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Budget 2023-24 : ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट, सेब पैकिंग मेटीरियल पर GST कटौती और रेल विस्तार, हिमाचल को केंद्रीय बजट से बहुत आस - Himachal expectations from Budget

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण आज केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करेंगी. इस बजट से हर वर्ग ने उम्मीद लगाई हुई है. केंद्रीय बजट से हिमाचल की उम्मीद क्या है, जानने के लिए पढ़े पूरी ख़बर (Himachal expectations from Union Budget 2023) (Union Budget 2023-24) (Himachal expectations from Budget)

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Published : Jan 31, 2023, 1:53 PM IST

Updated : Feb 1, 2023, 8:34 AM IST

शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे घर हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय बजट से कई उम्मीदें हैं. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है और हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान डबल इंजन की सरकार का दाव खेला था, लेकिन भाजपा सत्ता में नहीं आ पाई. बेशक हिमाचल में कांग्रेस सरकार है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को भरोसा दिलाया है कि राज्य की हरसंभव मदद की जाएगी. ऐसे में हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय बजट से अपनी मांगों को लेकर उम्मीदें हैं.

निर्मला सीतारमण के बजट से हिमाचल की उम्मीद: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज बजट पेश करेंगी. वैसे तो केंद्रीय बजट स्टेट स्पेसेफिक नहीं होता है, लेकिन हिमाचल को अपनी मांगों के पूरा होने का भरोसा है. तय नियमों के अनुसार केंद्र का बजट आने से पहले राज्यों के साथ प्री-बजट बैठकें होती हैं. हिमाचल में चूंकि विधानसभा चुनाव सिर पर थे, लिहाजा केंद्र के साथ पिछले साल 28 नवंबर को ही ये बैठक हुई थी. उस बैठक में तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने हिस्सा लिया था. तब राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के समक्ष दो प्रमुख मांगें रखी थीं. उनमें हिमाचल में रेल, रोड व हवाई कनेक्टिविटी के विस्तार का मामला रखा था. इसके अलावा सेब उत्पादक राज्य के तौर पर हिमाचल ने सेब पैकिंग मेटेरियल पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने की मांग रखी थी. हिमाचल में इस सीजन में सेब पैकिंग मेटेरियल पर तत्कालीन राज्य सरकार ने जीएसटी को 12 फीसदी करने के लिए एक्स्ट्रा 6 फीसदी हिस्सा खुद वहन किया था. खैर, ये तो बात हुई हिमाचल सरकार की मांग की, अब देखते हैं कि राज्य को किस तरह की आस है.

मंडी में प्रस्तावित है हिमाचल का पहला इंटरनेशनल एयरपोर्ट
मंडी में प्रस्तावित है हिमाचल का पहला इंटरनेशनल एयरपोर्ट

मंडी इंडरनेशनल एयरपोर्ट- हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन सीमित हैं. ऐसे में बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए हिमाचल केंद्र की मदद पर निर्भर है. हिमाचल को 15वें वित्तायोग ने मंडी में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए 1000 करोड़ रुपए देने की सिफारिश की थी. उस सिफारिश पर केंद्र की तरफ से फिलहाल कोई खास रिस्पॉन्स नहीं आया था. हिमाचल को आशा है कि केंद्र सरकार पंद्रहवें वित्तायोग की सिफारिश को स्वीकार कर इस प्रोजेक्ट के लिए मदद करेगी.

हिमाचल में रेल विस्तार ना के बराबर
हिमाचल में रेल विस्तार ना के बराबर

हिमाचल में रेल विस्तार- अब रेल बजट अलग से नहीं आता है. केंद्रीय बजट में ही रेल बजट इंक्लूड किया जाता है. हिमाचल में रेल विस्तार का मामला दशकों से लटका हुआ है. ऊना से हमीरपुर रेल लाइन का मामला सिरे नहीं चढ़ा है. कालका-शिमला रेल मार्ग के आधुनिकीकरण को लेकर भी उम्मीद है. इसके अलावा रेल विस्तार के लंबित प्रोजेक्ट्स के लिए बजट के प्रावधान की आस भी हिमाचल को है. पांवटा साहिब से जगाधरी रेल लाइन उद्योग जगत की मांग है. इसी तरह से बद्दी-चंडीगढ़ रेल लाइन के लिए भी हिमाचल की मांग निरंतर चली आ रही है. भानुपल्ली, बिलासपुर-मनाली-लेह रेल मार्ग के मुआवजे और भूमि अधिग्रहण के कुछ मसले हैं. उनके लिए केंद्र से कुछ घोषणा की आशा है. ऊना से हमीरपुर रेल मार्ग तो सांसद अनुराग ठाकुर की भी ड्रीम परियोजनाओं में से एक है. देखना है कि वे इसके लिए केंद्र के समक्ष किस तरह की पैरवी करते हैं.

