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शिक्षा मंत्री के गृह जिला में अनूठा मामला, एक स्कूल में दो बच्चे और चार टीचर, अब सरकार ने लिया ये फैसला

हिमाचल सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों के युक्तिकरण का फैसला लिया है. शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि सरकार ने स्कूलों को फंक्शनल रखने के नए मापदंड तय किए हैं. अब प्राइमरी स्कूल फंक्शनल रखने के लिए न्यूनतम दस छात्र की शर्त रहेगी. पढ़ें पूरी खबर...

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर
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Published : Mar 5, 2023, 3:13 PM IST

शिमला: सरकारी सिस्टम में यदि समय-समय पर विभागों की समीक्षा न हो तो अजीब हालात पैदा हो जाते हैं. हिमाचल के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के गृह जिला शिमला में एक अनोखा मामला सामने आया. ऊपरी शिमला के ननखड़ी विकास खंड में एक मिडिल स्कूल ऐसा है, जिसमें सिर्फ दो छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. हैरानी की बात है कि इस स्कूल में चार अध्यापक हैं. वैसे तो यहां पांच अध्यापक थे, लेकिन एक सेवानिवृत हो गया. यही नहीं, स्कूल में एक चपरासी व एक मिड डे मील कर्मचारी भी है. वहीं, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने रविवार को शिमला में खुद बताया कि प्रदेश में 3000 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक ही अध्यापक पढ़ा रहा है. यानी शिक्षा विभाग में युक्तिकरण की जरूरत है.

अब ऐसे ही उदाहरण सामने आने के बाद खुद शिक्षा निदेशक (प्रारंभिक) घनश्याम चंद ने भी पंचायतों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि वे ऐसे स्कूलों के बारे में शिक्षा विभाग को सूचित करें. वहीं, रविवार को शिमला में मीडिया से बातचीत में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि सरकार स्कूलों का युक्तिकरण करेगी. स्कूलों को फंक्शनल रखने के मापदंड भी तय किए गए हैं. प्राइमरी स्कूल फंक्शनल रखने के लिए न्यूनतम दस छात्र की शर्त है.

उल्लेखनीय है कि रामपुर के ननखड़ी ब्लॉक की शोली पंचायत में लोहटी मिडिल स्कूल चल रहा है. इस स्कूल में केवल दो छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. कुल चार अध्यापक पढ़ाने वाले हैं. एक अध्यापक यहां सेवानिवृत हुआ है. बताया जा रहा है कि जो अध्यापक सेवानिवृत हुआ, उसकी नियुक्ति भी यहीं हुई थी और सेवानिवृति भी. यानी उस अध्यापक ने पूरा सेवाकाल इसी स्कूल में बिताया. ऐसे मामले सामने आने के बाद शिक्षा विभाग सतर्क हुआ है.

ग्रामीणों ने शिक्षा मंत्री के संज्ञान में भी मामला लाया. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले सत्र में एक ही छात्र था और अध्यापक पांच थे. अब दो छात्र हो गए हैं और अध्यापक चार हैं. इसी स्कूल में तीन अध्यापक तो ऐसे हैं, जो नौ साल से यहीं पढ़ा रहे हैं. हैरानी की बात है कि उनकी ट्रांसफर भी नहीं हुई और न ही विभाग ने इस मामले की सुध ली. इस समय स्कूल में दो छात्रों को पढ़ाने के लिए एक टीजीटी आर्ट्स, दो टीजीटी नॉन मेडिकल व एक ड्राइंग मास्टर है. फिलहाल, अब सरकार ने स्कूलों के युक्तिकरण का फैसला लिया है और जिन स्कूलों में जरूरत से अधिक टीचर्स हैं, उन्हें कम अध्यापक वाले स्कूलों में भेजा जाएगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में जीरो एनरोलमेंट वाले 228 प्राइमरी व 56 मिडल स्कूल बंद, स्कूल फंक्शनल करने के मापदंड तय

शिमला: सरकारी सिस्टम में यदि समय-समय पर विभागों की समीक्षा न हो तो अजीब हालात पैदा हो जाते हैं. हिमाचल के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के गृह जिला शिमला में एक अनोखा मामला सामने आया. ऊपरी शिमला के ननखड़ी विकास खंड में एक मिडिल स्कूल ऐसा है, जिसमें सिर्फ दो छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. हैरानी की बात है कि इस स्कूल में चार अध्यापक हैं. वैसे तो यहां पांच अध्यापक थे, लेकिन एक सेवानिवृत हो गया. यही नहीं, स्कूल में एक चपरासी व एक मिड डे मील कर्मचारी भी है. वहीं, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने रविवार को शिमला में खुद बताया कि प्रदेश में 3000 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक ही अध्यापक पढ़ा रहा है. यानी शिक्षा विभाग में युक्तिकरण की जरूरत है.

अब ऐसे ही उदाहरण सामने आने के बाद खुद शिक्षा निदेशक (प्रारंभिक) घनश्याम चंद ने भी पंचायतों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि वे ऐसे स्कूलों के बारे में शिक्षा विभाग को सूचित करें. वहीं, रविवार को शिमला में मीडिया से बातचीत में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि सरकार स्कूलों का युक्तिकरण करेगी. स्कूलों को फंक्शनल रखने के मापदंड भी तय किए गए हैं. प्राइमरी स्कूल फंक्शनल रखने के लिए न्यूनतम दस छात्र की शर्त है.

उल्लेखनीय है कि रामपुर के ननखड़ी ब्लॉक की शोली पंचायत में लोहटी मिडिल स्कूल चल रहा है. इस स्कूल में केवल दो छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. कुल चार अध्यापक पढ़ाने वाले हैं. एक अध्यापक यहां सेवानिवृत हुआ है. बताया जा रहा है कि जो अध्यापक सेवानिवृत हुआ, उसकी नियुक्ति भी यहीं हुई थी और सेवानिवृति भी. यानी उस अध्यापक ने पूरा सेवाकाल इसी स्कूल में बिताया. ऐसे मामले सामने आने के बाद शिक्षा विभाग सतर्क हुआ है.

ग्रामीणों ने शिक्षा मंत्री के संज्ञान में भी मामला लाया. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले सत्र में एक ही छात्र था और अध्यापक पांच थे. अब दो छात्र हो गए हैं और अध्यापक चार हैं. इसी स्कूल में तीन अध्यापक तो ऐसे हैं, जो नौ साल से यहीं पढ़ा रहे हैं. हैरानी की बात है कि उनकी ट्रांसफर भी नहीं हुई और न ही विभाग ने इस मामले की सुध ली. इस समय स्कूल में दो छात्रों को पढ़ाने के लिए एक टीजीटी आर्ट्स, दो टीजीटी नॉन मेडिकल व एक ड्राइंग मास्टर है. फिलहाल, अब सरकार ने स्कूलों के युक्तिकरण का फैसला लिया है और जिन स्कूलों में जरूरत से अधिक टीचर्स हैं, उन्हें कम अध्यापक वाले स्कूलों में भेजा जाएगा.

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