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डॉक्टर्स के एनपीए पर सालाना खर्च हो रहे 132 करोड़, भविष्य में NPA न देने से सरकारी खजाने को होगी 9 करोड़ की बचत - हिमाचल विधानसभा शीतकालीन सत्र 2023

Himachal Assembly Winter Session 2023: हिमाचल प्रदेश में सरकारी सेवाएं देने वाले डॉक्टर्स को निजी प्रैक्टिस न करने के लिए सरकार द्वारा एनपीए दिया जाता है, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने ये एनपीए बंद करने का फैसला लिया है. जिसकी अधिसूचना 24 मई को जारी कर दी गई है. हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी इसका जिक्र किया गया है.

Sukhu Govt Decision on Doctors NPA in Himachal
Sukhu Govt Decision on Doctors NPA in Himachal
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 23, 2023, 6:54 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकार स्वास्थ्य संस्थानों में सेवाएं दे रहे डॉक्टर्स को एनपीए यानी नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस देती है. सरकारी संस्थानों में तैनात डॉक्टर्स एनपीए के हकदार होते हैं और इसकी एवज में वे निजी प्रैक्टिस नहीं करते हैं. हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सरकार ने भविष्य में भर्ती होने वाले डॉक्टर्स के लिए एनपीए का प्रावधान बंद कर दिया है. इससे जुड़ी अधिसूचना इसी साल 24 मई को जारी की गई थी. अब एक बार फिर से एनपीए सुर्खियों में है.

NPA पर भाजपा विधायक ने पूछा सवाल: हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भाजपा विधायक डॉ. जनकराज ने एनपीए से जुड़ा सवाल किया था. डॉ. जनकराज खुद देश के एक नामी न्यूरो सर्जन हैं और सरकारी सेवा छोड़कर राजनीति में आए हैं. वे भरमौर से भाजपा टिकट पर निर्वाचित हुए हैं. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में डॉ. जनकराज ने सरकार से पूछा है कि एनपीए बंद करने का क्या कारण है. साथ ही ये सवाल भी किया था कि क्या हिमाचल में सरकारी सेवा में कार्यरत डॉक्टर्स को निजी प्रैक्टिस का लाइसेंस देने का विचार है?

NPA बंद करने पर सरकार का रिएक्शन: इस सवाल के जवाब में राज्य सरकार की तरफ से एनपीए बंद करने का कारण बताया गया है. साथ ही कहा गया है कि अभी जो डॉक्टर्स सेवाएं दे रहे हैं और जिन्हें एनपीए प्रदान किया जाता है, उस पर सालाना 132 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. निकट भविष्य में जितने भी डॉक्टर्स नियुक्त होंगे, उन्हें एनपीए नहीं दिया जाएगा. इससे सरकारी खजाने को सालाना 9 करोड़ रुपए की बचत होगी.

NPA बंद करने पर सरकार का तर्क: सरकार की तरफ से दिए गए जवाब में बताया गया है कि हिमाचल में एलोपैथी के डॉक्टर्स, डेंटल डॉक्टर्स, आयुर्वेदिक डॉक्टर्स और वेटरनरी डॉक्टर्स को एनपीए दिया जाता है. ये पहले से जारी व्यवस्था है. इस पर सालाना 132 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. एनपीए के कारण ही पेंशन की देनदारी भी अधिक है. सरकार का तर्क है कि अब मौजूदा समय में बड़ी संख्या में एलोपैथी, डेंटल व अन्य चिकित्सक उपलब्ध हैं, लिहाजा भविष्य में होने वाली नियुक्तियों में डॉक्टर्स को एनपीए नहीं दिया जाएगा.

निजी प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस? वहीं, दूसरे सवाल के जवाब में सरकार की तरफ से बताया गया है कि निकट भविष्य में डॉक्टर्स को निजी प्रैक्टिस का लाइसेंस देने की कोई मंशा नहीं है. यानी जो सरकारी सेवा में डॉक्टर्स तैनात हैं, वे पूर्ववत व्यवस्था के अनुसार निजी प्रैक्टिस नहीं करेंगे. उन्हें निजी प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस देने का कोई विचार नहीं है.

डॉक्टर्स का विरोध: उल्लेखनीय है कि हिमाचल में शुरू से ही सरकारी सेवा में तैनात डॉक्टर्स को एनपीए मिलता आया है, ताकि वे निजी प्रैक्टिस न कर सकें और जनता को सरकारी अस्पतालों में नियमित राउंड द क्लॉक सेवाएं मिल सकें. सुखविंदर सरकार ने सत्ता में आने के बाद निकट भविष्य में होने वाली नियुक्तियों के लिए एनपीए बंद करने का फैसला लिया है. डॉक्टर्स इस फैसले का विरोध करते रहे हैं. सरकार के साथ वार्ता के बाद सीएम ने डॉक्टर्स को इस मामले में विचार करने का भरोसा दिया था, लेकिन विधानसभा में सामने आए जवाब के बाद ये लगभग तय है कि निकट भविष्य की नियुक्तियों में एनपीए जारी रखने का सरकार का कोई इरादा नहीं है.

