शिमला: जिस होटल में कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी, सिने स्टार अमिताभ बच्चन और क्रिकेट स्टार सचिन तेंदुलकर ठहरते आए हैं, उस विख्यात वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल पर अब राज्य सरकार का बा-कायदा हक हो गया है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद हिमाचल सरकार के प्रशासन ने होटल का कब्जा ले लिया है. शनिवार को ये प्रक्रिया पूर्ण की गई.
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम की निदेशक आईएएस अधिकारी मानसी ठाकुर को अब इस संपत्ति का प्रशासक नियुक्त किया गया है. शनिवार को एचपीटीडीसी और जिला प्रशासन छराबड़ा स्थित होटल में पहुंचा और संपत्ति पर कब्जा हासिल किया. मौजूदा समय में होटल का प्रबंधन ओबेराय ग्रुप के पास था. मामला अदालत में था और हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2022 को इस संपत्ति के मामले में हिमाचल सरकार को राहत दी थी. ईस्ट इंडिया होटल जिसके पास वाइल्ड फ्लावर हाल का प्रबंधन था, उसने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी. उस अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
ये मामला शिमला के समीप छराबड़ा में स्थित विश्व विख्यात वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल की संपत्ति से जुड़ा है. ईआईएच यानी ईस्ट इंडिया होटल्स ने संपत्ति मामले में अपील मध्यस्थता और सुलह अधिनियम यानी आरबिट्रेशन में दाखिल की थी. मामले के अनुसार वाइल्ड फ्लावर हॉल की संपत्ति का मालिकाना हक राज्य सरकार के पास था. होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल को हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम संचालित करता था. वर्ष 1993 में यहां आग लगने से ये होटल तबाह हो गया था. इसे फिर से बनाने और पांच सितारा होटल के तौर पर विकसित करने के लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किए गए थे।. टेंडर प्रक्रिया में ईस्ट इंडिया होटल्स लिमिटेड ने भी भाग लिया. इस कंपनी के पास देश और दुनिया के अन्य हिस्सों में ऐसे प्रोजेक्ट चलाने का अनुभव था. चर्चा के बाद राज्य सरकार ने ईस्ट इंडिया होटल्स के साथ साझेदारी में जाने का फैसला लिया.
संयुक्त उपक्रम के तहत काम आगे बढ़ाया गया और ज्वाइंट कंपनी मशोबरा रिजाट्र्स लिमिटेड के नाम से बनाई गई. तय किया गया कि राज्य सरकार की 35 फीसदी से कम शेयर होल्डिंग नहीं होगी. इसके अलावा ईआईएच की शेयर होल्डिंग भी 36 फीसदी से कम नहीं होगी. साथ ही ये भी फैसला लिया गया कि ईआईएच को 55 फीसदी से अधिक होल्डिंग नहीं मिलेगी. जमीन सौंपने के बाद चार साल में भी होटल फंक्शनल नहीं हुआ था, जैसा कि करार में तय किया गया था. उसके बाद जब कंपनी होटल को चलाने के काबिल नहीं बना पाई तो 2002 में राज्य सरकार ने करार रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट के आदेश और लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार राज्य सरकार ने इस होटल की संपत्ति पर शनिवार को कब्जा किया है.