ETV Bharat / state

विदेश में पढ़ाई स्वदेशी से राह बनाई, देश भर में पहुंचा रहे अब हिमाचल का जायका

शिमला के गौतमी श्रीवास्तव और सिद्धार्थ लखनपाल ने मोटी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़कर एक छोटी सी पहल की इन युवाओं ने स्वदेशी उत्पादों व्यवसाय की संभावना तलाश कर ना केवल अपने लिए स्वरोजगार के अवसर तलाशे ब्लकि घर घर छोटे छोटे उत्पाद बनाने वाली महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह भी दिखाई.

author img

By

Published : Jun 30, 2020, 10:11 PM IST

Updated : Jul 1, 2020, 2:45 PM IST

गौतमी श्रीवास्तव और सिद्धार्थ लखनपाल
गौतमी श्रीवास्तव और सिद्धार्थ लखनपाल

शिमला: आज के समय में हिमाचल के युवा बेहतर रोजगार पाने के लिए अधिक पैसा कमाने की चाह में अपना कैरियर और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हिमाचल से बाहर मेट्रो सिटी ओर विदेशों की ओर पलायन कर रहे है, लेकिन इसी बीच शिमला के दो युवा ऐसे है जिन्होंने विदेश में पढ़ाई के बाद अपनी अच्छी आमदनी देने वाली नौकरियों को अलविदा कह कर हिमाचल में वापसी की है.

यहां हिमाचल में वापस आ कर इन युवाओं ने स्वदेशी उत्पादों को लेकर अपना काम शुरू कर ना केवल अपने लिए स्वरोजगार की एक नई राह बनाई है बल्कि हिमाचल में अपने घरों पर ही छोटे-छोटे उत्पाद तैयार करने वाले महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का मौका दिया है. गौतमी श्रीवास्तव ओर सिद्धार्थ लखनपाल ने यह मिसाल पेश की है और अब यह दोनों हिमाचली उत्पादों को देश भर में लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे है.

वीडियो.

गौतमी ओर सिद्धार्थ दोनों दोस्तों ने मिलकर यह पहल की है. हिमाचल की वादियों में गर्मियों में जंगलों में बुरांश खिलता है तो उसकी खुशबू ओर रंग से पूरी वादियां निखर जाती है. दोनों ही युवा अपने इस स्टार्टअप के लिए हिमाचल के घरों से निकलने वाले जायके का स्वाद देश भर के लोगों को चखा रहे है.

अलग-अलग आचार, जैम, चटनी,शहद,चूली का तेल,ऊनी सामान, हर्बल साबुन,हर्बल क्रीम के साथ ही चिलगोजे,राजमा ओर हर्बल चाय जिसमें लाहुल स्पीति से सीबकथॉर्न की पत्तियां ला कर उसकी चाय के साथ ही तीर्थंन वैली से चुनकर लाई गई यू हर्बल टी का स्वाद लोगों तक पहुंचा रहे है.

इन सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेचा जा रहा है और अब दोनों युवाओं ने मिलकर अपने उत्पादों को बेचने के लिए बुरांश वेबसाइट भी बना डाली है और यह काम भी उन्होंने लॉक डाउन के समय में खुद ही किया है.किसी को पैसे दे कर यह वेबसाइट उन्होंने नहीं बनाई है. अब वेबसाइट बनने के बाद उनका काम और अपने उत्पादों को बेचना ओर लोगों तक पहुंचाना भी आसान हो गया है.

उनकी स्टार्टअप की है खास बात है कि उन्होंने स्टार्टअप में ज्यादा पैसा ना लगाकर कम पैसों से इसकी शुरुआत की है जिससे कि वह स्टार्टअप को शुरू करने से पहले ही कर्जदार ना हो जाए. नौकरी से जितनी सेविंग उनके पास हुई उसी से उन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत की है.अब स्टार्टअप में अपने नए विचारों और सोच के साथ काम कर वह इसे अगले मुकाम तक ले जा रहे हैं.

