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भूख के खिलाफ जंग के 'सरदार' सरबजीत, कैंसर अस्पताल में हजारों लोगों का भरते हैं पेट

आईजीएमसी शिमला में लगाए गए लंगर को शुक्रवार को पांच साल हो गए. इस मौके पर प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कैंसर मरीजों के परिजनों को खाना खिलाया और कंबल बांटे. राज्यपाल ने लंगर लगाने की इस परम्परा को सराहा और कहा कि सरकार कितनी भी योजनायें बना ले लेकिन इस प्रकार की समाजिक संस्थाओं के प्रयास हमेशा ही सरहनीय हैं

राज्यपाल दत्तात्रेय लंगर में खाना बांटते हुए
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Published : Oct 25, 2019, 11:30 PM IST

Updated : Oct 26, 2019, 8:43 AM IST

शिमला: कैंसर के मरीजों और उनके परिजनों के लिए आईजीएमसी शिमला में लगाए गए लंगर को शुक्रवार को पांच साल हो गए. इस मौके पर प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कैंसर मरीजों के परिजनों को खाना खिलाया और कंबल बांटे.

राज्यपाल ने लंगर लगाने की इस परम्परा को सराहा और कहा कि सरकार कितनी भी योजनायें बना ले लेकिन इस प्रकार की समाजिक संस्थाओं के प्रयास हमेशा ही सरहनीय हैं और समाज में इनका अपना महत्व है. सरबजीत सिंह की संस्था ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स के लंगर में अब रोजाना 2500 लोग निशुल्क भोजन पाते हैं.

दुखों की गठरी उठाए प्रदेश के कोने-कोने से शिमला स्थित रीजनल कैंसर अस्पताल पहुंचते हैं. अब सरबजीत सिंह के अनेक सेवा कार्यों में एक और काम जुड़ गया है. ये काम कैंसर मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस के तौर पर है. सरबजीत ने एक एंबुलेंस सेवा शुरू की है, जो कैंसर मरीजों को निशुल्क सेवा दे रही है.

वीडियो

सरबजीत सिंह की सेवा का संसार न केवल जीवित लोगों के लिए है, बल्कि दुर्भाग्यवश देह छोड़ चुके लोगों की अंतिम सेवा तक फैला है. वे मरीजों के लिए निशुल्क लंगर लगाते हैं, कैंसर मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस चलाते हैं, अस्पताल में रात बिताने वाले ठंड से न ठिठुरें, इसके लिए वे कंबल का इंतजाम करते हैं.

नियतिवश गंभीर रूप से बीमार कोई मरीज दम तोड़ दे और परिजनों के पास पार्थिव देह को घर ले जाने का कोई साधन न हो तो सरबजीत फ्युनरल वैन के जरिए पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए घर तक पहुंचाते हैं. इन सब सेवा प्रकल्पों के बीच सबसे सुखद दृश्य उस समय देखने को मिलता है, जब कैंसर मरीजों के परिजन उनके इलाज के लिए दौड़धूप के बाद साफ-सुथरी थाली में स्वादिष्ट भोजन से पेट भरते हैं.

बासमती चावल के साथ दाल, कढ़ी और चपाती के साथ सब्जी कैंसर मरीजों को सरबजीत सिंह बॉबी की संस्था ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स अस्पताल में उनके बिस्तर पर ही स्नेह और मुस्कान के साथ दलिया, सूप आदि देती है. कैंसर मरीजों को रीजनल कैंसर सेंटर से कुछ टैस्टों के लिए आईजीएमसी अस्पताल या फिर अन्य स्थानों पर जाना हो तो संस्था निशुल्क एंबुलेंस सेवा भी उपलब्ध करवाती है.

