शिमलाः 10वीं शताब्दी के आस-पास बना राजधानी से लगभग 84 किलोमीटर दूर रोहड़ू की पब्बर नदी के किनारे पर माता हाटकोटी का प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर नवरात्रों में दुल्हन की तरह सजा दिया गया है. हाटकोटी मंदिर में नवरात्रों के दौरान मां महिषासुर मर्दिनी की विशेष पूजा की जाती है.
बता दें कि माता हाटकोटी मंदिर में महिषासुर मर्दिनी की दो मीटर ऊंची प्रतिमा के साथ ही शिव मंदिर है जहां पत्थर पर बना प्राचीन शिवलिंग स्थित है. मंदिर के द्वार को कलात्मक पत्थरों से सुसज्जित किया गया और मंदिर की छत लकड़ी से र्निमित है. जिस पर देवी देवताओं की अनुकृतियों बनाई गई हैं.
मंदिर के गर्भगृह में लक्ष्मी, विष्णु, दुर्गा, गणेश आदि की प्रतिमाएं हैं. इसके अतिरिक्त यहां मंदिर के प्रांगण में देवताओं की छोटी-छोटी भी मूर्तियां हैं. बताया जाता है कि इनका निर्माण पांडवों ने करवाया था और जिस स्थान पर पाण्डव बैठते थे वंहा पर पांच छोटे पथरों के मंदिर बने हैं.
मां महिषासुर मर्दिनी के नाम से प्रख्यात इस माता की प्रसिद्धि देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी प्रख्यात है. यही कारण है कि यंहा पर हर साल नवरात्रों में 9 दिनों माता के भक्तों की कतारें लगी रहती हैं. हर कोई अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए मां के सामने शीश झुका कर आशीर्वाद लेता है.
नवरात्रों के दौरान मन्दिर में श्रद्धालुओं के लिए हर प्रकार की सुविधा मुहैया करवाई जाती है. ठहरने के लिए सरांय हाल और श्रद्धालुओं के लिए 9 दिन तक भंडारे का आयोजन किया जाता है. कमेटी के सदस्य का कहना है की यंहा पर हजारों लोग मन्दिर दर्शन करने आते है और उनके लिए हर सुविधा यंहा प्रदान की जाती है. सुरक्षा के लिए पुलिस के जवान हर दम मन्दिर के आसपास तैनात रहते हैं.