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कोरोना संकट के बीच अच्छी खबर: पर्यटन नगरी मनाली की हवा देश में सबसे ज्यादा शुद्ध

कोरोना के बीच हिमाचल में प्रर्यावरण के लिए अच्छी खबर है. देश में जहां मनाली की आब-ओ-हवा सबसे ज्याद शुद्ध है.व हीं, औद्यौगिक क्षेत्रों में भी प्रदूषण के स्तर कम हो गया. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 4 महीनों का आकड़ा जारी किया है.

Girwat falls by 60% in pollution levels, Manali in Manali is the purest nationwide
मनाली की हवा देश में सबसे ज्यादा शुद्ध
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Published : Apr 23, 2020, 3:01 PM IST

शिमला: कोरोना वायरस को लेकर आज पूरी दुनिया चिंतित है. देश में लॉकडाउन चल रहा है. जिसका जिदंगी की रफ्तार पर असर पड़ा है, लेकिन नदियाें और पर्यावरण के लिए यह संजीवनी साबित हुआ है. प्रदेश में कर्फ्यू के बाद से प्रदेश में वाहनों की आवाजाही कम हुई है, निर्माण कार्य बंद हुए है, बहुत कम उद्योगों को चलाने की अनुतमति दी गई है. इसका असर यहां की आब-ओ-हवा पर पड़ रहा है.

प्रदेश में चार महीनों में प्रदूषण के स्तर में 50 से 60 प्रतिशत तक कमीं आई है. मनाली में लॉकडाउन के बाद आरएसपीएम का स्तर 15 से भी नीचे पहुंच गया है. प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनवरी से लेकर 18 अप्रैल तक का डाटा जारी कर दिया. आंकड़ों के अनुसार मनाली की आब-ओ-हवा इस वक्त देश में सबसे शुद्ध है. आरएसपीएम के निर्धारित मानक के अनुसार इसका स्तर 100 आरएसपीएम माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए, लेकिन मनाली में यह स्तर काफी कम है. ऐसे में लॉकडाउन के चलते मनाली की हवा देश में सबसे शुद्ध हो गई है.

वीडियो

औद्यौगिक क्षेत्रों पर भी असर

मनाली ही नहीं प्रदेश के औद्यौगिक क्षेत्रों में भी प्रदूषण के स्तर में करीब 70 प्रतिशत तक कमी आई है. कर्फ्यू के चलते सड़कों पर गाड़ियां, धूल, अंधाधुंध निर्माण और उद्योगों के प्रदूषण के स्तर में काफी कम हो गया है. इन दिनों सड़कों पर करीब पांच फीसदी ही वाहन चल रहे हैं, दवा उद्योग के अलावा अन्य उद्योग भी बंद हैं. प्रमुख पांच शहरों बद्दी, शिमला, सुंदरनगर, परवाणू व ऊना में रिस्पायरेबल सस्पेंडिड पार्टिकुलेट मीटर यानी आरएसपीएम निर्धारित मानकों से नीचे आ गया है. कुछ समय पहले ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ओजोन स्तर के घटने और ग्लेशियरों के पिघलने से जल संकट की आशंका पैदा हो गई थी.

प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण ने वायु की गुणवत्ता की जांच की, जिसमें आरएसपीएम का स्तर ज्यादातर क्षेत्रों में 50 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर से नीचे पाया गया है. वहीं, सल्फर डाइआक्साइड (सॉक्स) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (नॉक्स) के मानक का स्तर 80 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर निर्धारित किया गया है. जोकि पिछले चार महीनों में काफी कम स्तर पर पहुंच गया है.

4 महीने का आकड़ा जारी

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आदित्य नेगी ने कहा जनवरी से लेकर अप्रैल माह का आंकड़ा जारी किया गया है, जिसमें प्रदेश के सात शहरों बद्दी, परवाणू, सुंदरनगर, शिमला, पांवटा साहिब, ऊना और मनाली का आरएसपीएम, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर को मापा गया. आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण के स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई.

  • जनवरी में बद्दी में आरएसपीएम का स्तर 125 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर, यह स्तर बढ़ कर फरवरी में 152.6 पहुंच गया, लेकिन अप्रैल माह में यह स्तर गिर कर 71 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर रह गया.
  • परवाणू सेक्टर चार से सामने आए आंकड़ों के अनुसार यहां जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 48.7 था, जो कि अप्रैल में घट कर 34.5 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया.
  • सुदरनगर जनवरी में यहां आरएसपीएम 72 था जो अप्रैल में घट कर 23 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया.
  • शिमला में जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 58.4 था, जो अप्रैल में घट कर 48.8 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर रहा.
  • सिरमौर के पांवटा साहिब से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार जनवरी में यहां आरएसपीएम का स्तर 75.9 था लेकिन अप्रैल में यह स्तर घट कर 40 रह गया.
  • ऊना में ये स्तर 60.6 से घट कर 26.9 पहुंच गया.
    ये भी पढ़ें: कोविड-19 ट्रैकर: हिमाचल में कोरोना पॉजिटिव एक नया मामला, प्रदेश 17 हुई संक्रमितों की संख्या