ये एंबुलेंस कैंसर मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है तो कहा जा सकता है कि सरदार सरबजीत सिंह जैसे वेहले आदमी एक नहीं अनेक होने चाहिए. यहां बता दें कि सरबजीत सिंह बॉबी को वेहला बॉबी नकारात्मक रूप में नहीं, बल्कि समाज के प्रति उनकी सेवाओं के सम्मान के तौर पर कहा जाता है. मजाक में कहा जाता है कि सरबजीत सिंह वेहला है, यानी कोई कामकाज नहीं, बस मानवता की सेवा.हाल ही में सरबजीत सिंह ने मुंबई में आयोजित एक समारोह में अपनी संस्था के सेवा प्रकल्पों की जानकारी दी तो समूचा हॉल जोरदार तालियों से गूंज उठा. सरबजीत सिंह का मानना है कि मानवता की सेवा सर्वोच्च सेवा है.

5 साल पहले शुरू हुआ सेवा का ये अनमोल सफर

सरबजीत सिंह यूं तो रक्तदान शिविरों व अन्य माध्यमों से मानवता की सेवा करते ही आ रहे थे, लेकिन विशाल सेवा प्रकल्पों का सफर चार साल पहले शुरू हुआ. अक्टूबर 2014 में उन्होंने कैंसर अस्पताल शिमला में मरीजों को चाय-बिस्किट से सेवा की शुरुआत की.

धीरे-धीरे मरीजों को सूप, दलिया देने लगे. लोगों का सहयोग मिला तो चावल, दाल, खिचड़ी का प्रबंध किया. अब तो ये आलम है कि एक दिन में सुबह से लेकर रात तक 2500 से अधिक लोग निशुल्क लंगर में भरपेट भोजन पाते हैं. रात को मरीजों के परिजनों को सोने के लिए कंबल दिए जाते हैं. भोजन की व्यवस्था राज्य स्तरीय महिला व शिशु कल्याण अस्पताल शिमला में भी की गई है. जो लोग चावल न लेना चाहें, उनके लिए गर्मा-गर्म रोटियों का भी प्रबंध है. संस्था साल भर में बीस से अधिक रक्तदान शिविर भी लगाती है.

शिमला: कैंसर के मरीजों और उनके परिजनों के लिए आईजीएमसी शिमला में लगाए गए लंगर को शुक्रवार को पांच साल हो गए. इस मौके पर प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कैंसर मरीजों के परिजनों को खाना खिलाया और कंबल बांटे.

राज्यपाल ने लंगर लगाने की इस परम्परा को सराहा और कहा कि सरकार कितनी भी योजनायें बना ले लेकिन इस प्रकार की समाजिक संस्थाओं के प्रयास हमेशा ही सरहनीय हैं और समाज में इनका अपना महत्व है. सरबजीत सिंह की संस्था ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स के लंगर में अब रोजाना 2500 लोग निशुल्क भोजन पाते हैं.

दुखों की गठरी उठाए प्रदेश के कोने-कोने से शिमला स्थित रीजनल कैंसर अस्पताल पहुंचते हैं. अब सरबजीत सिंह के अनेक सेवा कार्यों में एक और काम जुड़ गया है. ये काम कैंसर मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस के तौर पर है. सरबजीत ने एक एंबुलेंस सेवा शुरू की है, जो कैंसर मरीजों को निशुल्क सेवा दे रही है.

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सरबजीत सिंह की सेवा का संसार न केवल जीवित लोगों के लिए है, बल्कि दुर्भाग्यवश देह छोड़ चुके लोगों की अंतिम सेवा तक फैला है. वे मरीजों के लिए निशुल्क लंगर लगाते हैं, कैंसर मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस चलाते हैं, अस्पताल में रात बिताने वाले ठंड से न ठिठुरें, इसके लिए वे कंबल का इंतजाम करते हैं.

