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हिमाचल में भांग की खेती को कानूनी वैधता देने पर कांग्रेस सरकार कर रही विचार, 1 माह में रिपोर्ट देगी कमेटी - Legal cannabis cultivation in Himachal

हिमाचल में प्रदेश सरकार द्वारा भांग की खेती को कानूनी वैधता देने पर विचार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल में भांग की वैध खेती के सभी पहलूओं पर अध्ययन करने के लिए 5 सदस्यीय समिति गठित की है.

Congress Govt on Legal Validity of cannabis cultivation in Himachal Congress Govt on Legal Validity of cannabis cultivation in Himachal
हिमाचल में भांग की खेती को वैध करने को लेकर सुक्खू सरकार ने गठित की कमेटी
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Published : Apr 18, 2023, 7:50 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार भांग की खेती को कानूनी रूप से वैध करने पर विचार कर रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल में भांग की वैध खेती की संभावनाओं को खोजने के लिए एक समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं. प्रदेश के लिए राजस्व जुटाने के साथ ही भांग अपने औषधीय गुणों के कारण रोगियों के इलाज में भी लाभदायक है और इसका औद्योगिक क्षेत्र में भी प्रयोग किया जा सकता है.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार भांग के औषधीय गुणों के चलते इसके उपयोग की संभावनाओं पर सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श कर रही है और इसके लिए विधायकों की एक 5 सदस्यीय समिति गठित की गई है. यह समिति हिमाचल में भांग की खेती को लेकर विस्तृत अवलोकन करेगी. समिति प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध तौर पर संचालित की जा रही भांग की खेती के स्थलों का भी दौरा करेगी और एक माह में अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार के आगे प्रस्तुत करेगी. सीएम सुक्खू ने कहा कि जब समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तूत की जाएगी तो उसके पश्चात ही भांग की खेती को लीगल करने के विचार पर फैसला लिया जाएगा.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि प्रदेश सरकार भांग की पत्तियों और इसके बीजों के इस्तेमाल संबंधित प्रत्येक की जानकारी प्राप्त करने के बाद ही इस बारे में कोई नीति या कानून बनाने पर विचार करेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भांग की खेती को कानूनी मान्यता प्रदान की है. इसके अलावा औद्योगिक उपयोग के लिए उत्तराखंड में भी भांग की पैदावार उगाई जाती है. एनडीपीएस एक्ट के तहत भारत में राज्यों को भांग की खेती का अधिकार मुहैया करवाया गया है. राज्य सरकार इस बारे में अंतिम निर्णय लेने से पहले नियमानुसार उपायों सहित सभी पहलुओं पर गहन विचार करेगी और जिन राज्यों ने इसे कानूनी रुप से वैध किया है, उसका भी अध्ययन किया जाएगा.

बता दें कि देश में कई राज्यों में कानून के दायरे के तहत भांग की खेती वैध है. देश में सबसे पहले साल 2017 में उत्तराखंड ने वैध रुप से भांग की खेती की थी. इसके अलावा देश में गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के भी कुछ जिलों में भांग की खेती को कानूनी मान्यता प्राप्त है. इसी तरह विदेश उरुग्वे, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम और चेक गणराज्य सहित यूरोपीय यूनियन के कुछ देशों में भी भांग की नियंत्रित खेती की को वैधता प्रदान है.

उल्लेखनीय है कि संसद ने साल 1985 में भांग को एनडीपीएस अधिनियम के तहत परिभाषित किया है, जिसके तहत भांग के पौधे से रेज़िन और फूलों को निकालने पर प्रतिबंध लगाया गया है. लेकिन यह कानून भांग की खेती की विधि और औषधीय एवं वैज्ञानिक प्रयोजन हेतु इसके इस्तेमाल के बारे में भी जानकारी देता है. इस अधिनियम की धारा-10(क )(iii) के तहत राज्यों को भांग की खेती, उत्पादन, स्वामित्व, परिवहन, खपत, उपयोग और खरीद एवं बिक्री को नियम के तहत उगाया जा सकता है लेकिन चरस पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.

ये भी पढे़ं: CM के अफसरों को निर्देश, 100 मेगावाट ऊहल-3 हाईड्रो प्रोजेक्ट को एक साल में करें फंक्शनल

शिमला: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार भांग की खेती को कानूनी रूप से वैध करने पर विचार कर रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल में भांग की वैध खेती की संभावनाओं को खोजने के लिए एक समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं. प्रदेश के लिए राजस्व जुटाने के साथ ही भांग अपने औषधीय गुणों के कारण रोगियों के इलाज में भी लाभदायक है और इसका औद्योगिक क्षेत्र में भी प्रयोग किया जा सकता है.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार भांग के औषधीय गुणों के चलते इसके उपयोग की संभावनाओं पर सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श कर रही है और इसके लिए विधायकों की एक 5 सदस्यीय समिति गठित की गई है. यह समिति हिमाचल में भांग की खेती को लेकर विस्तृत अवलोकन करेगी. समिति प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध तौर पर संचालित की जा रही भांग की खेती के स्थलों का भी दौरा करेगी और एक माह में अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार के आगे प्रस्तुत करेगी. सीएम सुक्खू ने कहा कि जब समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तूत की जाएगी तो उसके पश्चात ही भांग की खेती को लीगल करने के विचार पर फैसला लिया जाएगा.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि प्रदेश सरकार भांग की पत्तियों और इसके बीजों के इस्तेमाल संबंधित प्रत्येक की जानकारी प्राप्त करने के बाद ही इस बारे में कोई नीति या कानून बनाने पर विचार करेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भांग की खेती को कानूनी मान्यता प्रदान की है. इसके अलावा औद्योगिक उपयोग के लिए उत्तराखंड में भी भांग की पैदावार उगाई जाती है. एनडीपीएस एक्ट के तहत भारत में राज्यों को भांग की खेती का अधिकार मुहैया करवाया गया है. राज्य सरकार इस बारे में अंतिम निर्णय लेने से पहले नियमानुसार उपायों सहित सभी पहलुओं पर गहन विचार करेगी और जिन राज्यों ने इसे कानूनी रुप से वैध किया है, उसका भी अध्ययन किया जाएगा.

बता दें कि देश में कई राज्यों में कानून के दायरे के तहत भांग की खेती वैध है. देश में सबसे पहले साल 2017 में उत्तराखंड ने वैध रुप से भांग की खेती की थी. इसके अलावा देश में गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के भी कुछ जिलों में भांग की खेती को कानूनी मान्यता प्राप्त है. इसी तरह विदेश उरुग्वे, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम और चेक गणराज्य सहित यूरोपीय यूनियन के कुछ देशों में भी भांग की नियंत्रित खेती की को वैधता प्रदान है.

उल्लेखनीय है कि संसद ने साल 1985 में भांग को एनडीपीएस अधिनियम के तहत परिभाषित किया है, जिसके तहत भांग के पौधे से रेज़िन और फूलों को निकालने पर प्रतिबंध लगाया गया है. लेकिन यह कानून भांग की खेती की विधि और औषधीय एवं वैज्ञानिक प्रयोजन हेतु इसके इस्तेमाल के बारे में भी जानकारी देता है. इस अधिनियम की धारा-10(क )(iii) के तहत राज्यों को भांग की खेती, उत्पादन, स्वामित्व, परिवहन, खपत, उपयोग और खरीद एवं बिक्री को नियम के तहत उगाया जा सकता है लेकिन चरस पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.

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