शिमला: हिमाचल सरकार ने प्रति पेटी अधिकतम 24 किलो सेब भरने का निर्णय लिया है. सीजन से पहले इसके खिलाफ विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं. इस निर्णय के खिलाफ सेब उत्पादक संघ ने बुधवार को शिमला में आंदोलन की रणनीति बनाई. इसमें प्रदेशभर के बागवान यूनिवर्सल कार्टन अनिवार्य करने की मांग पर को लेकर चर्चा कर रहे हैं. सेब उत्पादक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सोहन ठाकुर ने बताया कि बैठक में लगभग 16 ब्लॉक से आए बागवान APMC एक्ट 2005, लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 और पैसेंजर एंड गुड्स टैक्स एक्ट 1955 के सभी प्रावधानों को सख्ती से लागू करने तथा यूनिवर्सल कार्टन को लेकर चर्चा कर रहे हैं.
अडाणी और आढ़तियों पर मार्केट फीस चोरी का आरोप: ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि अडाणी सहित दूसरे बड़े आढ़ती मार्केट फीस की चोरी करते हैं. सीजन की शुरुआत में ज्यादातर मंडियों में सेब 3000 से 4000 रुपए प्रति पेटी बिकता है, लेकिन अधिकांश आढ़ती पूरी कीमत पर मार्केट फीस नहीं देता और आधा रेट बताकर फीस चुकाता है. इससे सरकार को भी राजस्व के रूप में घाटा हो रहा है. उन्होंने सभी आढ़तियों और कॉर्पोरेट घरानों से पूरी मार्केट फीस लेने और इससे वातानुकूलित स्टोर बनाए जाने की मांग की.
आढ़तियों को निजी घरानों की मार्केट फीस से लूट की छूट देने का आरोप: बता दें, कि APMC निजी घरानों और आढ़तियों से एक फीसदी मार्केट फीस लेता है. महेंद्र वर्मा ने सेब ढुलाई की दरें वजन के हिसाब से तय करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सेब सीजन सिर पर है, लेकिन सरकार अभी भी सोई हुई है. सीजन की तैयारियां अब तक नहीं की गई. सड़कों की हालत भी खस्ता बनी हुई है. खासकर संपर्क मार्गों पर गड्ढों की वजह से इस बार सेब को मंडियों तक पहुंचाना चुनौतीपूर्ण होगा.
पैकिंग को लेकर कोर्ट जाने को बागवान मजबूर: रोचकोटगढ़ हॉर्टिकल्चर सोसायटी के अध्यक्ष हरिचंद रोच ने कहा कि सेब की पैकिंग के लिए यूनिवर्सल कार्टन अनिवार्य किया जाए. ऐसा नहीं करने पर बागवान कोर्ट जाने को मजबूर हो गए हैं.
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