शिमला: अपने कार्यकाल में तीन महीने की छोटी सी अवधि में 4300 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार अब फिर से 1700 करोड़ रुपए का कर्ज ले रही है. इस संदर्भ में दो अधिसूचनाएं जारी कर दी गई हैं. प्रदेश सरकार के खाते में ये रकम 29 मार्च तक आ जाएगी. लोन लेने से संबंधित दो अधिसूचनाएं जारी की गई हैं. इनमें से एक अधिसूचना 1000 करोड़ रुपए तो दूसरी अधिसूचना 700 करोड़ रुपए की है. इससे पहले सरकार ने 1500 करोड़ रुपए का लोन लिया था.
इस तरह मौजूदा वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 में हिमाचल का कुल लोन 14 हजार करोड़ रुपए हो जाएगा. अभी सुखविंदर सिंह सरकार ने एफआरबीएम एक्ट में संशोधन कर लोन लिमिट को बढ़ाया था. यही कारण है कि वित्तवर्ष खत्म होने से पहले राज्य सरकार ने तय लिमिट के अनुसार लोन लेने का फैसला लिया. शुक्रवार को देर शाम इस बारे में दो अधिसूचनाएं जारी कर दी गईं. जारी की गई अधिसूचना के अनुसार एक हजार करोड़ रुपए का लोन पंद्रह साल के लिए लिया जा रहा है. वहीं, 700 करोड़ रुपए का लोन नौ साल के लिए लिया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में हर सरकार कर्ज के लिए एक-दूसरे पर दोष डालती हैं. इस समय हिमाचल का कर्ज 75 हजार करोड़ से अधिक है.
अगले साल भी सरकार को लोन लेने की जरूरत रहेगी. सरकार के सौ दिन का कार्यकाल पूरा होने पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया से बातचीत में प्रदेश की बदहाल आर्थिक स्थिति का जिक्र किया था. सुखविंदर सिंह सुक्खू सदन में कह चुके हैं कि प्रदेश की आर्थिक हालत ऐसी है कि उन्हें तीन माह की अवधि में 4300 करोड़ रुपए कर्ज लेना पड़ा है. हिमाचल का हाल ये है कि सरकारी कर्मियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर 42 फीसदी बजट खर्च हो रहा है. कर्ज चुकाने और लिए गए कर्ज का ब्याज चुकाने पर सरकार 20 फीसदी बजट खर्च करती है. ये स्थिति अपने आप में चिंताजनक है.
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