शिमलाः लोकतांत्रिक परंपराओं को जीने वाले महादेश भारत में इस समय चुनावी कुम्भ की हलचल है. इसी भारत देश में छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल ने विलक्षण योगदान दिया है. न केवल देश के पहले मतदाता की भूमि हिमाचल है बल्कि समय-समय पर चुनाव संपन्न करवाने वाले मुख्य चुनाव आयुक्त भी इसी देवभूमि से संबंध रखते हैं.
भारत के चार मुख्य निर्वाचन आयुक्त किसी न किसी रूप में हिमाचल से जुड़े हुए हैं. स्वतंत्र भारत का प्रथम लोकसभा चुनाव संविधान के अंगीकृत किए जाने के बाद अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 में पांच महीनों की अवधि में पूरा हुआ था. उस समय लोकसभा में 489 सीटें थीं. इसके साथ ही देश के नाम पहला वोट डालने वाले थे किन्नौर जिले के श्याम सरन नेगी.
श्याम सरन नेगी इस बार फिर लोकसभा चुनाव के लिए मतदान करेंगे. श्याम सरन नेगी को भारत के पहले मतदाता होने का गौरव हासिल है. ऐसे ही गौरव के पल छोटे से राज्य हिमाचल ने इस देश को दिए हैं. छोटे राज्य हिमाचल ने देश को चार मुख्य निर्वाचन आयुक्त दिए हैं.
ऐसे चार मुख्य निर्वाचन आयुक्त जिनका हिमाचल से गहरा नाता रहा है. यहां तक कि देश की पहली महिला मुख्य-निर्वाचन आयुक्त भी हिमाचल से संबंध रखने वाली थीं.
देश की पहली महिला मुख्य-निर्वाचन आयुक्त
26 नवंबर 1990 का दिन था जब भारत को पहली महिला मुख्य निर्वाचन आयुक्त मिलीं. वीएस रमादेवी को यह सम्मान हासिल है. करीब सवा महीने के अल्पसमय के लिए, 12 दिसंबर 1990 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहीं. उनके बाद टी एन शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया.
वीएस रमादेवी 1997 से 1999 के बीच हिमाचल की राज्यपाल रहीं. वीएस रमादेवी को हिमाचल से इतना प्यार था कि वो यहीं बस जाना चाहती थीं, लेकिन पारिवारिक कारणों के बाद वो कर्नाटक के राज्यपाल को तौर पर शिफ्ट कर गईं. वीएस रमादेवी का जन्म आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के चेब्रोलु में हुआ था. उनका आखिरी कार्यभार 2 दिसंबर 1999 से लेकर 20 अगस्त 2002 तक कर्नाटक के राज्यपाल के रूप में रहा.
एमएस गिल देश के 11वें निर्वाचन आयुक्त बने
देश के 11वें निर्वाचन आयुक्त चुने गए एमएस गिल की करते हैं. एमएस गिल 1958 बैच के आईएस अफसर थे और वह 1965 से 1967 के बीच लाहौल स्पीति के डीसी रहे. एमएस गिल 12 दिसम्बर 1996 में 11वें चुनाव आयुक्त बने थे और टीएन शेषन के सेवानिवृत होने के बाद उसी साल देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त बन गए थे.
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एमएस गिल 13 जून 2001 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे और भारत में EVM चुनाव की शुरुआत का श्रेय उन्ही को जाता है. बाद में गिल केंद्रीय मंत्री भी बने. 1998 के चुनाव के दौरान वे जब हिमाचल आए थे तो शिमला में पत्रकारों से उन्होंने अपने लाहौल-स्पीति में बिताए समय को खुब याद किया था.
हिमाचल के बीबी टंडन बने देश को 14वें चुनाव आयुक्त
गिल के बाद इस पद पर हिमाचल से संबंधित दूसरे अफसर ब्रिज बिहारी टंडन यानी बीबी टंडन थे. बीबी टंडन 1965 के बैच के आईएएस अफसर थे और उनका कैडर भी हिमाचल ही था. टंडन ने 16 मई 2005 को देश के 14वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पदभार संभाला था. वे 29 जून 2006 तक इस पद पर रहे.
नवीन चावला ने दी हिमाचल को नई पहचान
अप्रैल 2009 में नवीन चावला देश के 16वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनाए गए. नवीन चावला का कार्यकाल 21 अप्रैल 2009 से लेकर 29 जुलाई 2010 तक रहा. दिल्ली में जन्मे चावला ने 1953 से 1961 तक हिमाचल में ही पढ़ाई की. वह कसौली के सेंट स्नावर स्कूल के छात्र थे.
करीब एक साल तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे नवीन चावला के ही कार्यकाल में ही श्याम सरन नेगी को विधिवत रूप से भारत के प्रथम मतदाता होने का प्रमाणपत्र मिला था. चावला खुद श्याम सरन नेगी के घर कल्पा गए थे और उन्हें इस उपलब्धि से सम्मानित किया.
मनीषा नंदा ने किया है देश के 5 निर्वाचन आयुक्तों के साथ काम
चार मुख्य निर्वाचन आयुक्तों के अलावा एक और उपलब्धि भी है जो हिमाचल के नाम जुड़ी है. वर्तमान में हिमाचल सरकार में अतरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग, वित्त आयुक्त (राजस्व) मनीषा नंदा के नाम भी एक रिकॉर्ड दर्ज है.
मनीषा नंदा साल 2002 से 2008 तक हिमाचल की मुख्य चुनाव अधिकारी रही थी. मनीषा नंदा किसी भी राज्य की एकमात्र ऐसी मुख्य चुनाव आयुक्त अधिकारी हैं. जिन्होंने पांच-पांच मुख्य निर्वाचन आयुक्तों के साथ काम किया हो.
उन्होंने जेएम लिंगदोह (14 जून 2001-7 फरवरी 2004), टीएस कृष्णमूर्ति (08 फरवरी 2004-15 मई 2005), बीबी टंडन (16 मई 2005-29 जून 2006). एन गोपालास्वामी (30 जून 2006-20 अप्रैल 2009) के साथ काम किया जबकि उसी दौरान नवीन चावला चुनाव आयुक्त थे जो बाद में (21 अप्रैल 2009 से 29 जुलाई 2010) निर्वाचन आयुक्त भी बने. मनीषा नंदा हिमाचल की पहली महिला मुख्य चुनाव अधिकारी रही हैं.
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