शिमला: वैश्विक महामारी कोविड-19 का सबसे ज्यादा असर प्रदेश में छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. फरवरी महीने से प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थान बंद पड़े हुए हैं और स्कूलों को खोलने के लिए अभी कोई तिथि भी तय नहीं हो पाई है. छात्रों के लिए घरों पर ऑनलाइन कक्षाएं शुरु की गई है.
पहली बार प्रदेश में छात्रों को पढ़ाने के लिए ऑनलाइन सिस्टम का सहारा लिया जा रहा है. इसमें कुछ खामियां भी है, लेकिन छात्रों की पढ़ाई पर असर न पड़े, इसके लिए सरकार ऑनलाइन स्टडी सिस्टम पर फोकस कर रही है. आने वाले समय के लिए इस सिस्टम को पूरी तरह से डेवलप करने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.
प्रदेश के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि ऑनलाइन स्टडी जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुकी है और आने वाले समय में इसकी बेहद आवश्यकता होगी. सरकार ऑनलाइन सिस्टम को पूरी तरह से तैयार करने पर ध्यान दे रही है, जिससे आने वाले समय में इस तरह की स्थिति सामने आने पर बच्चों को घर बैठे ही पढाई पूरी करवाई जा सके.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि दुनिया में टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया जाता है. हिंदुस्तान में भी कुछ प्रमुख विद्यालय इसका प्रयोग करते हैं, लेकिन सरकारी विद्यालय में सुविधाएं प्राप्त नहीं होती है. हिमाचल प्रदेश में सरकार ने प्रयत्न किया है कि ऑनलाइन शिक्षा और शिक्षा में टेक्नोलॉजी का प्रयोग बढ़ाया जाए..
प्रदेश के 27 सौ सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में से 21सौ स्कूलों में आईसीटीसी लैब्स चल रही है और 200 स्कूलों में आईसीटीसी लैब्स बनाने का काम अंडर प्रोसेस है. वहीं, एमएचआरडी की ओर से 218 अन्य स्कूलों में आईसीटीसी लैब्स बनाने को मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही वर्चुअल क्लासरूम को बढ़ावा दिया जाएगा.
कोविड-19 के इस दौर में स्कूल व कॉलेज बंद हैं. ऐसे में यह बेहद आवश्यक है कि छात्रों की पढ़ाई जारी रखी जा सके. इसके लिए सरकार आईटी के माध्यम को सुदृढ करने को लेकर हर संभव प्रयास करेगी, जिससे छात्रों को परेशानी न हो. इसके लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए छात्रों को पढ़ाया जा सके.