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Himachal Assembly Winter Session: रेत और बजरी का दाम अब सरकार करेगी तय, जल उपकर आयोग की जगह अब जल आयोग

Himachal Assembly Winter Session: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के विंटर सेशन के अंतिम दिन आज स्टाम्प ड्यूटी एक्ट और जल आयोग से जुड़ा बिल पास हुआ. वहीं, वाटर सेस कमीशन से जुड़ा संशोधन बिल भी पारित हुआ है. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal Assembly Winter Session
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर.
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 23, 2023, 5:02 PM IST

Updated : Dec 23, 2023, 5:23 PM IST

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर.

शिमला: हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सदन में कई अहम बिल पास किए गए. स्टाम्प ड्यूटी एक्ट में संशोधन के अलावा जल आयोग से जुड़ा बिल पास हुआ. रेत बजरी के दाम अब सरकार तय करेगी. इसके लिए स्टाम्प ड्यूटी एक्ट में संशोधन किया गया. राजस्व मंत्री जगत नेगी से सदन में बिल पास होने के दौरान कहा कि माइनिंग लीज लेने वाले क्रशर मालिकों को लीज पर छह प्रतिशत स्टाम्प डयूटी देनी होगी. साथ ही कहा कि बढ़ी हुई स्टाम्प ड्यूटी के बावजूद वे रेत और बजरी का रेट नहीं बढ़ा सकते. विधानसभा में हिमाचल प्रदेश स्टाम्प डयूटी एक्ट द्वितीय संशोधन विधेयक बाद में पारित हो गया.

सदन में स्टाम्प ड्यूटी संशोधन एक्ट पर हुई चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री ने कहा कि औद्योगिक कंपनियां आपस में मर्जर कर देती हैं और इसकी एवज में सरकार को कुछ नहीं मिलता. ऐसी कम्पनियों पर कोई स्टाम्प डयूटी नहीं लगती, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता है. ऐसे में इन कंपनियों पर 8 फीसदी स्टांप ड्यूटी लगाए जाने का प्रावधान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसी तरह माइनिंग लीज पर पहले 5 फीसदी स्टांप ड्यूटी थी, जिसे एक प्रतिशत और बढ़ाया जा रहा है. मंत्री ने कहा कि यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है.

चर्चा में विपक्ष ने इस बिल के संदर्भ में कुछ आपत्तियां उठाईं. श्री नैना देवी जी से भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा का कहना था कि जब माइनिंग लीज पर सरकार स्टांप लेगी तो इसका सीधा असर रेत और बजरी के दाम पर होगा. इस से रेत व बजरी महंगी हो जाएगी. इसका भार आम जनता पर होगा. यह हिमाचल के हक में नहीं होगा. रणधीर शर्मा ने कहा कि कंपनियों की लीज डीड का मामला पहले से ही अदालत में है.

'हिमाचल में अन्य राज्यों से बिजली महंगी': विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार दुबई जाकर उद्योगपतियों को आकर्षित करने का काम कर रही है, वहीं राज्य में कारोबारियों के लिए इस तरह की शर्तें लगा रही है. इससे उद्योगपति हिमाचल में क्यों आएंगे, जबकि यहां पर बिजली भी दूसरे राज्यों से महंगी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि सीएम के पास ऐसी कौन सी जादू की छड़ी है जिससे हिमाचल को चार साल में साधन सम्पन्न बनाने की गारंटी दी जा रही है. इस तरह से टैक्स लगाकर आम जनता पर बोझ पड़ेगा.

'अंडा देने वाली मुर्गी को ही मारने की कोशिश': पूर्व उद्योग मंत्री और वर्तमान में भाजपा विधायक बिक्रम सिंह ने कहा कि सरकार अंडा देने वाली मुर्गी को ही मारने की कोशिश कर रही है. जब इस तरह की शर्तें यहां उद्योगों पर डाली जाएंगी तो कौन यहां पर निवेश करेगा? उन्होंने कहा कि सरकार के पास इस तरह की स्टांप ड्यूटी आदि लगाने की शक्ति नहीं है क्योंकि माइनिंग का मामला केंद्रीय एक्ट के तहत आता है.

भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने भी कहा कि कोई बीमारू यानी सिक यूनिट अगर मर्जर करता है तो इससे पहले उस यूनिट को सरकार सुविधाएं देती है. ऐसे में मर्जर के दौरान कौन स्टाॅम्प डयूटी देगा. इन आपत्तियों पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का कहना था कि सिक यूनिट हमेशा सक्षम कंपनी में मर्ज होती है और वो सक्षम कंपनी स्टॉम्प डयूटी दे सकती है. विपक्ष के विरोध के बीच बाद में सदन में बिल पारित हो गया.

