शिमला: लगता है सुखविंदर सरकार में अफसरशाही कन्फ्यूज है. वीरवार को दिन में पहले स्कूलों के सालाना समारोह मनाने पर रोक लगाई गई और फिर थोड़ी देर बाद यह आदेश वापस वापस ले लिया गया. हालांकि सालाना समारोहों के आयोजन के पीछे कुछ कक्षाओं की परीक्षाएं होना बताया जा था, लेकिन इसके बाद फैसला वापस ले लिया गया. सरकार का चंद घटों में लिए फैसले से पलटने से लोगों में यही संदेश गया है कि सरकार में बैठे अफसर अपने फैसले नहीं ले पा रहे हैं.
उच्च शिक्षा निदेशक की ओर जारी किए गए दोनों आदेश: शिक्षा विभाग ने सालाना समारोह के संबंध में जो लैटर जारी किए हैं, वो उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा की ओर से जारी हुए हैं. ये लैटर सभी उप निदेशकों को जारी किए गए हैं. पहले आदेश में साफ कहा गया है कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान में वार्षिक कार्यक्रम नहीं करवाया जा सकेगा. हालांकि वजह का जिक्र इन आदेशों में नहीं है. लेकिन माना जा रहा है कि मैट्रिक और जमा दो की परक्षाओं के चलते यह फैसला विभाग ने लिया था. आदेशों पर अमल से संबंधित रिपोर्ट भी संबंधित उप शिक्षा निदेशकों से मांगी गई थी.
फिर पहले वाले आदेश को वापस लेने का जारी हुआ पत्र: सालाना समारोह बंद करवाने के आदेशों के बाद एक और पत्र शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा की ओर से जारी किया गया है. इसमें पहले के जारी आदेश को वापस लेने की बात कही गई है. इस तरह एक ही दिन में शिक्षा विभाग ने अपना फैसला वापस ले लिया.
कई स्कूलों ने स्थगित किए समारोह: शिक्षा विभाग द्वारा जारी सख्त आदेशों का हिमाचल शिक्षण संस्थानों पर भी असर देखने को मिला. कई स्कूलों में शुक्रवार और कुछ ने शनिवार को कार्यक्रम तय कर रखा था. शिक्षा निदेशालय के आदेश उप निदेशकों के माध्यम से मिलने के बाद इन संस्थानों के प्रशासन ने कार्यक्रम को स्थगित करने के आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन बाद में फैसला वापस लेने के आदेश जारी होने के बाद फिर से इन स्कूलों ने कार्यक्रम होने की सूचना दी. इस तरह स्कूल के शिक्षक भी हंसी के पात्र बन गए और कुछ ही घंटों में आदेश वापस लेने वासे शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भी किरकरी हुई है.
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