शिमला: कोरोना वायरस को लेकर आज पूरी दुनिया चिंतित है. देश में लॉकडाउन चल रहा है. जिसका जिदंगी की रफ्तार पर असर पड़ा है, लेकिन नदियाें और पर्यावरण के लिए यह संजीवनी साबित हुआ है. प्रदेश में कर्फ्यू के बाद से प्रदेश में वाहनों की आवाजाही कम हुई है, निर्माण कार्य बंद हुए है, बहुत कम उद्योगों को चलाने की अनुतमति दी गई है. इसका असर यहां की आब-ओ-हवा पर पड़ रहा है.

प्रदेश में चार महीनों में प्रदूषण के स्तर में 50 से 60 प्रतिशत तक कमीं आई है. मनाली में लॉकडाउन के बाद आरएसपीएम का स्तर 15 से भी नीचे पहुंच गया है. प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनवरी से लेकर 18 अप्रैल तक का डाटा जारी कर दिया. आंकड़ों के अनुसार मनाली की आब-ओ-हवा इस वक्त देश में सबसे शुद्ध है. आरएसपीएम के निर्धारित मानक के अनुसार इसका स्तर 100 आरएसपीएम माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर होना चाहिए, लेकिन मनाली में यह स्तर काफी कम है. ऐसे में लॉकडाउन के चलते मनाली की हवा देश में सबसे शुद्ध हो गई है.

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औद्यौगिक क्षेत्रों पर भी असर

मनाली ही नहीं प्रदेश के औद्यौगिक क्षेत्रों में भी प्रदूषण के स्तर में करीब 70 प्रतिशत तक कमी आई है. कर्फ्यू के चलते सड़कों पर गाड़ियां, धूल, अंधाधुंध निर्माण और उद्योगों के प्रदूषण के स्तर में काफी कम हो गया है. इन दिनों सड़कों पर करीब पांच फीसदी ही वाहन चल रहे हैं, दवा उद्योग के अलावा अन्य उद्योग भी बंद हैं. प्रमुख पांच शहरों बद्दी, शिमला, सुंदरनगर, परवाणू व ऊना में रिस्पायरेबल सस्पेंडिड पार्टिकुलेट मीटर यानी आरएसपीएम निर्धारित मानकों से नीचे आ गया है. कुछ समय पहले ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ओजोन स्तर के घटने और ग्लेशियरों के पिघलने से जल संकट की आशंका पैदा हो गई थी.

प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण ने वायु की गुणवत्ता की जांच की, जिसमें आरएसपीएम का स्तर ज्यादातर क्षेत्रों में 50 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर से नीचे पाया गया है. वहीं, सल्फर डाइआक्साइड (सॉक्स) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (नॉक्स) के मानक का स्तर 80 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर निर्धारित किया गया है. जोकि पिछले चार महीनों में काफी कम स्तर पर पहुंच गया है.

4 महीने का आकड़ा जारी

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आदित्य नेगी ने कहा जनवरी से लेकर अप्रैल माह का आंकड़ा जारी किया गया है, जिसमें प्रदेश के सात शहरों बद्दी, परवाणू, सुंदरनगर, शिमला, पांवटा साहिब, ऊना और मनाली का आरएसपीएम, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर को मापा गया. आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण के स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई.

  • जनवरी में बद्दी में आरएसपीएम का स्तर 125 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर, यह स्तर बढ़ कर फरवरी में 152.6 पहुंच गया, लेकिन अप्रैल माह में यह स्तर गिर कर 71 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर रह गया.
  • परवाणू सेक्टर चार से सामने आए आंकड़ों के अनुसार यहां जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 48.7 था, जो कि अप्रैल में घट कर 34.5 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया.
  • सुदरनगर जनवरी में यहां आरएसपीएम 72 था जो अप्रैल में घट कर 23 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर पहुंच गया.
  • शिमला में जनवरी में आरएसपीएम का स्तर 58.4 था, जो अप्रैल में घट कर 48.8 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर रहा.
  • सिरमौर के पांवटा साहिब से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार जनवरी में यहां आरएसपीएम का स्तर 75.9 था लेकिन अप्रैल में यह स्तर घट कर 40 रह गया.
  • ऊना में ये स्तर 60.6 से घट कर 26.9 पहुंच गया.
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