शिमला: सुक्खू सरकार द्वारा पूर्व की बीजेपी सरकार के राज में खोले गए संस्थानों को डिनोटिफाई करने के मामले में बीजेपी एक अभियान चलाएगी. भाजपा का ये हस्ताक्षर अभियान 25 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा. विधानसभा परिसर में हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक में ये फैसला लिया गया है. नेता विपक्ष जयराम ठाकुर की अगुवाई में हुई इस बैठक में बीजेपी विधायकों के साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप भी मौजूद थे.
बीजेपी का हस्ताक्षर अभियान- भाजपा प्रवक्ता और विधायक रणधीर शर्मा ने बताया कि विधायक दल की बैठक में कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई और विधायक दल की बैठक में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए हैं. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा पिछली सरकार में खोले गए संस्थानों को डिनोटिफाई करने का था. उन्होंने कहा कि जबसे कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है तब से केवल तुगलकी फरमान जारी हो रहे हैं और पूरे प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने अपने फरमानों को जारी करते हुए 619 सरकारी संस्थाओं को बंद कर दिया. इस फैसले के खिलाफ बीजेपी 25 जनवरी से 15 फरवीर तक उन स्थानों पर हस्ताक्षर अभियान चलाएगी जहां ये संस्थान बंद किए गए हैं.
हस्ताक्षर अभियान के बाद विरोध प्रदर्शन- रणधीर शर्मा ने कहा कि इन संस्थाओं को बंद करना प्रदेश हित में नहीं है. इस हस्ताक्षर अभियान के बाद पार्टी 15 फरवरी से 28 फरवरी तक जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शनों का आयोजन करेगी. जिसमें पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर विशेष रूप में उपस्थित रहेंगे. रणधीर शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से यह दफ्तर बंद हुए हैं यह हिमाचल प्रदेश के विकास और उन्नति पर सीधा सीधा प्रहार है. ऐसा लग रहा है कि हिमाचल प्रदेश में केवल कांग्रेस बंद एक्सप्रेस चल रही है.
रणधीर शर्मा ने बताया कि अभी तक प्रदेश की कांग्रेस सरकार 32 बिजली बोर्ड के कार्यालय बंद कर चुकी है ,इसी प्रकार 291 स्वास्थ्य संस्थान पीएचसी पर ताले लग चुके हैं, 3 तहसीलों को बंद कर दिया गया है, 20 उप तहसीलों को भी बंद कर दिया गया, 9 कानूनगो सर्कल भी बंद कर दिए गए हैं, इसी प्रकार 80 पटवार सर्कल, 17 आईटीआई 2 श्रम एवं रोजगार विभाग के कार्यालय, 2 रेवेन्यू सबडिवीजन, 16 पीडब्ल्यूडी सर्कल डिवीजन सबडिवीजन, 18 एसडीपीओ पुलिस स्टेशन पुलिस पोस्ट , 3 आयुर्वेद अस्पताल, 41 आयुर्वेदा स्वास्थ्य केंद्र 32 जल शक्ति विभाग के कार्यालय ,11 बि डि ओ दफ्तर और 40 अन्य विभागों को भी बंद कर दिया गया है.
रणधीर शर्मा ने कांग्रेस पर फिजूलखर्ची का आरोप लगाते हुए कहा कि छोटे से प्रदेश में मुख्यमंत्री के बाद उपमुख्यमंत्री बनाया है जबकि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी केवल दो उपमुख्यमंत्री हैं. यह समझ नहीं आता कि हिमाचल प्रदेश में उपमुख्यमंत्री की क्या जरूरत पड़ गई. प्रदेश में 7 मंत्रियों के साथ 6 सीपीएस की भी नियुक्ति कर दी गई, सीपीएस की नियुक्तियों से हिमाचल प्रदेश पर आर्थिक बोझ बढ़ा ही है. राजनीतिक नियुक्तियों की दृष्टि से 4 ऐसे पद वितरित कर दिए गए हैं जिनको कैबिनेट रैंक दिया गया है इससे भी हिमाचल प्रदेश पर आर्थिक बोझ पड़ा है.
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