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वीरभद्र-धूमल मानहानि मामला: HC ने कहा- समझौते की गुंजाइश हो तो तलाशे संभावना

मामले पर सुनवाई न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर के समक्ष हुई. कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को अदालत में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे. वीरभद्र सिंह की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बीमारी के कारण पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती हैं और उन्हें 2 महीने के बेड रेस्ट की सलाह दी गयी है.

hearing postponed in defamation case virbhadra and dhumal
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Published : Jul 10, 2019, 9:06 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल के बीच चल रहे मानहानि के मामले में सुनवाई 9 सितम्बर के लिए टल गई है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर दोनों पक्षों में समझौते की गुंजाइश है तो इनसे आशा की जाती है कि वे आपस में कारगर कदम उठाते हुए समझौते की सम्भावनाओं को तलाशे.


मामले पर सुनवाई न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर के समक्ष हुई. कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को अदालत में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे. वीरभद्र सिंह की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बीमारी के कारण पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती हैं और उन्हें 2 महीने के बेड रेस्ट की सलाह दी गयी है.


न्यायालय ने इस वक्तव्य के पश्चात मामले पर सुनवाई 9 सितम्बर के लिये निर्धारित कर दी. मामले के अनुसार वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2014 में अरुण जेटली व प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी शिमला के समक्ष आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था. हालांकि वीरभद्र सिंह ने 27 मई 2014 को अरुण जेटली के खिलाफ शिकायत को वापिस ले लिया था.


26 सितम्बर 2014 को सीजेएम शिमला ने वीरभद्र सिंह के आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाते हुए प्रेम कुमार धूमल को समन जारी किए थे. धूमल ने इन समनिंग आदेशों को रिवीजन याचिका के माध्यम से सेशन जज शिमला के समक्ष चुनौती दी. सेशन जज शिमला ने सीजेएम के समक्ष दायर शिकायत का सारा रिकॉर्ड मंगवा लिया और धूमल की याचिका पर सेशन कोर्ट से फैसला आना बाकी है.


इस बीच वीरभद्र सिंह की ओर से सीजेएम शिमला की अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर 26 सितम्बर 2014 के आदेशों में क्लेरिकल गलती को ठीक करने का आवेदन किया जिसमें गलती से प्रेम कुमार धूमल की जगह अरुण सिंह धूमल लिखा गया था. सीजेएम शिमला ने 20 जून 2017 को आदेश पारित कर वीरभद्र के गलती सुधार के आवेदन का निपटारे करने के लिए सेशन कोर्ट से मामले का रिकार्ड वापिस मंगवा लिया.


प्रेम कुमार धूमल ने इन्ही आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. 24 अक्टूबर 2017 को हाईकोर्ट ने निचली अदालतों में चल रही कार्यवाई पर रोक लगा दी थी. 29 मई 2019 को कोर्ट ने मामले की विशेषता को देखता हुए दोनों पक्षों में समझौता होने की सम्भावनाएं तलाशने के लिए कोर्ट में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे.

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल के बीच चल रहे मानहानि के मामले में सुनवाई 9 सितम्बर के लिए टल गई है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर दोनों पक्षों में समझौते की गुंजाइश है तो इनसे आशा की जाती है कि वे आपस में कारगर कदम उठाते हुए समझौते की सम्भावनाओं को तलाशे.


मामले पर सुनवाई न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर के समक्ष हुई. कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को अदालत में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे. वीरभद्र सिंह की ओर से कोर्ट को बताया गया कि बीमारी के कारण पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती हैं और उन्हें 2 महीने के बेड रेस्ट की सलाह दी गयी है.


न्यायालय ने इस वक्तव्य के पश्चात मामले पर सुनवाई 9 सितम्बर के लिये निर्धारित कर दी. मामले के अनुसार वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2014 में अरुण जेटली व प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी शिमला के समक्ष आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था. हालांकि वीरभद्र सिंह ने 27 मई 2014 को अरुण जेटली के खिलाफ शिकायत को वापिस ले लिया था.


