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15,177 बेसहारा गौवंश को आश्रय और पुनर्वास प्रदान करने मे सफल रही प्रदेश सरकार

राज्य सरकार प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लोगों की ओर से बेसहारा छोड़े गए गौवंश के संरक्षण, पुनर्वास और उन्हें आश्रय देने के लिए अनेक प्रयास कर रही है. गौ सेवा आयोग के सुचारू संचालन हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने मार्च 2018 से शराब की प्रत्येक बोतल की बिक्री पर एक रुपये गौवंश सेस लगाने का निर्णय लिया.

बेसहारा पशु
बेसहारा पशु
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Published : Nov 22, 2020, 6:41 PM IST

शिमला: राज्य सरकार प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लोगों की ओर से बेसहारा छोड़े गए गौवंश के संरक्षण, पुनर्वास और उन्हें आश्रय देने के लिए अनेक प्रयास कर रही है. अब तक सरकार प्रदेश में 15,177 बेसहारा गौवंश को आश्रय देने में सफल रही है. राज्य सरकार ने बेसहारा गौवंश के संरक्षण और पुनर्वास के लिए फरवरी 2019 में ‘गौ सेवा आयोग’ का गठन किया है, जो वर्तमान राज्य सरकार का मुख्य एजेंडा था.

बेसहारा गौवंश का होगा संरक्षण एवं पुनर्वास

गौ सेवा आयोग के सुचारू संचालन हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने मार्च 2018 से शराब की प्रत्येक बोतल की बिक्री पर एक रुपये गौवंश सेस लगाने का निर्णय लिया. शराब के सेस से प्राप्त निधि गौ सेवा आयोग के खाते में जमा की जा रही है और अब तक इस खाते में 7.95 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं. इसके साथ ही सरकार ने मंदिर न्यासों के निधि संग्रह के 15 प्रतिशत ‘गौ रक्षा राशि’ में देने का निर्णय लिया है. इससे हर साल लगभग 17 करोड़ रुपये जमा होने की संभावना है. इस राशि का उपयोग राज्य में 19,889 बेसहारा गौवंश का संरक्षण एवं पुनर्वास किया जाएगा. सरकार ने राज्य में गौवंश के संरक्षण के लिए अपनी पहली कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल उप-समिति का गठन करने का भी निर्णय लिया.

बड़े गौ आश्रयों के निर्माण की पहल

इसके अलावा राज्य सरकार ने साल 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के लिए गौ सेवा आयोग को 15.03 करोड़ अनुदान भी प्रदान किया है. उपलब्ध संसाधनों के अनुसार गौ सेवा आयोग ने गौसदन संचालकों के लिए नीति तैयार की है, जिसके तहत पुराने गौसदन, गौशाला और गौ अभ्यारण्य के संचालन के लिए प्रति गौवंश प्रतिमाह 500 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं. यह अनुदान केवल उन गौसदनों और गौशालाओं को वित्तीय सहायता के रूप में दिया जाता है, जिन्होंने कम से कम 30 गायों को आश्रय प्रदान किया है. अब तक गौसदन संचालकों को 1 करोड़ 25 लाख 65 हजार 500 रुपये वितरित किए हैं. प्रदेश भर में गैर सरकारी संगठनों की ओर से संचालित 186 गौसदनों में से 111 गौसदनों को पंजीकृत करने की औपचारिकता पूरी करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. राज्य ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और झारखंड जैसे अन्य राज्यों की तर्ज पर गौ सैंचुरी और बड़े गौ आश्रयों के निर्माण की भी पहल की है.

गौ सैंचुरी और गौ सदनों के लिए जारी राशि

हिमाचल प्रदेश में गौ सेवा आयोग ने पिछले दो सालों में नई गौ सैंचुरी और गौ सदनों की स्थापना और उन्हें सशक्त करने के लिए 17 करोड़ 9 लाख 4 हजार 370 रुपये की राशि जारी की है. आयोग पूरे प्रदेश में गौ सैंचुरी/बड़े गौ सदन स्थापित कर रहा है. अब तक जिला सिरमौर के कोटला बड़ोग में 1 करोड़ 67 हजार रुपये खर्च कर गौ सैंचुरी स्थापित की गई है. इसे बेसहारा गौवंश को आश्रय देने के लिए कार्यशील कर दिया गया है. जिला ऊना में थानाकलां खास में 2 करोड़ 03 लाख रुपये की राशि गौ सैंचुरी निर्माण के लिए जारी कर दी गई है. जिला सोलन में हांडा कुड़ी गौ-सैंचुरी के निर्माण के लिए 2 करोड़ 97 लाख) जारी किए गए हैं जिसके लिए काम शुरू किया जा चुका है. जिला हमीरपुर के खीरी में एक बड़े गौ सदन के निर्माण काम के लिए 2 करोड़ 56 लाख रुपये जारी किए गए हैं, जिसके निर्माण का काम जल्द ही पूरा होने की संभावना है.