विदेश में पढ़ाई स्वदेशी से राह बनाई

बुरांश की शुरुवात में सबसे अहम भूमिका निभाने वाली गौतमी ने पुणे से जर्नलिज्म का कोर्स करने के बाद बतौर जर्नलिस्ट भी काम किया. इसके बाद अपनी आगामी पढ़ाई के लिए वह यूएस गई जिसके बाद नीति आयोग में उन्होंने नौकरी की, लेकिन मन और जहन में बसे हिमाचल को वो विदेशी पढ़ाई और अच्छी पैकेज देने वाली नौकरी भी नहीं दूर पाई.नीति आयोग में स्टार्टअप इंडिया में काम करते हुए गौतमी को यह लगा कि क्या वह हिमाचल को इस तरह से अगल-अलग प्लेटफार्म पर प्रमोट नहीं कर सकती है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई और डेवलपमेंट स्टडी में मास्टर करने के बाद दिल्ली में ही थिंक टैंक इंस्टीटीयूट की नौकरी को छोड़कर सिद्धार्थ ने अपने सपने को चुना. इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने और गौतमी ने हिमाचल के अलग-अलग दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में जाकर वहां बनाए जाने वाले प्रोडक्ट के बारे में जानकारी हासिल की.बेहतर ओरिजनल प्रोडक्ट लाने के लिए हिमाचल के मेलों, प्रदर्शनियों में लगने वाले घरेलू उत्पाद के साथ ही सेल्फहेल्प ग्रुप्स से मिले और उनके उत्पाद अब बुरांश की पहचान बन चुके है.

सिद्धार्थ ने कहा कि नौकरी तो उनके पास थी जिससे भविष्य सुरक्षित था लेकिन, बुरांश ने उन्हें असल खुशी दी है. गौतमी और सिद्धार्थ प्रदेश में चंबा, कांगड़ा, अपर शिमला, स्पीति किन्नौर, तीर्थन वैली के साथ ही अलग-अलग जगहों से नेचुरल और हर्बल उत्पाद लेकर आते हैं. वही इन क्षेत्रों में महिलाओं के जो सेल्फ हेल्प ग्रुप है उनके द्वारा बनाए जाने वाले अचार चटनी जैन सहित अन्य उत्पादों को बुरांश के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए बेचा जा रहा है.

इन्हें आकर्षक रूप में पैक करने का काम गौतमी और सिद्धार्थ करते हैं, जबकि बल्क में उत्पाद सेल्फ हेल्प ग्रुप से उठाए जा रहे है. इससे जहां सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं को भी आमदनी मिल रही है ओर वह आत्मनिर्भर बन रही है है तो वहीं उत्पादों पर लगने वाले लेबल पर भी उनके ग्रुप को पहचान दी जा रही है और देश भर में उनके यह उत्पाद बिक रहे है.

ये भी पढ़ें: तेल की बढ़ती कीमतों पर कांग्रेस का 'कपड़ा उतार' प्रदर्शन, रस्सियों से खींची गाड़ी

शिमला: आज के समय में हिमाचल के युवा बेहतर रोजगार पाने के लिए अधिक पैसा कमाने की चाह में अपना कैरियर और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हिमाचल से बाहर मेट्रो सिटी ओर विदेशों की ओर पलायन कर रहे है, लेकिन इसी बीच शिमला के दो युवा ऐसे है जिन्होंने विदेश में पढ़ाई के बाद अपनी अच्छी आमदनी देने वाली नौकरियों को अलविदा कह कर हिमाचल में वापसी की है.

यहां हिमाचल में वापस आ कर इन युवाओं ने स्वदेशी उत्पादों को लेकर अपना काम शुरू कर ना केवल अपने लिए स्वरोजगार की एक नई राह बनाई है बल्कि हिमाचल में अपने घरों पर ही छोटे-छोटे उत्पाद तैयार करने वाले महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का मौका दिया है. गौतमी श्रीवास्तव ओर सिद्धार्थ लखनपाल ने यह मिसाल पेश की है और अब यह दोनों हिमाचली उत्पादों को देश भर में लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे है.

वीडियो.

गौतमी ओर सिद्धार्थ दोनों दोस्तों ने मिलकर यह पहल की है. हिमाचल की वादियों में गर्मियों में जंगलों में बुरांश खिलता है तो उसकी खुशबू ओर रंग से पूरी वादियां निखर जाती है. दोनों ही युवा अपने इस स्टार्टअप के लिए हिमाचल के घरों से निकलने वाले जायके का स्वाद देश भर के लोगों को चखा रहे है.

अलग-अलग आचार, जैम, चटनी,शहद,चूली का तेल,ऊनी सामान, हर्बल साबुन,हर्बल क्रीम के साथ ही चिलगोजे,राजमा ओर हर्बल चाय जिसमें लाहुल स्पीति से सीबकथॉर्न की पत्तियां ला कर उसकी चाय के साथ ही तीर्थंन वैली से चुनकर लाई गई यू हर्बल टी का स्वाद लोगों तक पहुंचा रहे है.

