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हिमाचल सरकार ने मांगी टिक्कर वार्ड के पुनर्सीमांकन की छूट, HC ने किया इनकार

सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जिला परिषद वार्ड टिक्कर के पुनःसीमांकन करने से छूट प्रदान करने की हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी. हाईकोर्ट ने सरकार को पुन:सीमांकन में छूट देने से इनकार कर दिया है

shimla High court, शिमला हाईकोर्ट
शिमला हाईकोर्ट
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Published : Jan 4, 2020, 11:11 PM IST

शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के उस आवेदन को खारिज कर दिया है, जिसमें सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जिला परिषद वार्ड टिक्कर के पुनःसीमांकन करने से छूट प्रदान करने की गुहार लगाई थी.राज्य सरकार के अनुसार दिसंबर 2020 में जिला परिषद के चुनाव होने संभावित है और पुनः सीमांकन का कार्य जून-जुलाई 2020 में किया जाना है.

पुनः सीमांकन के कारण अन्य वार्डो की क्षेत्रीय व भौगोलिक सीमा पर भी असर पड़ेगा.इस कारण राज्य सरकार को टिक्कर वार्ड के पुनः सीमांकन से छूट प्रदान की जाए.मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर आवेदन को खारिज करते हुए अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि टिक्कर वार्ड के पुनः सीमांकन को लेकर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 15 दिसंबर 2016 को अपना निर्णय सुनाया था.

पुनःसीमांकन बाबत प्रक्रिया राज्य सरकार ने जानबूझकर एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देने वाली अपील व सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपील के फैसले तक टाला.न्यायालय ने कहा कि 3 मई 2017 को राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को खंडपीठ ने खारिज कर दिया था.सर्वोच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार की अपील को 3 मई 2019 को खारिज कर दिया था.न्यायालय ने कहा कि अगर समय रहते राज्य सरकार ने पुनः सीमांकन को लेकर प्रक्रिया शुरू की होती तो आज तक पुनः सीमांकन का कार्य खत्म हो चुका होता.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए थे कि वह मंडलायुक्त द्वारा 9 सितंबर 2015 को पारित आदेशों व इस बाबत बनाए गए नियमों के दृष्टिगत जिला परिषद वार्ड टिक्कर का पुनः सीमांकन करें.जिस पर की हाईकोर्ट की खंडपीठ के पश्चात सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगा दी थी.न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार ने एकल पीठ द्वारा पारित फैसले में संशोधन करने के इरादे से आवेदन को दाखिल किया है जिसमें कि कानूनन संशोधन नहीं किया जा सकता.सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपील खारिज करते समय राज्य सरकार को हाईकोर्ट को इस तरह की राहत बाबत गुहार लगाने हेतु कोई छूट प्रदान नहीं की है.

शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के उस आवेदन को खारिज कर दिया है, जिसमें सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जिला परिषद वार्ड टिक्कर के पुनःसीमांकन करने से छूट प्रदान करने की गुहार लगाई थी.राज्य सरकार के अनुसार दिसंबर 2020 में जिला परिषद के चुनाव होने संभावित है और पुनः सीमांकन का कार्य जून-जुलाई 2020 में किया जाना है.

पुनः सीमांकन के कारण अन्य वार्डो की क्षेत्रीय व भौगोलिक सीमा पर भी असर पड़ेगा.इस कारण राज्य सरकार को टिक्कर वार्ड के पुनः सीमांकन से छूट प्रदान की जाए.मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर आवेदन को खारिज करते हुए अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि टिक्कर वार्ड के पुनः सीमांकन को लेकर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 15 दिसंबर 2016 को अपना निर्णय सुनाया था.

पुनःसीमांकन बाबत प्रक्रिया राज्य सरकार ने जानबूझकर एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देने वाली अपील व सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपील के फैसले तक टाला.न्यायालय ने कहा कि 3 मई 2017 को राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को खंडपीठ ने खारिज कर दिया था.सर्वोच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार की अपील को 3 मई 2019 को खारिज कर दिया था.न्यायालय ने कहा कि अगर समय रहते राज्य सरकार ने पुनः सीमांकन को लेकर प्रक्रिया शुरू की होती तो आज तक पुनः सीमांकन का कार्य खत्म हो चुका होता.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए थे कि वह मंडलायुक्त द्वारा 9 सितंबर 2015 को पारित आदेशों व इस बाबत बनाए गए नियमों के दृष्टिगत जिला परिषद वार्ड टिक्कर का पुनः सीमांकन करें.जिस पर की हाईकोर्ट की खंडपीठ के पश्चात सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगा दी थी.न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार ने एकल पीठ द्वारा पारित फैसले में संशोधन करने के इरादे से आवेदन को दाखिल किया है जिसमें कि कानूनन संशोधन नहीं किया जा सकता.सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपील खारिज करते समय राज्य सरकार को हाईकोर्ट को इस तरह की राहत बाबत गुहार लगाने हेतु कोई छूट प्रदान नहीं की है.

प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के उस आवेदन को खारिज कर दिया है, जिसमें सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जिला परिषद वार्ड टिक्कर के पुनःसीमांकन करने से छूट प्रदान करने की गुहार लगाई थी। राज्य सरकार के अनुसार दिसंबर 2020 में जिला परिषद के चुनाव होने संभावित है और पुनः सीमांकन का कार्य जून-जुलाई 2020 में किया जाना है।  पुनः सीमांकन के कारण अन्य वार्डो की क्षेत्रीय व भौगोलिक सीमा पर भी असर पड़ेगा। इस कारण राज्य सरकार को टिक्कर वार्ड के पुनः सीमांकन से  छूट प्रदान की जाए। मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा दायर आवेदन को खारिज करते हुए अपने आदेश में  यह स्पष्ट किया कि टिक्कर वार्ड के पुनः सीमांकन को लेकर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 15 दिसंबर 2016 को अपना निर्णय सुनाया था। पुनःसीमांकन बाबत प्रक्रिया राज्य सरकार ने जानबूझकर एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देने वाली अपील व सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपील के फैसले तक टाला। न्यायालय ने कहा कि 3 मई 2017 को राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को खंडपीठ ने खारिज कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार की अपील को 3 मई 2019 को खारिज कर दिया था। न्यायालय ने कहा कि अगर समय रहते राज्य सरकार ने पुनः सीमांकन को लेकर प्रक्रिया शुरू की होती तो आज तक पुनः सीमांकन का कार्य खत्म हो चुका होता। गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार को यह आदेश जारी किए थे कि वह  मंडलायुक्त द्वारा 9 सितंबर 2015 को पारित आदेशों व इस बाबत बनाए गए नियमों के दृष्टिगत जिला परिषद वार्ड टिक्कर का पुनः सीमांकन करें। जिस पर की हाईकोर्ट की खंडपीठ के पश्चात सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगा दी थी। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार ने एकल पीठ द्वारा पारित फैसले में संशोधन करने के इरादे से आवेदन को दाखिल किया है जिसमें कि कानूनन संशोधन नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपील खारिज करते समय राज्य सरकार को हाईकोर्ट को इस तरह की राहत बाबत गुहार लगाने हेतु कोई छूट प्रदान नहीं की है।  
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