शिमला: देवभूमि हिमाचल में पग-पग पर मौजूद देव मंदिरों से जुड़ी अनूठी परंपराएं हैं. ऐसी ही तीन सौ साल पुरानी देव परंपरा ब्रांशी को लेकर हाई कोर्ट में एक मामला आया था. अदालत ने इस मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का विकल्प दिया था, लेकिन ये विफल हो गया. बाद में पक्षकारों ने अंतिम फैसला हाई कोर्ट पर ही छोड़ दिया. अब हाई कोर्ट ने देवता बनाड़ व देवता देशमौली जी को पुजारली में रोके जाने को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने तीन सौ साल पुरानी देव परंपरा को अविवादित पाया है.
दरअसल, कुछ लोग देवता देशमौली व देवता बनाड़ को पुजारली गांव में बने नए देव मंदिर में रोके जाने के लिए आग्रह कर रहे थे. वहीं, तीन सदियों पुरानी ब्रांशी परंपरा ये कहती है कि देवता बारी-बारी से सात गांवों में प्रवास करते हैं. इस परंपरा के विपरीत कुछ लोगों की इच्छा थी कि दोनों देवता पुजारली गांव में बने नए देव मंदिर में विराजें. पहले मामला एसडीएम रोहड़ू के पास गया और फिर एडिशनल सेशन जज की अदालत में. बाद में मामला हाई कोर्ट पहुंचा.
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हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को मध्यस्थता के जरिए विवाद सुलझाने के लिए कहा था, लेकिन ये विकल्प भी विफल हो गया था. अब अंतिम फैसले के तहत हाई कोर्ट ने दोनों देवताओं को पुजारली में रोके जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही सदियों पुरानी देव परंपरा को भी अविवादित पाया है. इस मामले में एसडीएम रोहड़ू व एडिशनल सेशन जज की अदालत ने पूर्व में जो फैसला दिया था, हाई कोर्ट ने उस फैसले में भी दखल देने से साफ इनकार किया.
हाई कोर्ट में प्रतिवादियों ने दोनों देवताओं को रोहड़ू के शराचली क्षेत्र के पुजारली गांव में बने मंदिर में रोके जाने को गलत ठहराया था. इससे पूर्व एसडीएम रोहडू ने प्रत्येक वर्ष बारी-बारी से रोटेशन आधार पर शराचली क्षेत्र के 7 गांवों में इन देवताओं की पूजा-अर्चना में बाधा पैदा करने वाले लोगों को पुरानी ब्रांशी परंपरा में दखल देने से रोकने के आदेश जारी किए थे. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने एसडीएम व एडिशनल सेशन जज के उपरोक्त आदेश को सही ठहराते हुए प्रार्थियों की याचिका को खारिज कर दिया. पूर्व में हाई कोर्ट ने इसी साल 31 मार्च को आदेश दिए थे कि इस मामले को आपसी सहमति से मध्यस्थता के माध्यम से निपटाया जाए. इसके लिए हाई कोर्ट ने मध्यस्थ की नियुक्ति भी की थी, लेकिन ये पहल सफल नहीं हो पाई थी.
मामले के अनुसार शराचली क्षेत्र के तहत आने वाले 7 गांवों के तीन आराध्य देवता हैं. इन देवताओं के नाम देवता क्यालूं जी महाराज, देवता बनाड़ी जी व देवता देशमौली जी हैं. ये तीन देवता शराचली के सात गांवों झराशली अथवा झगटान, रोहटान, मंडल, जखनोर पुजारली, थाना, शील अथवा तुरन, और ढाडी घूंसा की आस्था के केंद्र हैं. इनमें से एक देवता क्यांलू जी महाराज का एक स्थाई मंदिर पुजारली में स्थित है. शराचली और जुब्बल तहसील के अनेक गांवों के लाखों लोगों की देवता बनाड़ जी और देवता देशमौली जी के प्रति अटूट आस्था है.
रोहड़ू के एसडीएम के पास कुछ लोगों ने कहा कि देवता बनाड़ और देवता देशमौली जी क्षेत्र के सभी गांवों में रोटेशन आधार पर हर एक गांव में एक-एक वर्ष के लिए जाते रहे हैं. तीन सौ साल से चली आ रही इस परंपरा को ब्रांशी कहते हैं. ये देवता जब भी प्रत्येक गांव में बने अपने मंदिर में आते हैं तो एक उत्सव का माहौल बनता है. देव आगमन को ग्रामीण आशीर्वाद मानते हैं. कुछ लोगों का कहना था कि चूंकि अब पुजारली में नए मंदिर का निर्माण किया गया है, लिहाजा देशमौली देवता जी को वहीं रोका जाए. इस पर एसडीएम ने ब्रांशी परंपरा का तब तक पालन करने के आदेश दिए, जब तक सक्षम कानूनी अदालत (हाई कोर्ट) से इस पर कोई फैसला नहीं आ जाता. अब हाई कोर्ट के फैसले से ये स्पष्ट हो गया है कि ब्रांशी परंपरा कायम रहेगी और देवता देशमौली जी पुजारली मंदिर में नहीं रोके जाएंगे.
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