सेब उत्पादक कर रहे हैं विदेशी सेब पर शुल्क बढ़ाने की मांग
सेब उत्पादक कर रहे हैं विदेशी सेब पर शुल्क बढ़ाने की मांग

बागवानों को उम्मीद- सेब हिमाचल की पहचान है, जिसपर हिमाचल की आर्थिकी भी टिकी हुई है. हिमाचल में सेब उत्पादकों के लिए विदेश से आयात होने वाले सेब पर शुल्क को सौ फीसदी करने की मांग दशकों पुरानी है. इस मांग को लेकर बागवानों ने कई आंदोलन भी किए हैं. राज्य सरकारें भी केंद्र के समक्ष इस मसले को उठाती हैं, लेकिन किसी सरकार ने सेब पर आयात शुल्क को सौ फीसदी नहीं किया है. इसकी मार हिमाचल के बागवानों पर पड़ती है. सेब के लिए पैकिंग मेटेरियल को भी सस्ता किए जाने की बागवानों ने मांग उठाई है.

आयकर छूट में राहत की आस- इसके अलावा हिमाचल प्रदेश का टैक्स अदा करने वाला वर्ग टैक्स स्लैब में राहत चाहता है. ये उम्मीद हर बजट में रहती है. काफी समय से केंद्र ने टैक्स स्लैब को लेकर कोई बड़ी राहत नहीं दी है. हिमाचल को उम्मीद है कि इस बार बजट में कुछ राहत मिल सकती है.

इसके अलावा केंद्र सरकार से हाटी समुदाय को जनजातीय का दर्जा देने की अगली प्रक्रिया को तेज करने की आशा है. चुनाव से पूर्व केंद्र सरकार ने सिरमौर के हाटी समुदाय की छह दशक पुरानी मांग को पूरा किया था. मोदी कैबिनेट ने हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने की मांग को हरी झंडी दे दी है लेकिन अब आगे की प्रक्रिया को लेकर उम्मीद है. हालांकि ये बजट से जुड़ा मामला नहीं है, लेकिन जहां इस समुदाय की आबादी है, वहां के विकास के लिए कोई योजना या धन का प्रावधान हो सकता है.

रेल और हवाई यातायात सबसे बड़ा मुद्दा
रेल और हवाई यातायात सबसे बड़ा मुद्दा

कनेक्टिविटी सबसे बड़ा मुद्दा- हिमाचल में सड़क ही सबसे बड़ा कनेक्टिविटी का साधन है. पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में सड़कें भी ना के बराबर है. हिमाचल की आर्थिकी मुख्य रूप से सेब और पर्यटन से जुड़ी है. दोनों ही सेक्टर के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग से कनेक्टिविटी जरूरी है. ताकि पर्यटक अधिक से अधिक संख्या में हिमाचल पहुंच सके और हिमाचल का सेब जल्द से जल्द देश और विदेश तक पहुंचे. कनेक्टिविटी की कमी के कारण इन दोनों क्षेत्रों को वो फायदा नहीं मिल पाता जो मिलना चाहिए. इसके अलावा इंडस्ट्री सेक्टर से लेकर आम लोगों की भी कनेक्टिविटी को लेकर मांग बहुत पुरानी है. इसके अलावा ऊना में बल्क ड्रग पार्क के काम में तेजी के लिए कोई घोषणा हो सकती है. बल्क ड्रग पार्क को तेजी से पूरा करने के लिए कोई ऐलान हो, ये उद्योग जगत की प्रमुख मांग कनेक्टिविटी की है. माल को पहुंचाने के लिए रेल विस्तार और औद्योगिक क्षेत्रों में सडक़ों की दशा सुधारने की मांग है. हवाई सेवा को बढ़ाने की भी मांग है.