इन सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेचा जा रहा है और अब दोनों युवाओं ने मिलकर अपने उत्पादों को बेचने के लिए बुरांश वेबसाइट भी बना डाली है और यह काम भी उन्होंने लॉक डाउन के समय में खुद ही किया है.किसी को पैसे दे कर यह वेबसाइट उन्होंने नहीं बनाई है. अब वेबसाइट बनने के बाद उनका काम और अपने उत्पादों को बेचना ओर लोगों तक पहुंचाना भी आसान हो गया है.

उनकी स्टार्टअप की है खास बात है कि उन्होंने स्टार्टअप में ज्यादा पैसा ना लगाकर कम पैसों से इसकी शुरुआत की है जिससे कि वह स्टार्टअप को शुरू करने से पहले ही कर्जदार ना हो जाए. नौकरी से जितनी सेविंग उनके पास हुई उसी से उन्होंने अपने स्टार्टअप की शुरुआत की है.अब स्टार्टअप में अपने नए विचारों और सोच के साथ काम कर वह इसे अगले मुकाम तक ले जा रहे हैं.

विदेश में पढ़ाई स्वदेशी से राह बनाई

बुरांश की शुरुवात में सबसे अहम भूमिका निभाने वाली गौतमी ने पुणे से जर्नलिज्म का कोर्स करने के बाद बतौर जर्नलिस्ट भी काम किया. इसके बाद अपनी आगामी पढ़ाई के लिए वह यूएस गई जिसके बाद नीति आयोग में उन्होंने नौकरी की, लेकिन मन और जहन में बसे हिमाचल को वो विदेशी पढ़ाई और अच्छी पैकेज देने वाली नौकरी भी नहीं दूर पाई.नीति आयोग में स्टार्टअप इंडिया में काम करते हुए गौतमी को यह लगा कि क्या वह हिमाचल को इस तरह से अगल-अलग प्लेटफार्म पर प्रमोट नहीं कर सकती है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई और डेवलपमेंट स्टडी में मास्टर करने के बाद दिल्ली में ही थिंक टैंक इंस्टीटीयूट की नौकरी को छोड़कर सिद्धार्थ ने अपने सपने को चुना. इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने और गौतमी ने हिमाचल के अलग-अलग दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में जाकर वहां बनाए जाने वाले प्रोडक्ट के बारे में जानकारी हासिल की.बेहतर ओरिजनल प्रोडक्ट लाने के लिए हिमाचल के मेलों, प्रदर्शनियों में लगने वाले घरेलू उत्पाद के साथ ही सेल्फहेल्प ग्रुप्स से मिले और उनके उत्पाद अब बुरांश की पहचान बन चुके है.

सिद्धार्थ ने कहा कि नौकरी तो उनके पास थी जिससे भविष्य सुरक्षित था लेकिन, बुरांश ने उन्हें असल खुशी दी है. गौतमी और सिद्धार्थ प्रदेश में चंबा, कांगड़ा, अपर शिमला, स्पीति किन्नौर, तीर्थन वैली के साथ ही अलग-अलग जगहों से नेचुरल और हर्बल उत्पाद लेकर आते हैं. वही इन क्षेत्रों में महिलाओं के जो सेल्फ हेल्प ग्रुप है उनके द्वारा बनाए जाने वाले अचार चटनी जैन सहित अन्य उत्पादों को बुरांश के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए बेचा जा रहा है.

इन्हें आकर्षक रूप में पैक करने का काम गौतमी और सिद्धार्थ करते हैं, जबकि बल्क में उत्पाद सेल्फ हेल्प ग्रुप से उठाए जा रहे है. इससे जहां सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं को भी आमदनी मिल रही है ओर वह आत्मनिर्भर बन रही है है तो वहीं उत्पादों पर लगने वाले लेबल पर भी उनके ग्रुप को पहचान दी जा रही है और देश भर में उनके यह उत्पाद बिक रहे है.

ये भी पढ़ें: तेल की बढ़ती कीमतों पर कांग्रेस का 'कपड़ा उतार' प्रदर्शन, रस्सियों से खींची गाड़ी

Last Updated : Jul 1, 2020, 2:45 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.