शिमला: राजधानी शिमला के लोअर बाजार में अतिक्रमण को लेकर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. अदालत ने लोअर बाजार की प्रमुख सड़क पर तहबाजारियों और स्थानीय दुकानदारों द्वारा किए गए अतिक्रमण से जुड़े मामले में व्यापार मंडल व तहबाजारी संघ को भी प्रतिवादी बनाया है. हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने लोअर बाजार से अतिक्रमण व ओवर हैंगिंग हटाने के लिए नगर निगम प्रशासन को आदेश जारी किए हुए हैं. अदालती आदेश की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए एसपी शिमला को आदेश जारी किए गए हैं कि वो नगर निगम प्रशासन को लोअर बाजार से अतिक्रमण व ओवर हैंगिंग हटाने के लिए जरूरी सहायता प्रदान करे.
मामले की सुनवाई में अदालत को बताया गया कि नगर निगम शिमला में दिहाड़ीदारों के 47 पद खाली हैं. अदालत ने कहा कि इसे चिंता का विषय बताते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव को आदेश जारी किए हैं कि वो इस मामले को देखें और अपना शपथ पत्र अगली तारीख तक खंडपीठ के समक्ष दाखिल करें. हाई कोर्ट ने नगर निगम शिमला को यह छूट दी है कि वह अदालती आदेशों की अनुपालना करने के लिए दैनिक वेतन भोगी के तौर पर कर्मचारियों को तैनात कर सकता है.
पिछली सुनवाई के दौरान शिमला शहर में अतिक्रमण रोकने के लिए हाई कोर्ट ने उपयुक्त स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश जारी किए थे. कोर्ट ने नगर निगम शिमला से पूछा था कि शिमला शहर की सभी सड़कों पर अतिक्रमण करने वाले दुकानदारों के अभी तक कितने लाइसेंस रद्द किए गए हैं. अदालत ने पिछली सुनवाई के समय निगम प्रशासन से आशा जताई थी कि अतिक्रमणकारियों को संशोधित नियमों के तहत दंडित किया जाएगा. अदालत ने निगम से पूछा था कि शिमला शहर से अतिक्रमण हटाने के लिए पूर्व में पारित आदेशों की अनुपालना में क्या कदम उठाए गए हैं.
उल्लेखनीय है कि लोअर बाजार से एक घायल महिला को आईजीएमसी ले जा रही 108 एंबुलेंस बाजार की मुख्य सडक़ पर अतिक्रमण के कारण फंस गई थी. सडक़ पर दुकानों के अतिक्रमण के कारण यह एंबुलेंस करीब 20 मिनट तक फंसी रही. वर्ष 2014 में घटित हुए इस मामले में तब संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने आदेश दिए थे कि पूरे शिमला में किसी भी दुकानदार को नालियों के किनारों पर सामान को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं होगी. दुकान के आगे तिरपाल भी लगाने नहीं दिया जाएगा. नगर निगम अधिनियम की धारा 227 में दिए प्रावधानों के तहत अतिक्रमणकारियों के लाइसेंस रद्द किए जाएं. मामले पर सुनवाई 10 मई को होगी.
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