विभिन्न जिलों के लिए जारी राशि

जिला चंबा के मंजीर में 1 करोड़ 66 लाख रुपये की अनुमानित लागत से गौ सैंचुरी के निर्माण का काम शुरू किया गया है. जिला कांगड़ा के लुथान, कुडांन, जयसिंहपुर और ज्वाली में अरण्य क्षेत्रों की स्थापना के लिए गौ सेवा आयोग की ओर से 4.00 करोड़ रुपये अग्रिम रूप से जारी किए गए हैं, जिससे जल्द ही इनका काम शुरू किया जा सके. जिला कांगड़ा के बाई अटारियां में मंदिर ट्रस्ट की ओर से संचालित गौशाला के लिए 77 लाख 90 लाख रुपये जारी किए गए हैं. आयोग ने जिला सोलन में पांच, ऊना में दो, बिलासपुर में एक, मंडी में चार, हमीरपुर में एक, शिमला में एक, सिरमौर में एक और कांगड़ा में चार नए गौ सदनों के निर्माण और विस्तार के लिए भी 2 करोड़ 80 लाख जारी किए हैं, जिनका निर्माण कार्य शीघ्र ही पूरा होने की संभावना है. इसके अलावा एनजीओ की और से चलाए जा रहे 186 गौसदनों के विस्तार और आवर्धन के बाद राज्य में और अधिक बेसहारा गौ वंश को आश्रय प्रदान किया जाएगा.

दो नए पशु अस्पताल खोले गए
सरकार ने पशुधन की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दो नए पशु अस्पताल भी खोले हैं और आठ पशु फार्मेसी को स्तरोन्नत कर पशु चिकित्सालय बनाया गया है. एक पशु चिकित्सालय को स्तरोन्नत कर उपमंडलीय पशु चिकित्सा बनाया गया है तथा इन चिकित्सालयों के सुचारू संचालन के लिए 27 पशु चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती की गई है. पशुपालन मंत्री और गौ सेवा आयोग अध्यक्ष ने कहा कि सभी गौ अभयारण्यों का निर्माण कार्य फरवरी, 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा और 10 हजार से अधिक बेसहारा गायों को आश्रय प्रदान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जनवरी, 2022 तक प्रदेश बेसहारा पशु मुक्त राज्य बन जाएगा.

राज्य में बेसहारा गायों का संरक्षण

प्रदेश सरकार के राज्य में बेसहारा गाय के संरक्षण के लिए भी उल्लेखनीय कदम उठा रहे हैं. यह प्रदेश में जीरो बजट फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के लिए भी सहायक सिद्ध होंगे. गाय के गोबर ओर गौमूत्र औषधीय गुण होते हैं और इनसे बने उत्पादों से प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. प्रदेश के प्रत्येक जिले में युवाओं को इसके द्वारा रोजगार और उद्यमियता से जोड़ा जाएगा और गौशालाएं इन उत्पादों के लिए कच्चा माल उपलब्ध करवाएंगी तथा उत्पाद किसानों और उद्यमियों द्वारा उपलब्ध करवाएं जाएंगे.

शिमला: राज्य सरकार प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में लोगों की ओर से बेसहारा छोड़े गए गौवंश के संरक्षण, पुनर्वास और उन्हें आश्रय देने के लिए अनेक प्रयास कर रही है. अब तक सरकार प्रदेश में 15,177 बेसहारा गौवंश को आश्रय देने में सफल रही है. राज्य सरकार ने बेसहारा गौवंश के संरक्षण और पुनर्वास के लिए फरवरी 2019 में ‘गौ सेवा आयोग’ का गठन किया है, जो वर्तमान राज्य सरकार का मुख्य एजेंडा था.

बेसहारा गौवंश का होगा संरक्षण एवं पुनर्वास

गौ सेवा आयोग के सुचारू संचालन हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने मार्च 2018 से शराब की प्रत्येक बोतल की बिक्री पर एक रुपये गौवंश सेस लगाने का निर्णय लिया. शराब के सेस से प्राप्त निधि गौ सेवा आयोग के खाते में जमा की जा रही है और अब तक इस खाते में 7.95 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं. इसके साथ ही सरकार ने मंदिर न्यासों के निधि संग्रह के 15 प्रतिशत ‘गौ रक्षा राशि’ में देने का निर्णय लिया है. इससे हर साल लगभग 17 करोड़ रुपये जमा होने की संभावना है. इस राशि का उपयोग राज्य में 19,889 बेसहारा गौवंश का संरक्षण एवं पुनर्वास किया जाएगा. सरकार ने राज्य में गौवंश के संरक्षण के लिए अपनी पहली कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल उप-समिति का गठन करने का भी निर्णय लिया.