ऊना में बनने वाले बल्क ड्रग पार्क के लिए बजट की उम्मीद
ऊना में बनने वाले बल्क ड्रग पार्क के लिए बजट की उम्मीद

हिमाचल सरकार के पूर्व वित्त सचिव केआर भारती का मानना है कि केंद्र के बजट से वैसे तो राज्यों को सीधे तौर पर कोई मदद नहीं मिलती, लेकिन राज्य विशेष की परिस्थितियों के हिसाब से कोई प्रोजेक्ट घोषित हो सकता है. हिमाचल के लिए तो सबसे बड़ा मसला कनेक्टिविटी का है. इसके अलावा सेब के आयात शुल्क को सौ फीसदी करना हिमाचल की पुरानी मांग है. हिमाचल में उद्योगों व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अलग से प्रोजेक्ट मिलना चाहिए. टूरिस्ट सर्किट विकसित करने के लिए केंद्र को हिमाचल की मदद करनी चाहिए.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय अन्थवाल का कहना है कि हिमाचल में सरकारी कर्मचारी अधिक संख्या में है. इसके अलावा आय बढऩे से नए लोग आयकर के दायरे में आए हैं. ऐसे में हिमाचल की जनता को टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी की आशा है. हिमाचल को केंद्र से विभिन्न सेक्टर्स के लिए मदद मिलनी चाहिए, कारण ये है कि पहाड़ी राज्य के पास खुद के संसाधन सीमित हैं. वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मानते हैं कि हिमाचल को केंद्र से रेल विस्तार व सेब पैकिंग मेटेरियल में जीएसटी में छूट मिलनी चाहिए. उनका कहना है कि राज्य सरकार केंद्र को हिमाचल की जरूरतों के बारे में समय-समय पर अवगत करवाती रहेगी. बजट में राज्य को केंद्र से बहुत उम्मीदें हैं.

उधर हिमाचल के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि बजट से हर बार की तरह हिमाचल को उम्मीद तो बहुत है लेकिन हिमाचल को आज तक बजट में सिर्फ झुनझुना ही मिला है. उन्होंने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा था कि पीएम मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं तो शायद 10 बाद उन्हें अपने दूसरे घर की याद आ जाए और हिमाचल को बजट में कुछ मिल जाए.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी के दूसरे घर को केंद्रीय बजट में मिलता रहा है झुनझुना, इस बार भी खास उम्मीद नहीं- विक्रमादित्य सिंह

शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे घर हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय बजट से कई उम्मीदें हैं. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है और हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान डबल इंजन की सरकार का दाव खेला था, लेकिन भाजपा सत्ता में नहीं आ पाई. बेशक हिमाचल में कांग्रेस सरकार है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को भरोसा दिलाया है कि राज्य की हरसंभव मदद की जाएगी. ऐसे में हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय बजट से अपनी मांगों को लेकर उम्मीदें हैं.

निर्मला सीतारमण के बजट से हिमाचल की उम्मीद: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज बजट पेश करेंगी. वैसे तो केंद्रीय बजट स्टेट स्पेसेफिक नहीं होता है, लेकिन हिमाचल को अपनी मांगों के पूरा होने का भरोसा है. तय नियमों के अनुसार केंद्र का बजट आने से पहले राज्यों के साथ प्री-बजट बैठकें होती हैं. हिमाचल में चूंकि विधानसभा चुनाव सिर पर थे, लिहाजा केंद्र के साथ पिछले साल 28 नवंबर को ही ये बैठक हुई थी. उस बैठक में तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने हिस्सा लिया था. तब राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के समक्ष दो प्रमुख मांगें रखी थीं. उनमें हिमाचल में रेल, रोड व हवाई कनेक्टिविटी के विस्तार का मामला रखा था. इसके अलावा सेब उत्पादक राज्य के तौर पर हिमाचल ने सेब पैकिंग मेटेरियल पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने की मांग रखी थी. हिमाचल में इस सीजन में सेब पैकिंग मेटेरियल पर तत्कालीन राज्य सरकार ने जीएसटी को 12 फीसदी करने के लिए एक्स्ट्रा 6 फीसदी हिस्सा खुद वहन किया था. खैर, ये तो बात हुई हिमाचल सरकार की मांग की, अब देखते हैं कि राज्य को किस तरह की आस है.