ये भी पढ़ें: गारंटियों को लेकर भाजपा आक्रामक, लोकसभा चुनाव में सुखविंदर सरकार के लिए सिरदर्द बनेंगे कांग्रेस के वादे

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकार स्वास्थ्य संस्थानों में सेवाएं दे रहे डॉक्टर्स को एनपीए यानी नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस देती है. सरकारी संस्थानों में तैनात डॉक्टर्स एनपीए के हकदार होते हैं और इसकी एवज में वे निजी प्रैक्टिस नहीं करते हैं. हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सरकार ने भविष्य में भर्ती होने वाले डॉक्टर्स के लिए एनपीए का प्रावधान बंद कर दिया है. इससे जुड़ी अधिसूचना इसी साल 24 मई को जारी की गई थी. अब एक बार फिर से एनपीए सुर्खियों में है.

NPA पर भाजपा विधायक ने पूछा सवाल: हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भाजपा विधायक डॉ. जनकराज ने एनपीए से जुड़ा सवाल किया था. डॉ. जनकराज खुद देश के एक नामी न्यूरो सर्जन हैं और सरकारी सेवा छोड़कर राजनीति में आए हैं. वे भरमौर से भाजपा टिकट पर निर्वाचित हुए हैं. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में डॉ. जनकराज ने सरकार से पूछा है कि एनपीए बंद करने का क्या कारण है. साथ ही ये सवाल भी किया था कि क्या हिमाचल में सरकारी सेवा में कार्यरत डॉक्टर्स को निजी प्रैक्टिस का लाइसेंस देने का विचार है?

NPA बंद करने पर सरकार का रिएक्शन: इस सवाल के जवाब में राज्य सरकार की तरफ से एनपीए बंद करने का कारण बताया गया है. साथ ही कहा गया है कि अभी जो डॉक्टर्स सेवाएं दे रहे हैं और जिन्हें एनपीए प्रदान किया जाता है, उस पर सालाना 132 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. निकट भविष्य में जितने भी डॉक्टर्स नियुक्त होंगे, उन्हें एनपीए नहीं दिया जाएगा. इससे सरकारी खजाने को सालाना 9 करोड़ रुपए की बचत होगी.

NPA बंद करने पर सरकार का तर्क: सरकार की तरफ से दिए गए जवाब में बताया गया है कि हिमाचल में एलोपैथी के डॉक्टर्स, डेंटल डॉक्टर्स, आयुर्वेदिक डॉक्टर्स और वेटरनरी डॉक्टर्स को एनपीए दिया जाता है. ये पहले से जारी व्यवस्था है. इस पर सालाना 132 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं. एनपीए के कारण ही पेंशन की देनदारी भी अधिक है. सरकार का तर्क है कि अब मौजूदा समय में बड़ी संख्या में एलोपैथी, डेंटल व अन्य चिकित्सक उपलब्ध हैं, लिहाजा भविष्य में होने वाली नियुक्तियों में डॉक्टर्स को एनपीए नहीं दिया जाएगा.

निजी प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस? वहीं, दूसरे सवाल के जवाब में सरकार की तरफ से बताया गया है कि निकट भविष्य में डॉक्टर्स को निजी प्रैक्टिस का लाइसेंस देने की कोई मंशा नहीं है. यानी जो सरकारी सेवा में डॉक्टर्स तैनात हैं, वे पूर्ववत व्यवस्था के अनुसार निजी प्रैक्टिस नहीं करेंगे. उन्हें निजी प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस देने का कोई विचार नहीं है.

डॉक्टर्स का विरोध: उल्लेखनीय है कि हिमाचल में शुरू से ही सरकारी सेवा में तैनात डॉक्टर्स को एनपीए मिलता आया है, ताकि वे निजी प्रैक्टिस न कर सकें और जनता को सरकारी अस्पतालों में नियमित राउंड द क्लॉक सेवाएं मिल सकें. सुखविंदर सरकार ने सत्ता में आने के बाद निकट भविष्य में होने वाली नियुक्तियों के लिए एनपीए बंद करने का फैसला लिया है. डॉक्टर्स इस फैसले का विरोध करते रहे हैं. सरकार के साथ वार्ता के बाद सीएम ने डॉक्टर्स को इस मामले में विचार करने का भरोसा दिया था, लेकिन विधानसभा में सामने आए जवाब के बाद ये लगभग तय है कि निकट भविष्य की नियुक्तियों में एनपीए जारी रखने का सरकार का कोई इरादा नहीं है.

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