शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने निचली अदालतों को आदेश दिए हैं कि वे पक्षकारों को गवाह पेश करने के लिए 3 से अधिक मौके न दें. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर जरूरी हो तो ही पक्षकारों को 3 से अधिक मौके दिए जा सकते हैं, लेकिन संबंधित जज को ऐसा किए जाने के ठोस कारणों का उल्लेख अपने आदेशों में करना होगा.
कोर्ट ने खेद जताया कि पहले भी हाईकोर्ट ने इस तरह के आदेश निचली अदालतों को दे रखे हैं. फिर भी ऐसे मामले आ रहे हैं जिनमें बिना कारण बताए पक्षकारों को बार-बार गवाह पेश करने के मौके दिए जा रहे हैं. कोर्ट ने ये आदेश निचली अदालत द्वारा 8 बार गवाह पेश न करने के बाद गवाहों को पेश करने के अवसर को बंद करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए दिए.
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हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में व्यवस्था दी कि निचली अदालतों द्वारा दिए गए अंतरिम आदेश उतनी ही प्रभावी होते हैं, जितने अंतिम आदेश. कोई भी पक्षकार ये कह कर कोर्ट के आदेशों की अवमानना नहीं कर सकता कि वे आदेश अंतरिम आदेश है और अभी अंतिम आदेश आना बाकी है.
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि निचली अदालतें अपने आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए कानून के तहत अपनी समर्थ शक्तियों का इस्तेमाल करने का क्षेत्राधिकार रखती है. कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा अपने आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए प्रार्थी को पुलिस सहायता प्रदान करने के आदशों को सही ठहराते हुए ये व्यवस्था दी.
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