हिमाचल में अब वाटर सेस कमीशन की जगह वाटर कमीशन: सदन में अंतिम दिन वाटर सेस कमीशन से जुड़ा संशोधन बिल भी पारित हुआ. अब वाटर सेस कमीशन जल आयोग में परिवर्तित होगा. शनिवार को इसे लेकर संशोधित विधेयक सदन में पारित कर दिया गया. उप मुख्यमंत्री मुकेश अगिनहोत्री ने सदन में यह विधेयक शुक्रवार को रखा था. आज यानी शनिवार को चर्चा के उपरान्त इसे पास किया गया. बिल पर चर्चा में भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि एक ही साल में सरकार संशोधन लेकर आ गई है आखिर इसकी जरूरत क्या है? उन्होंने कहा कि इस संशोधन का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि इस तरह का आयोग बनने से कई तरह की परेशानियां फिर से आएंगी. सिंचाई या पेयजल की योजनाएं बनाने के लिए भी फिर आयोग से मंजूरी लेनी होगी. आयोग ऐसे मामलों में बाधक बन जाएगा. उन्होंने जानना चाहा कि वाटर सेस से अब तक सरकार ने कितनी कमाई की है. उनका कहना था कि आयोग की शक्तियों को ज्यादा बढ़ाने से परेशानी होगी इसलिए सरकार बिल को वापस ले.

जवाब में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि चुनकर आए प्रतिनिधियों का काम कानून बनाना होता है न कि सिर्फ ट्रांसफर्स करना. केंद्र सरकार में जल आयोग बना हुआ है जिनके साथ तालमेल के लिए प्रदेश में भी जल आयोग बनाने की जरूरत महसूस हुई. इस वजह से ये संशोधित विधेयक लाया गया है. सरकार की अन्य कोई मंशा नहीं है. उन्होंने कहा कि आयोग बनने से कोई बदलाव नहीं होगा. उन्होंने सदन में बताया कि वाटर सेस से अभी तक 29 करोड़ रुपये की राशि मिल चुकी है. भाजपा विधायकों के विरोध के बीच ये बिल भी सदन में पास हो गया.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस की सरकार ने किसानों के साथ किया धोखा, झूठी गारंटियों का पर्दाफाश- जयराम ठाकुर

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर.

शिमला: हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सदन में कई अहम बिल पास किए गए. स्टाम्प ड्यूटी एक्ट में संशोधन के अलावा जल आयोग से जुड़ा बिल पास हुआ. रेत बजरी के दाम अब सरकार तय करेगी. इसके लिए स्टाम्प ड्यूटी एक्ट में संशोधन किया गया. राजस्व मंत्री जगत नेगी से सदन में बिल पास होने के दौरान कहा कि माइनिंग लीज लेने वाले क्रशर मालिकों को लीज पर छह प्रतिशत स्टाम्प डयूटी देनी होगी. साथ ही कहा कि बढ़ी हुई स्टाम्प ड्यूटी के बावजूद वे रेत और बजरी का रेट नहीं बढ़ा सकते. विधानसभा में हिमाचल प्रदेश स्टाम्प डयूटी एक्ट द्वितीय संशोधन विधेयक बाद में पारित हो गया.

सदन में स्टाम्प ड्यूटी संशोधन एक्ट पर हुई चर्चा के दौरान राजस्व मंत्री ने कहा कि औद्योगिक कंपनियां आपस में मर्जर कर देती हैं और इसकी एवज में सरकार को कुछ नहीं मिलता. ऐसी कम्पनियों पर कोई स्टाम्प डयूटी नहीं लगती, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता है. ऐसे में इन कंपनियों पर 8 फीसदी स्टांप ड्यूटी लगाए जाने का प्रावधान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसी तरह माइनिंग लीज पर पहले 5 फीसदी स्टांप ड्यूटी थी, जिसे एक प्रतिशत और बढ़ाया जा रहा है. मंत्री ने कहा कि यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है.

चर्चा में विपक्ष ने इस बिल के संदर्भ में कुछ आपत्तियां उठाईं. श्री नैना देवी जी से भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा का कहना था कि जब माइनिंग लीज पर सरकार स्टांप लेगी तो इसका सीधा असर रेत और बजरी के दाम पर होगा. इस से रेत व बजरी महंगी हो जाएगी. इसका भार आम जनता पर होगा. यह हिमाचल के हक में नहीं होगा. रणधीर शर्मा ने कहा कि कंपनियों की लीज डीड का मामला पहले से ही अदालत में है.

