शिमला: जिला चंबा के डलहौजी में एक किलो चरस रखने के आरोप में निचली अदालत ने नंदलाल नामक व्यक्ति को नौ साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. नंदलाल ने निचली अदालत के फैसले को अपील के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने नंदलाल की अपील को स्वीकार करते हुए उसे चरस रखने के आरोप से दोषमुक्त कर दिया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित करने में नाकाम रहा है. इस पर अदालत ने आरोप को दोषमुक्त करते हुए तुरंत प्रभाव से रिहा करने के आदेश जारी किए.
मामला दस साल पुराना है. चरस रखने के इस मामले के अनुसार पुलिस ने आरोपी नंदलाल के खिलाफ थाना डलहौजी में मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम की झारा-20 के तहत केस दर्ज किया था. पुलिस के अनुसार 9 सितंबर 2013 को आरोपी नंदलाल से एक किलो चरस बरामद की गई थी. मामले की जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने स्पेशल जज चंबा की अदालत में आरोपी के खिलाफ अभियोग चलाया था. ट्रायल कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड और गवाहों के बयान के आधार पर नंदलाल को अवैध रूप से चरस रखने का दोषी ठहराया था. इस जुर्म के लिए ट्रायल कोर्ट ने उसे नौ वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी.
निचली अदालत के इस निर्णय को नंदलाल ने अपील के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश चंबा के फैसले को पलटते हुए अपने निर्णय में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित करने में नाकाम रहा है. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने इससे पहले 3 दिसंबर 2022 को एक मामले की सुनवाई करते हुए पानीपत के चरस तस्कर को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दस साल की कैद की सजा को बरकरार रखा था.
यह मामला कुल्लू के आनी का था. वहीं, 29 जुलाई 2022 को चरस तस्करी के एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दस साल की कैद व एक लाख रुपए जुर्माने की सजा को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. ये केस नेपाली मूल के व्यक्ति पर 4.9 किलोग्राम चरस की तस्करी के आरोप से जुड़ा था. हाईकोर्ट के अनुसार मादक पदार्थ अधिनियम के तहत पकड़े जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान है. ऐसे में अभियोजन पक्ष की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वो अभियोग को साबित करे.
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