शिमला: छोटे और सधे हुए कदमों से सफर शुरू करने वाले हिमाचल के पांव अब विकास के शिखर पर अंगद की तरह जम रहे हैं. 75 बरस के सफर में हिमाचल ने कई क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है. छोटा पहाड़ी राज्य अपने गठन के बाद से 75 साल का सफर तय कर चुका है. वर्ष 1948 में 15 अप्रैल को 30 छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल का गठन हुआ था. अपने गठन के बाद से स्वतंत्र अस्तित्व के लिए संघर्षरत रहे हिमाचल ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. वर्ष 1971 में हिमाचल पूर्ण राज्य बन गया. उसके बाद से विकास की रफ्तार का आलम ये है कि कई क्षेत्रों में छोटे राज्य ने बड़े राज्यों को मात दी है. बात चाहे प्रति व्यक्ति आय, बिजली उत्पादन, फल उत्पादन, हर घर को नल से जल की हो या सामाजिक न्याय के तहत सामाजिक सुरक्षा पेंशन की, हिमाचल की विभिन्न सरकारों ने इस पहाड़ी प्रदेश को निरंतर विकास के पथ पर गतिमान रखा है.
30 रियासतों से हिमाचल बनने तक का सफर: ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के बाद 15 अप्रैल 1948 को हिमाचल का गठन हुआ था. तब छोटी-बड़ी तीस रियासतों को मिलाकर हिमाचल का गठन किया गया. हिमाचल गठन के दो साल बाद भारत ने संविधान को लागू करने का मील पत्थर 26 जनवरी 1950 को हासिल किया और उसी समय हिमाचल प्रदेश क्लास-3 अथवा क्लास-सी यानी ग श्रेणी का राज्य बना. हिमाचल में डॉ. वाईएस परमार इस प्रदेश को अपने ही तरीके से नई दिशा देने में जुटे थे. फिर विस्तार की प्रक्रिया में 1 जुलाई 1954 को बिलासपुर को हिमाचल में शामिल किया गया.
दो साल बाद ही 1 जुलाई 1956 को हिमाचल प्रदेश केंद्र शासित प्रदेश बना. फिर 1 नवंबर 1966 को पंजाब के पुनर्गठन के साथ ही कांगड़ा और पंजाब के अन्य पहाड़ी इलाके हिमाचल के साथ जोड़े गए हालांकि इसके बाद भी हिमाचल केंद्र शासित प्रदेश ही था. डॉ. वाईएस परमार हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे थे. डॉ. परमार व अन्य नेताओं के प्रयासों से दिसंबर 1970 को भारतीय संसद ने हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम पास किया. फिर केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार के समय हिमाचल प्रदेश को 25 जनवरी 1971 को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला. तब हिमाचल प्रदेश भारतीय गणराज्य का 18 वां राज्य बना था.
हिमाचल में सड़कों का जाल- उस समय हिमाचल में सडक़ों की लंबाई 250 किलोमीटर से भी कम थी. अब हिमाचल में सडक़ों की लंबाई 40 हजार किलोमीटर से अधिक है. चूंकि हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है और यहां रेल विस्तार तथा हवाई विस्तार की संभावनाएं कम हैं, लिहाजा विकास का सारा दारोमदार सडक़ों पर ही है. इसके अलावा 75 साल के सफर में हिमाचल प्रदेश उर्जा उत्पादन, फल उत्पादन में बेहतर प्रदर्शन के साथ ही विकास के अन्य सूचकांक में भी खरा उतर रहा है.
प्रति व्यक्ति आय 2 लाख पार- हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय इस समय दो लाख रुपए से अधिक है. ये आंकड़ा गर्व करने लायक है क्योंकि हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के समय साल 1971 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 651 रुपए थी. आठ साल पहले यानी वर्ष 2015 में हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय एक लाख पांच हजार रुपए सालाना थी. आठ साल में ये दोगुनी के करीब हो गई है. अब हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय 2,22,227 रुपए सालाना है. वर्ष 2011-12 में ये एक लाख रुपए सालाना से भी कम थी, तब प्रति व्यक्ति आय 87,721 रुपए थी. यदि कोरोना महामारी न होती तो प्रति व्यक्ति आय का ये आंकड़ा और भी चमकदार होती.
उपलब्धियां और भी हैं- हिमाचल प्रदेश ने पिछले 7 दशक में उपलब्धियों का जो आसमान छुआ है वो काबिले तारीफ है. पर्यटन राज्य और बागवानी प्रधान इस प्रदेश की कई उपलब्धियां हैं.
- -हिमाचल में पैदा बिजली देश को रोशन करती है. यहां 27436 मैगावाट उर्जा उत्पादन की क्षमता है. इस समय 10519 मैगावाट का दोहन हो रहा है.
- -हिमाचल देश की एप्पल बाउल है. यहां सालाना 2 से तीन करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. प्रदेश में 50 से अधिक विदेशी किस्मों के सेब उगाए जाते हैं. यहां 7.93 लाख टन फलों का उत्पादन है. इसमें 81.2 फीसदी हिस्सा सेब का है.
- -हिमाचल की विधानसभा देश की पहली ई-विधानसभा है. जिसकी कार्यप्रणाली देखने और सीखने के लिए देश के कई राज्यों और अन्य देशों के प्रतिनिधि भी पहुंचते हैं. अब यहां सचिवालय भी पेपरलेस होने जा रहा है.
- -हिमाचल देश का पहला ओडीएफ स्टेट यानी खुले में शौच मुक्त राज्य बना था.
- -हिमाचल में 3000 से अधिक स्वास्थ्य संस्थान हैं. यहां एम्स भी फंक्शनल हो चुका है और छह अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित रीजनल कैंसर सेंटर की सुविधा है.
- -गंभीर रूप से बीमार मरीजों को सहारा योजना के तहत प्रति माह तीन हजार रुपए सीधे खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं. हिमाचल कैंसर व अन्य रोगियों को ऐसी आर्थिक मदद देश का पहला राज्य है.
- -हिमाचल में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 650 ग्राम प्रतिदिन है. ये देश की औसत से कहीं आगे है. हिमाचल में 16.54 लाख मीट्रिक टन दूध उत्पादन है.
- -अटल टनल के पूरा होने से सैलानियों की आमद में निरंतर बढ़ोतरी हुई है. इस साल हिमाचल में सालाना दो करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य है.
- -साक्षरता के मोर्चे पर भी हिमाचल ने बेहतर काम किया है. यहां साक्षरता दर 87 फीसदी के करीब है. हिमाचल में 10758 प्राइमरी स्कूल हैं. कुल कॉलेजों की संख्या 166 है.
- -हिमाचल एशिया का फार्मा हब है. अब ऊना के हरोली में बल्क ड्रग फार्मा पार्क बनने से हिमाचल दुनिया का फार्मा सिरमौर हो जाएगा. सोलन जिले के बद्दी में देश की नामी फार्मा कंपनियों का बेस है.
चुनौतियों का पहाड़ भी- हिमाचल पर 75 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. हिमाचल को आर्थिक संसाधन जुटाने पर जोर देने की जरूरत है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में नशे जैसी सामाजिक बुराई यहां के विकास की चादर में काला दाग लगा रही है. वहीं, सडक़ दुर्घटनाओं में हर साल 1300 से अधिक लोगों की जान जाती है. इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है. हिमाचल में रेल और हवाई विस्तार की जरूरत है. ताकि पर्यटन को पंख लग सके और इससे राजस्व के साथ ही बेरोजगार युवाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे. हिमाचल में बेरोजगारों की फौज लगातार बढ़ रही है.
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