मंडी में प्रस्तावित है हिमाचल का पहला इंटरनेशनल एयरपोर्ट
मंडी में प्रस्तावित है हिमाचल का पहला इंटरनेशनल एयरपोर्ट

मंडी इंडरनेशनल एयरपोर्ट- हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन सीमित हैं. ऐसे में बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए हिमाचल केंद्र की मदद पर निर्भर है. हिमाचल को 15वें वित्तायोग ने मंडी में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए 1000 करोड़ रुपए देने की सिफारिश की थी. उस सिफारिश पर केंद्र की तरफ से फिलहाल कोई खास रिस्पॉन्स नहीं आया था. हिमाचल को आशा है कि केंद्र सरकार पंद्रहवें वित्तायोग की सिफारिश को स्वीकार कर इस प्रोजेक्ट के लिए मदद करेगी.

हिमाचल में रेल विस्तार ना के बराबर
हिमाचल में रेल विस्तार ना के बराबर

हिमाचल में रेल विस्तार- अब रेल बजट अलग से नहीं आता है. केंद्रीय बजट में ही रेल बजट इंक्लूड किया जाता है. हिमाचल में रेल विस्तार का मामला दशकों से लटका हुआ है. ऊना से हमीरपुर रेल लाइन का मामला सिरे नहीं चढ़ा है. कालका-शिमला रेल मार्ग के आधुनिकीकरण को लेकर भी उम्मीद है. इसके अलावा रेल विस्तार के लंबित प्रोजेक्ट्स के लिए बजट के प्रावधान की आस भी हिमाचल को है. पांवटा साहिब से जगाधरी रेल लाइन उद्योग जगत की मांग है. इसी तरह से बद्दी-चंडीगढ़ रेल लाइन के लिए भी हिमाचल की मांग निरंतर चली आ रही है. भानुपल्ली, बिलासपुर-मनाली-लेह रेल मार्ग के मुआवजे और भूमि अधिग्रहण के कुछ मसले हैं. उनके लिए केंद्र से कुछ घोषणा की आशा है. ऊना से हमीरपुर रेल मार्ग तो सांसद अनुराग ठाकुर की भी ड्रीम परियोजनाओं में से एक है. देखना है कि वे इसके लिए केंद्र के समक्ष किस तरह की पैरवी करते हैं.

सेब उत्पादक कर रहे हैं विदेशी सेब पर शुल्क बढ़ाने की मांग
सेब उत्पादक कर रहे हैं विदेशी सेब पर शुल्क बढ़ाने की मांग

बागवानों को उम्मीद- सेब हिमाचल की पहचान है, जिसपर हिमाचल की आर्थिकी भी टिकी हुई है. हिमाचल में सेब उत्पादकों के लिए विदेश से आयात होने वाले सेब पर शुल्क को सौ फीसदी करने की मांग दशकों पुरानी है. इस मांग को लेकर बागवानों ने कई आंदोलन भी किए हैं. राज्य सरकारें भी केंद्र के समक्ष इस मसले को उठाती हैं, लेकिन किसी सरकार ने सेब पर आयात शुल्क को सौ फीसदी नहीं किया है. इसकी मार हिमाचल के बागवानों पर पड़ती है. सेब के लिए पैकिंग मेटेरियल को भी सस्ता किए जाने की बागवानों ने मांग उठाई है.

आयकर छूट में राहत की आस- इसके अलावा हिमाचल प्रदेश का टैक्स अदा करने वाला वर्ग टैक्स स्लैब में राहत चाहता है. ये उम्मीद हर बजट में रहती है. काफी समय से केंद्र ने टैक्स स्लैब को लेकर कोई बड़ी राहत नहीं दी है. हिमाचल को उम्मीद है कि इस बार बजट में कुछ राहत मिल सकती है.

इसके अलावा केंद्र सरकार से हाटी समुदाय को जनजातीय का दर्जा देने की अगली प्रक्रिया को तेज करने की आशा है. चुनाव से पूर्व केंद्र सरकार ने सिरमौर के हाटी समुदाय की छह दशक पुरानी मांग को पूरा किया था. मोदी कैबिनेट ने हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने की मांग को हरी झंडी दे दी है लेकिन अब आगे की प्रक्रिया को लेकर उम्मीद है. हालांकि ये बजट से जुड़ा मामला नहीं है, लेकिन जहां इस समुदाय की आबादी है, वहां के विकास के लिए कोई योजना या धन का प्रावधान हो सकता है.