नियतिवश गंभीर रूप से बीमार कोई मरीज दम तोड़ दे और परिजनों के पास पार्थिव देह को घर ले जाने का कोई साधन न हो तो सरबजीत फ्युनरल वैन के जरिए पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए घर तक पहुंचाते हैं. इन सब सेवा प्रकल्पों के बीच सबसे सुखद दृश्य उस समय देखने को मिलता है, जब कैंसर मरीजों के परिजन उनके इलाज के लिए दौड़धूप के बाद साफ-सुथरी थाली में स्वादिष्ट भोजन से पेट भरते हैं.

बासमती चावल के साथ दाल, कढ़ी और चपाती के साथ सब्जी कैंसर मरीजों को सरबजीत सिंह बॉबी की संस्था ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स अस्पताल में उनके बिस्तर पर ही स्नेह और मुस्कान के साथ दलिया, सूप आदि देती है. कैंसर मरीजों को रीजनल कैंसर सेंटर से कुछ टैस्टों के लिए आईजीएमसी अस्पताल या फिर अन्य स्थानों पर जाना हो तो संस्था निशुल्क एंबुलेंस सेवा भी उपलब्ध करवाती है.

ये एंबुलेंस कैंसर मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है तो कहा जा सकता है कि सरदार सरबजीत सिंह जैसे वेहले आदमी एक नहीं अनेक होने चाहिए. यहां बता दें कि सरबजीत सिंह बॉबी को वेहला बॉबी नकारात्मक रूप में नहीं, बल्कि समाज के प्रति उनकी सेवाओं के सम्मान के तौर पर कहा जाता है. मजाक में कहा जाता है कि सरबजीत सिंह वेहला है, यानी कोई कामकाज नहीं, बस मानवता की सेवा.हाल ही में सरबजीत सिंह ने मुंबई में आयोजित एक समारोह में अपनी संस्था के सेवा प्रकल्पों की जानकारी दी तो समूचा हॉल जोरदार तालियों से गूंज उठा. सरबजीत सिंह का मानना है कि मानवता की सेवा सर्वोच्च सेवा है.

5 साल पहले शुरू हुआ सेवा का ये अनमोल सफर

सरबजीत सिंह यूं तो रक्तदान शिविरों व अन्य माध्यमों से मानवता की सेवा करते ही आ रहे थे, लेकिन विशाल सेवा प्रकल्पों का सफर चार साल पहले शुरू हुआ. अक्टूबर 2014 में उन्होंने कैंसर अस्पताल शिमला में मरीजों को चाय-बिस्किट से सेवा की शुरुआत की.

धीरे-धीरे मरीजों को सूप, दलिया देने लगे. लोगों का सहयोग मिला तो चावल, दाल, खिचड़ी का प्रबंध किया. अब तो ये आलम है कि एक दिन में सुबह से लेकर रात तक 2500 से अधिक लोग निशुल्क लंगर में भरपेट भोजन पाते हैं. रात को मरीजों के परिजनों को सोने के लिए कंबल दिए जाते हैं. भोजन की व्यवस्था राज्य स्तरीय महिला व शिशु कल्याण अस्पताल शिमला में भी की गई है. जो लोग चावल न लेना चाहें, उनके लिए गर्मा-गर्म रोटियों का भी प्रबंध है. संस्था साल भर में बीस से अधिक रक्तदान शिविर भी लगाती है.

