शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने नए साल के पहले ही दिन हाटी समुदाय को बड़ी खुशखबरी दी है. हाटी समुदाय को अब अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया है. सोमवार को सुखविंदर सुक्खू कैबिनेट की सहमति के बाद इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है. गौरतलब है कि नए साल के पहले दिन ही सुक्खू कैबिनेट की बैठक हुई, जिसके बाद सीएम सुक्खू ने हाटियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की जानकारी दी.
3 जनवरी को नाहन में घोषणा- सरकार की ओर से कई बार हाटियों को अनूसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने को लेकर प्रतिबद्धता जताई जा रही थी. आखिरकार नए साल के पहले दिन हाटी समुदाया का इंतजार खत्म हो गया. नए साल के पहले दिन की कैबिनेट में ही सुक्खू सरकार ने हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दे दिया. अब 3 जनवरी को सिरमौर के जिला मुख्यालय नाहन में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इसकी घोषणा करेंगे. इस मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.
हाटी समुदाय की दशकों पुरानी मांग- गौरतलब है कि कई दशकों की इस मांग को साल 2022 में मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिली थी. दिसंबर 2022 में ये विधेयक लोकसभा से पास हुआ था जबकि 26 जुलाई 2023 राज्यसभा से भी पारित हो गया था. फिर 5 अगस्त 2023 इसे भारत के राजपत्र यानि The Gazette of India में प्रकाशित किया गया था. इसके साथ ही हाटी समुदाय अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल हो गया था.
हाटी समुदाय को केंद्र सरकार के द्वारा अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के बाद गेंद राज्य सरकार के पाले में थी. सड़क से लेकर सदन तक ये मामला उठा था और हाटियों को एसटी स्टेटस देने की मांग उठ रही थी. हिमाचल विधानसभा में भी बीजेपी विधायक ने सरकार से हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा देने पर सवाल किया था. जिसपर सरकार की ओर से लिखित जवाब में बताया गया था कि सरकार हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के लिए प्रतिबद्ध है और सरकार इस ओर प्रयासरत है.
कौन हैं हाटी- जिला सिरमौर का गिरिपार इलाका जो इतना दुर्गम है कि जनता को रोजमर्रा की जरूरतों का सामान लाने के लिए उत्तराखंड के चूड़पुर, विकासनगर, हरियाणा का अंबाला तक जाना पड़ता था. हाट का सामान लाने की इसी कसरत ने गिरिपार इलाके की जनता को हाटी बनाया. वे इन इलाकों में अपने यहां के उत्पाद भी बेचने के लिए ले जाते रहे हैं. इस तरह अपना सामान बेचने और अपनी जरूरत का सामान लाने अथवा हाट करने के लिए जाने वाले लोग हाटी कहलाए. वहीं, ये लोग हाट बाजारों में दुकानें लगाते थे. लोग इन्हें बुलाने के लिए हाटी कहने लगे. इस तरह हाट में सामान बेचने पर इस समुदाय का नाम हाटी पड़ा.
उत्तराखंड में 60 के दशक में मिल गया था जनजातीय इलाके का दर्जा: गौरतलब है कि हिमाचल और उत्तराखंड इन दोनों पहाड़ी राज्यों की एक जैसी परिस्थितियां हैं. उत्तराखंड का जौनसार बावर इलाका और हिमाचल के सिरमौर जिले का गिरिपार इलाका. दोनों की भौगोलिक परिस्थितियां एक जैसी और दोनों इलाकों में बसने वाले लोगों की पीड़ाएं भी एक समान.
उत्तराखंड के जौनसार बावर इलाके को साठ के दशक में ही जनजातीय इलाके का दर्जा मिल गया था. हिमाचल की मांग अब तक अनसुनी था, लेकिन अब पूरी हुई. हाटी समुदाय ने अपने हक के लिए निरंतर शांतिपूर्ण और रचनात्मक आंदोलन किया. हिमाचल में चुनावी साल में गिरिपार इलाके की तीन लाख की आबादी को नजर अंदाज करना न तो भाजपा के लिए आसान था और न ही कांग्रेस में इतनी हिम्मत थी कि हाटी आंदोलन की अनदेखी करे.
लगातार कई सालों तक संघर्ष के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी समुदाय की मांग को 14 सितंबर 2022 को अपनी मंजूरी दी. उसके बाद केंद्र सरकार ने 16 दिसंबर 2022 को इस बिल को लोकसभा से पारित करवाया. उसके बाद 26 जुलाई को यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो गया. राज्यसभा से पारित होने के बाद सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इसे राष्ट्रपति के लिए भेजा गया. मात्र 9 दिनों के बाद 4 अगस्त को राष्ट्रपति ने हाटी समुदाय के एसटी संशोधित बिल पर अपनी मुहर लगा दी.
कैबिनेट में दो अन्य फैसले लिए गए- हिमाचल सरकार ने फैसला लिया है कि सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए ग्रामीण युवाओं को सुविधाएं देगी. राज्य सरकार 100 किलोवाट से 500 किलोवाट के सोलर प्रोजेक्ट पर सिक्योरिटी मनी की सुविधा देगी. अगर कोई युवा 100 किलोवाट के सोलर प्रोजेक्ट के लिए 3 बीघा जमीन देता है, तो उसे 4 लाख रुपये सिक्योरिटी मनी देनी होगी. बदले में सरकार उसे प्रोजेक्ट लगाकर देगी और बिजली बोर्ड की ओर से हर माह 20 हजार रुपये 25 साल तक मिलेगा. वहीं 200 किलोवाट पर 40 हजार मासिक और 500 किलोवाट के प्रोजेक्ट पर 1 लाख रुपये मासिक मिलेंगे. इसके अलावा सरकार ने दिव्यांगों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस शैक्षणिक संस्थान बनाने की भी बात कही है, जहां दिव्यांगों को किसी भी तरह की समस्या ना हो.
सीएम सुखविंदर सुक्खू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि आगामी 08 जनवरी से 12 फरवरी 2024 तक सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम चलाएगी. जिसके तहत सभी मंत्री और विधायक फील्ड में जाएंगे. सभी जनप्रतिनिधि जनता के साथ संवाद करेंगे और सरकार के एक साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा देंगे.
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