रेल और हवाई यातायात सबसे बड़ा मुद्दा
रेल और हवाई यातायात सबसे बड़ा मुद्दा

कनेक्टिविटी सबसे बड़ा मुद्दा- हिमाचल में सड़क ही सबसे बड़ा कनेक्टिविटी का साधन है. पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में सड़कें भी ना के बराबर है. हिमाचल की आर्थिकी मुख्य रूप से सेब और पर्यटन से जुड़ी है. दोनों ही सेक्टर के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग से कनेक्टिविटी जरूरी है. ताकि पर्यटक अधिक से अधिक संख्या में हिमाचल पहुंच सके और हिमाचल का सेब जल्द से जल्द देश और विदेश तक पहुंचे. कनेक्टिविटी की कमी के कारण इन दोनों क्षेत्रों को वो फायदा नहीं मिल पाता जो मिलना चाहिए. इसके अलावा इंडस्ट्री सेक्टर से लेकर आम लोगों की भी कनेक्टिविटी को लेकर मांग बहुत पुरानी है. इसके अलावा ऊना में बल्क ड्रग पार्क के काम में तेजी के लिए कोई घोषणा हो सकती है. बल्क ड्रग पार्क को तेजी से पूरा करने के लिए कोई ऐलान हो, ये उद्योग जगत की प्रमुख मांग कनेक्टिविटी की है. माल को पहुंचाने के लिए रेल विस्तार और औद्योगिक क्षेत्रों में सडक़ों की दशा सुधारने की मांग है. हवाई सेवा को बढ़ाने की भी मांग है.

ऊना में बनने वाले बल्क ड्रग पार्क के लिए बजट की उम्मीद
ऊना में बनने वाले बल्क ड्रग पार्क के लिए बजट की उम्मीद

हिमाचल सरकार के पूर्व वित्त सचिव केआर भारती का मानना है कि केंद्र के बजट से वैसे तो राज्यों को सीधे तौर पर कोई मदद नहीं मिलती, लेकिन राज्य विशेष की परिस्थितियों के हिसाब से कोई प्रोजेक्ट घोषित हो सकता है. हिमाचल के लिए तो सबसे बड़ा मसला कनेक्टिविटी का है. इसके अलावा सेब के आयात शुल्क को सौ फीसदी करना हिमाचल की पुरानी मांग है. हिमाचल में उद्योगों व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अलग से प्रोजेक्ट मिलना चाहिए. टूरिस्ट सर्किट विकसित करने के लिए केंद्र को हिमाचल की मदद करनी चाहिए.

वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय अन्थवाल का कहना है कि हिमाचल में सरकारी कर्मचारी अधिक संख्या में है. इसके अलावा आय बढऩे से नए लोग आयकर के दायरे में आए हैं. ऐसे में हिमाचल की जनता को टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी की आशा है. हिमाचल को केंद्र से विभिन्न सेक्टर्स के लिए मदद मिलनी चाहिए, कारण ये है कि पहाड़ी राज्य के पास खुद के संसाधन सीमित हैं. वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मानते हैं कि हिमाचल को केंद्र से रेल विस्तार व सेब पैकिंग मेटेरियल में जीएसटी में छूट मिलनी चाहिए. उनका कहना है कि राज्य सरकार केंद्र को हिमाचल की जरूरतों के बारे में समय-समय पर अवगत करवाती रहेगी. बजट में राज्य को केंद्र से बहुत उम्मीदें हैं.

उधर हिमाचल के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि बजट से हर बार की तरह हिमाचल को उम्मीद तो बहुत है लेकिन हिमाचल को आज तक बजट में सिर्फ झुनझुना ही मिला है. उन्होंने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा था कि पीएम मोदी हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं तो शायद 10 बाद उन्हें अपने दूसरे घर की याद आ जाए और हिमाचल को बजट में कुछ मिल जाए.

ये भी पढ़ें: पीएम मोदी के दूसरे घर को केंद्रीय बजट में मिलता रहा है झुनझुना, इस बार भी खास उम्मीद नहीं- विक्रमादित्य सिंह

Last Updated : Feb 1, 2023, 8:34 AM IST
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