'हिमाचल में अन्य राज्यों से बिजली महंगी': विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार दुबई जाकर उद्योगपतियों को आकर्षित करने का काम कर रही है, वहीं राज्य में कारोबारियों के लिए इस तरह की शर्तें लगा रही है. इससे उद्योगपति हिमाचल में क्यों आएंगे, जबकि यहां पर बिजली भी दूसरे राज्यों से महंगी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि सीएम के पास ऐसी कौन सी जादू की छड़ी है जिससे हिमाचल को चार साल में साधन सम्पन्न बनाने की गारंटी दी जा रही है. इस तरह से टैक्स लगाकर आम जनता पर बोझ पड़ेगा.

'अंडा देने वाली मुर्गी को ही मारने की कोशिश': पूर्व उद्योग मंत्री और वर्तमान में भाजपा विधायक बिक्रम सिंह ने कहा कि सरकार अंडा देने वाली मुर्गी को ही मारने की कोशिश कर रही है. जब इस तरह की शर्तें यहां उद्योगों पर डाली जाएंगी तो कौन यहां पर निवेश करेगा? उन्होंने कहा कि सरकार के पास इस तरह की स्टांप ड्यूटी आदि लगाने की शक्ति नहीं है क्योंकि माइनिंग का मामला केंद्रीय एक्ट के तहत आता है.

भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल ने भी कहा कि कोई बीमारू यानी सिक यूनिट अगर मर्जर करता है तो इससे पहले उस यूनिट को सरकार सुविधाएं देती है. ऐसे में मर्जर के दौरान कौन स्टाॅम्प डयूटी देगा. इन आपत्तियों पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का कहना था कि सिक यूनिट हमेशा सक्षम कंपनी में मर्ज होती है और वो सक्षम कंपनी स्टॉम्प डयूटी दे सकती है. विपक्ष के विरोध के बीच बाद में सदन में बिल पारित हो गया.

हिमाचल में अब वाटर सेस कमीशन की जगह वाटर कमीशन: सदन में अंतिम दिन वाटर सेस कमीशन से जुड़ा संशोधन बिल भी पारित हुआ. अब वाटर सेस कमीशन जल आयोग में परिवर्तित होगा. शनिवार को इसे लेकर संशोधित विधेयक सदन में पारित कर दिया गया. उप मुख्यमंत्री मुकेश अगिनहोत्री ने सदन में यह विधेयक शुक्रवार को रखा था. आज यानी शनिवार को चर्चा के उपरान्त इसे पास किया गया. बिल पर चर्चा में भाजपा के विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि एक ही साल में सरकार संशोधन लेकर आ गई है आखिर इसकी जरूरत क्या है? उन्होंने कहा कि इस संशोधन का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि इस तरह का आयोग बनने से कई तरह की परेशानियां फिर से आएंगी. सिंचाई या पेयजल की योजनाएं बनाने के लिए भी फिर आयोग से मंजूरी लेनी होगी. आयोग ऐसे मामलों में बाधक बन जाएगा. उन्होंने जानना चाहा कि वाटर सेस से अब तक सरकार ने कितनी कमाई की है. उनका कहना था कि आयोग की शक्तियों को ज्यादा बढ़ाने से परेशानी होगी इसलिए सरकार बिल को वापस ले.

जवाब में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि चुनकर आए प्रतिनिधियों का काम कानून बनाना होता है न कि सिर्फ ट्रांसफर्स करना. केंद्र सरकार में जल आयोग बना हुआ है जिनके साथ तालमेल के लिए प्रदेश में भी जल आयोग बनाने की जरूरत महसूस हुई. इस वजह से ये संशोधित विधेयक लाया गया है. सरकार की अन्य कोई मंशा नहीं है. उन्होंने कहा कि आयोग बनने से कोई बदलाव नहीं होगा. उन्होंने सदन में बताया कि वाटर सेस से अभी तक 29 करोड़ रुपये की राशि मिल चुकी है. भाजपा विधायकों के विरोध के बीच ये बिल भी सदन में पास हो गया.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस की सरकार ने किसानों के साथ किया धोखा, झूठी गारंटियों का पर्दाफाश- जयराम ठाकुर

Last Updated : Dec 23, 2023, 5:23 PM IST
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