बड़े गौ आश्रयों के निर्माण की पहल

इसके अलावा राज्य सरकार ने साल 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के लिए गौ सेवा आयोग को 15.03 करोड़ अनुदान भी प्रदान किया है. उपलब्ध संसाधनों के अनुसार गौ सेवा आयोग ने गौसदन संचालकों के लिए नीति तैयार की है, जिसके तहत पुराने गौसदन, गौशाला और गौ अभ्यारण्य के संचालन के लिए प्रति गौवंश प्रतिमाह 500 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं. यह अनुदान केवल उन गौसदनों और गौशालाओं को वित्तीय सहायता के रूप में दिया जाता है, जिन्होंने कम से कम 30 गायों को आश्रय प्रदान किया है. अब तक गौसदन संचालकों को 1 करोड़ 25 लाख 65 हजार 500 रुपये वितरित किए हैं. प्रदेश भर में गैर सरकारी संगठनों की ओर से संचालित 186 गौसदनों में से 111 गौसदनों को पंजीकृत करने की औपचारिकता पूरी करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. राज्य ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और झारखंड जैसे अन्य राज्यों की तर्ज पर गौ सैंचुरी और बड़े गौ आश्रयों के निर्माण की भी पहल की है.

गौ सैंचुरी और गौ सदनों के लिए जारी राशि

हिमाचल प्रदेश में गौ सेवा आयोग ने पिछले दो सालों में नई गौ सैंचुरी और गौ सदनों की स्थापना और उन्हें सशक्त करने के लिए 17 करोड़ 9 लाख 4 हजार 370 रुपये की राशि जारी की है. आयोग पूरे प्रदेश में गौ सैंचुरी/बड़े गौ सदन स्थापित कर रहा है. अब तक जिला सिरमौर के कोटला बड़ोग में 1 करोड़ 67 हजार रुपये खर्च कर गौ सैंचुरी स्थापित की गई है. इसे बेसहारा गौवंश को आश्रय देने के लिए कार्यशील कर दिया गया है. जिला ऊना में थानाकलां खास में 2 करोड़ 03 लाख रुपये की राशि गौ सैंचुरी निर्माण के लिए जारी कर दी गई है. जिला सोलन में हांडा कुड़ी गौ-सैंचुरी के निर्माण के लिए 2 करोड़ 97 लाख) जारी किए गए हैं जिसके लिए काम शुरू किया जा चुका है. जिला हमीरपुर के खीरी में एक बड़े गौ सदन के निर्माण काम के लिए 2 करोड़ 56 लाख रुपये जारी किए गए हैं, जिसके निर्माण का काम जल्द ही पूरा होने की संभावना है.

विभिन्न जिलों के लिए जारी राशि

जिला चंबा के मंजीर में 1 करोड़ 66 लाख रुपये की अनुमानित लागत से गौ सैंचुरी के निर्माण का काम शुरू किया गया है. जिला कांगड़ा के लुथान, कुडांन, जयसिंहपुर और ज्वाली में अरण्य क्षेत्रों की स्थापना के लिए गौ सेवा आयोग की ओर से 4.00 करोड़ रुपये अग्रिम रूप से जारी किए गए हैं, जिससे जल्द ही इनका काम शुरू किया जा सके. जिला कांगड़ा के बाई अटारियां में मंदिर ट्रस्ट की ओर से संचालित गौशाला के लिए 77 लाख 90 लाख रुपये जारी किए गए हैं. आयोग ने जिला सोलन में पांच, ऊना में दो, बिलासपुर में एक, मंडी में चार, हमीरपुर में एक, शिमला में एक, सिरमौर में एक और कांगड़ा में चार नए गौ सदनों के निर्माण और विस्तार के लिए भी 2 करोड़ 80 लाख जारी किए हैं, जिनका निर्माण कार्य शीघ्र ही पूरा होने की संभावना है. इसके अलावा एनजीओ की और से चलाए जा रहे 186 गौसदनों के विस्तार और आवर्धन के बाद राज्य में और अधिक बेसहारा गौ वंश को आश्रय प्रदान किया जाएगा.

दो नए पशु अस्पताल खोले गए
सरकार ने पशुधन की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दो नए पशु अस्पताल भी खोले हैं और आठ पशु फार्मेसी को स्तरोन्नत कर पशु चिकित्सालय बनाया गया है. एक पशु चिकित्सालय को स्तरोन्नत कर उपमंडलीय पशु चिकित्सा बनाया गया है तथा इन चिकित्सालयों के सुचारू संचालन के लिए 27 पशु चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती की गई है. पशुपालन मंत्री और गौ सेवा आयोग अध्यक्ष ने कहा कि सभी गौ अभयारण्यों का निर्माण कार्य फरवरी, 2021 तक पूरा कर लिया जाएगा और 10 हजार से अधिक बेसहारा गायों को आश्रय प्रदान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जनवरी, 2022 तक प्रदेश बेसहारा पशु मुक्त राज्य बन जाएगा.

राज्य में बेसहारा गायों का संरक्षण

प्रदेश सरकार के राज्य में बेसहारा गाय के संरक्षण के लिए भी उल्लेखनीय कदम उठा रहे हैं. यह प्रदेश में जीरो बजट फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के लिए भी सहायक सिद्ध होंगे. गाय के गोबर ओर गौमूत्र औषधीय गुण होते हैं और इनसे बने उत्पादों से प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. प्रदेश के प्रत्येक जिले में युवाओं को इसके द्वारा रोजगार और उद्यमियता से जोड़ा जाएगा और गौशालाएं इन उत्पादों के लिए कच्चा माल उपलब्ध करवाएंगी तथा उत्पाद किसानों और उद्यमियों द्वारा उपलब्ध करवाएं जाएंगे.

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