26 सितम्बर 2014 को सीजेएम शिमला ने वीरभद्र सिंह के आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाते हुए प्रेम कुमार धूमल को समन जारी किए थे. धूमल ने इन समनिंग आदेशों को रिवीजन याचिका के माध्यम से सेशन जज शिमला के समक्ष चुनौती दी. सेशन जज शिमला ने सीजेएम के समक्ष दायर शिकायत का सारा रिकॉर्ड मंगवा लिया और धूमल की याचिका पर सेशन कोर्ट से फैसला आना बाकी है.


इस बीच वीरभद्र सिंह की ओर से सीजेएम शिमला की अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर 26 सितम्बर 2014 के आदेशों में क्लेरिकल गलती को ठीक करने का आवेदन किया जिसमें गलती से प्रेम कुमार धूमल की जगह अरुण सिंह धूमल लिखा गया था. सीजेएम शिमला ने 20 जून 2017 को आदेश पारित कर वीरभद्र के गलती सुधार के आवेदन का निपटारे करने के लिए सेशन कोर्ट से मामले का रिकार्ड वापिस मंगवा लिया.


प्रेम कुमार धूमल ने इन्ही आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है. 24 अक्टूबर 2017 को हाईकोर्ट ने निचली अदालतों में चल रही कार्यवाई पर रोक लगा दी थी. 29 मई 2019 को कोर्ट ने मामले की विशेषता को देखता हुए दोनों पक्षों में समझौता होने की सम्भावनाएं तलाशने के लिए कोर्ट में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे.

प्रदेश हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल के बीच चल रहे मानहानि के मामले में सुनवाई 9 सितम्बर के लिए टल गई। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर दोनों पक्षों में समझौते की गुंजाइश है तो इनसे आशा की जाती है कि वे आपस में कारगर कदम उठाते हुए समझौते की सम्भावनाओं को तलाशे। मामले पर सुनवाई न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर के समक्ष हुई। कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को अदालत में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे। वीरभद्र सिंह की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वीरभद्र सिंह बीमारी के कारण पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती हैं और उन्हें 2 महीने के बेड रेस्ट की सलाह दी गयी है। न्यायालय ने इस वक्तव्य के पश्चात मामले पर सुनवाई 9 सितम्बर के लिये निर्धारित कर दी। मामले के अनुसार वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2014 में अरुण जेटली व प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी शिमला के समक्ष आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था। हालांकि वीरभद्र सिंह ने 27 मई 2014 को अरुण जेटली के खिलाफ शिकायत को वापिस ले लिया था। 26 सितम्बर 2014 को सीजेएम शिमला ने वीरभद्र सिंह के आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाते हुए प्रेम कुमार धूमल को समन जारी किए थे। धूमल ने इन समनिंग आदेशों को रिवीजन याचिका के माध्यम से सेशन जज शिमला के समक्ष चुनौती दी । सेशन जज शिमला ने सीजेएम के समक्ष दायर शिकायत का सारा रिकॉर्ड मंगवा लिया और धूमल की याचिका पर सेशन कोर्ट से फैसला आना बाकी है। इस बीच वीरभद्र सिंह की ओर से सीजेएम शिमला की अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर 26 सितम्बर 2014 के आदेशों में क्लेरिकल गलती को ठीक करने का आवेदन किया जिसमें गलती से प्रेम कुमार धूमल की जगह अरुण सिंह धूमल लिखा गया था। सीजेएम शिमला ने 20 जून 2017 को आदेश पारित कर वीरभद्र के गलती सुधार के आवेदन का निपटारे करने के लिए सेशन कोर्ट से मामले का रिकार्ड वापिस मंगवा लिया। प्रेम कुमार धूमल ने इन्ही आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। 24 अक्टूबर 2017 को हाईकोर्ट ने निचली अदालतों में चल रही कार्यवाई पर रोक लगा दी थी। 29 मई 2019 को कोर्ट ने मामले की विशेषता को देखता हुए दोनों पक्षों में समझौता होने की सम्भावनाएं तलाशने के लिए कोर्ट में उपस्थित रहने के आदेश दिए थे।
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