 21 जुलाई 1994 को वह अपने ऊपर लगाए गए आरोपों से बरी हो गया था. जिला किन्नौर के तहत रामपुर बुशहर की अदालत से वह बरी हो गया था. इसके बाद भगवान दास को 23 अप्रैल 1996 को रामपुर के तहसीलदार ने चरित्र प्रमाण पत्र यानी कैरेक्टर सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया था. प्रार्थी भगवान दास के अनुसार वर्ष 2021 में उसे डाक विभाग में मल्टी टास्किंग स्टाफ की भर्ती के लिए फिर से चरित्र प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ी.

प्रार्थी का कहना है कि उसे 7 जनवरी 2021 को जो चरित्र प्रमाण पत्र जारी किया गया था, उसमें कहा गया कि प्रार्थी के खिलाफ एक एफआईआर संख्या 289/91 पुलिस स्टेशन झाखडी में दर्ज है. इसके बाद प्रार्थी ने पुलिस व लोअर कोर्ट से उक्त प्राथमिकी की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी. आरटीआई में दी गई जानकारी में प्रार्थी को बताया गया कि उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के नतीजे का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. प्रार्थी ने हाईकोर्ट से मामले की जांच और अपने चरित्र प्रमाण पत्र में दुरुस्ती करवाने के आदेश जारी करने की गुहार लगाई. इस पर हाईकोर्ट ने संबंधित पक्षों को उचित आदेश पारित कर 11 जुलाई को स्टेट्स रिपोर्ट तलब की है.
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