Intro:Body: सरबजीत सिंह की संस्था ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स के लंगर में अब रोजाना 2500 लोग निशुल्क भोजन पाते हैं। दुखों की गठरी उठाए प्रदेश के कोने-कोने से शिमला स्थित रीजनल कैंसर अस्पताल पहुंच ते हैं। अब सरबजीत सिंह के अनेक सेवा कार्यों में एक और काम जुड़ गया है। ये काम कैंसर मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस के तौर पर है। सरबजीत ने एक एंबुलेंस सेवा शुरू की है, जो कैंसर मरीजों को निशुल्क सेवा दे रही है।
सरबजीत सिंह की सेवा का संसार न केवल जीवित लोगों के लिए है, बल्कि दुर्भाग्यवश देह छोड़ चुके लोगों की अंतिम सेवा तक फैला है। वे मरीजों के लिए निशुल्क लंगर लगाते हैं, कैंसर मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस चलाते हैं, अस्पताल में रात बिताने वाले ठंड से न ठिठुरें, इसके लिए वे कंबल का इंतजाम करते हैं। नियतिवश गंभीर रूप से बीमार कोई मरीज दम तोड़ दे और परिजनों के पास पार्थिव देह को घर ले जाने का कोई साधन न हो तो सरबजीत फ्युनरल वैन के जरिए पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए घर तक पहुंचाते हैं। इन सब सेवा प्रकल्पों के बीच सबसे सुखद दृश्य उस समय देखने को मिलता है, जब कैंसर मरीजों के परिजन उनके इलाज के लिए दौड़धूप के बाद साफ-सुथरी थाली में स्वादिष्ट भोजन से पेट भरते हैं। बासमती चावल के साथ दाल, कढ़ी और चपाती के साथ सब्जी। कैंसर मरीजों को सरबजीत सिंह बॉबी की संस्था ऑलमाइटी ब्लैसिंग्सअस्पताल में उनके बिस्तर पर ही स्नेह और मुस्कान के साथ दलिया, सूप आदि देती है। कैंसर मरीजों को रीजनल कैंसर सेंटर से कुछ टैस्टों के लिए आईजीएमसी अस्पताल या फिर अन्य स्थानों पर जाना हो तो संस्था निशुल्क एंबुलेंस सेवा भी उपलब्ध करवाती है। ये एंबुलेंस कैंसर मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। तो कहा जा सकता है कि सरदार सरबजीत सिंह जैसे वेहले आदमी एक नहीं अनेक होने चाहिए। यहां बता दें कि सरबजीत सिंह बॉबी को वेहला बॉबी नकारात्मक रूप में नहीं, बल्कि समाज के प्रति उनकी सेवाओं के सम्मान के तौर पर कहा जाता है। मजाक में कहा जाता है कि सरबजीत सिंह वेहला है, यानी कोई कामकाज नहीं, बस मानवता की सेवा। हाल ही में सरबजीत सिंह ने मुंबई में आयोजित एक समारोह में अपनी संस्था के सेवा प्रकल्पों की जानकारी दी तो समूचा हॉल जोरदार तालियों से गूंज उठा। सरबजीत सिंह का मानना है कि मानवता की सेवा सर्वोच्च सेवा है।

5 साल पहले शुरू हुआ सेवा का ये अनमोल सफर
सरबजीत सिंह यूं तो रक्तदान शिविरों व अन्य माध्यमों से मानवता की सेवा करते ही आ रहे थे, लेकिन विशाल सेवा प्रकल्पों का सफर चार साल पहले शुरू हुआ। अक्टूबर 2014 में उन्होंने कैंसर अस्पताल शिमला में मरीजों को चाय-बिस्किट से सेवा की शुरूआत की। धीरे-धीरे मरीजों को सूप, दलिया देने लगे। लोगों का सहयोग मिला तो चावल, दाल, खिचड़ी का प्रबंध किया। अब तो ये आलम है कि एक दिन में सुबह से लेकर रात तक 2500 से अधिक लोग निशुल्क रूप से भरपेट भोजन पाते हैं। रात को मरीजों के परिजनों को सोने के लिए कंबल दिए जाते हैं। भोजन की व्यवस्था राज्य स्तरीय महिला व शिशु कल्याण अस्पताल शिमला में भी की गई है। जो लोग चावल न लेना चाहें, उनके लिए गर्मा-गर्म रोटियों का भी प्रबंध है। संस्था साल भर में बीस से अधिक रक्तदान शिविर भी लगाती है।Conclusion:
Last Updated : Oct 26, 2019, 8:43 AM IST
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