शिमला : सुख की सरकार में भविष्य के डॉक्टर्स के लिए आया दुख भरा समय, इस शीर्षक से नए भर्ती होने वाले डॉक्टर्स को एनपीए की सुविधा बंद करने संबंधी ईटीवी भारत की खबर पर मुहर लगी है. राज्य सरकार ने नए भर्ती होने वाले एलोपैथी, डेंटल, आयुष और वेटरनरी डॉक्टर्स का एनपीए बंद कर दिया है. बा-कायदा इसकी अधिसूचना जारी हो गई है. ईटीवी भारत ने ये खबर 23 मई को प्रकाशित की थी वहीं ये अधिसूचना 24 मई को को जारी की गई है.
अधिसूचना में क्या है- अधिसूचना के अनुसार हिमाचल प्रदेश में हैल्थ एंड फैमिली वेल्फेयर डिपार्टमेंट में भर्ती होने वाले एमबीबीएस डॉक्टर्स, डेंटल व आयुष के डॉक्टर्स सहित एनिमल हसबेंडरी डिपार्टमेंट में भर्ती होने वाले वेटरनरी डॉक्टर्स को एनपीए यानी नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस नहीं मिलेगा. वित्त विभाग के प्रधान सचिव मनीष गर्ग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उपरोक्त विभागों के नए भर्ती होने वाले डॉक्टर्स को एनपीए नहीं मिलेगा हालांकि अधिसूचना में इस बात का जिक्र नहीं है कि नए भर्ती होने वाले डॉक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं या नहीं.
उल्लेखनीय है कि एनपीए इसीलिए दिया जाता रहा है, ताकि डॉक्टर्स निजी प्रैक्टिस न कर सकें. इधर, हिमाचल प्रदेश मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन ने इस फैसले को दुखद बताया है. एसोसिएशन के मुखिया डॉक्टर राजेश राणा का कहना है कि इस बारे में सभी संबंधित संगठनों से बात करके आगामी रणनीति बनाई जाएगी. संयुक्त संघर्ष समिति बनाई जाएगी और इस फैसले का विरोध किया जाएगा. डॉ. राजेश राणा का कहना है कि एनपीए बंद करने के फैसले का व्यापक असर होगा. हिमाचल जैसे राज्य में कई दशकों से ये सुविधा दी जा रही थी. हिमाचल के डॉक्टर्स इस फैसले से हतोत्साहित होंगे. संयुक्त संघर्ष समिति के गठन के बाद सभी की राय लेकर सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखा जाएगा.
डॉ. राजेश राणा का कहना है कि ये फैसला दुखद है। सरकारी सेक्टर में डॉक्टर्स दिन भर मरीज देखते हैं और एमरजेंसी में भी हमेशा उपलब्ध रहते हैं. उन्हें सेवाभाव से काम करने के लिए ही एनपीए मिलता है. फिलहाल, कांग्रेस सरकार के इस फैसले का चिकित्सक वर्ग में विरोध होना शुरू हो गया है. आगामी समय में इस मुद्दे को लेकर डॉक्टर्स की हड़ताल भी देखने को मिल सकती है.
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