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छोटे राज्य हिमाचल के सिर बड़े ताज, देश के पहले वोटर सहित देवभूमि ने दिए 4 मुख्य निर्वाचन आयुक्त

ऐसे चार मुख्य निर्वाचन आयुक्त जिनका हिमाचल से गहरा नाता रहा है. यहां तक कि देश की पहली महिला मुख्य-निर्वाचन आयुक्त भी हिमाचल से संबंध रखने वाली थीं.

4 मुख्य निर्वाचन आयुक्त
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Published : Apr 17, 2019, 4:35 PM IST

शिमलाः लोकतांत्रिक परंपराओं को जीने वाले महादेश भारत में इस समय चुनावी कुम्भ की हलचल है. इसी भारत देश में छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल ने विलक्षण योगदान दिया है. न केवल देश के पहले मतदाता की भूमि हिमाचल है बल्कि समय-समय पर चुनाव संपन्न करवाने वाले मुख्य चुनाव आयुक्त भी इसी देवभूमि से संबंध रखते हैं.

भारत के चार मुख्य निर्वाचन आयुक्त किसी न किसी रूप में हिमाचल से जुड़े हुए हैं. स्वतंत्र भारत का प्रथम लोकसभा चुनाव संविधान के अंगीकृत किए जाने के बाद अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 में पांच महीनों की अवधि में पूरा हुआ था. उस समय लोकसभा में 489 सीटें थीं. इसके साथ ही देश के नाम पहला वोट डालने वाले थे किन्नौर जिले के श्याम सरन नेगी.

श्याम सरन नेगी इस बार फिर लोकसभा चुनाव के लिए मतदान करेंगे. श्याम सरन नेगी को भारत के पहले मतदाता होने का गौरव हासिल है. ऐसे ही गौरव के पल छोटे से राज्य हिमाचल ने इस देश को दिए हैं. छोटे राज्य हिमाचल ने देश को चार मुख्य निर्वाचन आयुक्त दिए हैं.

ऐसे चार मुख्य निर्वाचन आयुक्त जिनका हिमाचल से गहरा नाता रहा है. यहां तक कि देश की पहली महिला मुख्य-निर्वाचन आयुक्त भी हिमाचल से संबंध रखने वाली थीं.

देश की पहली महिला मुख्य-निर्वाचन आयुक्त
26 नवंबर 1990 का दिन था जब भारत को पहली महिला मुख्य निर्वाचन आयुक्त मिलीं. वीएस रमादेवी को यह सम्मान हासिल है. करीब सवा महीने के अल्पसमय के लिए, 12 दिसंबर 1990 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहीं. उनके बाद टी एन शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया.

Chief Election Commissioners VS Ramadevi
देश की पहली मुख्य-निर्वाचन आयुक्त वीएस रमादेवी.

वीएस रमादेवी 1997 से 1999 के बीच हिमाचल की राज्यपाल रहीं. वीएस रमादेवी को हिमाचल से इतना प्यार था कि वो यहीं बस जाना चाहती थीं, लेकिन पारिवारिक कारणों के बाद वो कर्नाटक के राज्यपाल को तौर पर शिफ्ट कर गईं. वीएस रमादेवी का जन्म आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के चेब्रोलु में हुआ था. उनका आखिरी कार्यभार 2 दिसंबर 1999 से लेकर 20 अगस्त 2002 तक कर्नाटक के राज्यपाल के रूप में रहा.

एमएस गिल देश के 11वें निर्वाचन आयुक्त बने
देश के 11वें निर्वाचन आयुक्त चुने गए एमएस गिल की करते हैं. एमएस गिल 1958 बैच के आईएस अफसर थे और वह 1965 से 1967 के बीच लाहौल स्पीति के डीसी रहे. एमएस गिल 12 दिसम्बर 1996 में 11वें चुनाव आयुक्त बने थे और टीएन शेषन के सेवानिवृत होने के बाद उसी साल देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त बन गए थे.

Chief Election Commissioners GS Gill
पूर्व मुख्य-निर्वाचन आयुक्त जीएस गिल.

पढ़ेंः कांगड़ा सीट: गुरु की सत्ता के लिए चुनावी मैदान में उतरे 2 शिष्य, रोमांचक होगा 'त्रिगर्त' का रण

एमएस गिल 13 जून 2001 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे और भारत में EVM चुनाव की शुरुआत का श्रेय उन्ही को जाता है. बाद में गिल केंद्रीय मंत्री भी बने. 1998 के चुनाव के दौरान वे जब हिमाचल आए थे तो शिमला में पत्रकारों से उन्होंने अपने लाहौल-स्पीति में बिताए समय को खुब याद किया था.

हिमाचल के बीबी टंडन बने देश को 14वें चुनाव आयुक्त
गिल के बाद इस पद पर हिमाचल से संबंधित दूसरे अफसर ब्रिज बिहारी टंडन यानी बीबी टंडन थे. बीबी टंडन 1965 के बैच के आईएएस अफसर थे और उनका कैडर भी हिमाचल ही था. टंडन ने 16 मई 2005 को देश के 14वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पदभार संभाला था. वे 29 जून 2006 तक इस पद पर रहे.

Chief Election Commissioners BB Tandon
पूर्व मुख्य-निर्वाचन आयुक्त बीबी टंडन.

नवीन चावला ने दी हिमाचल को नई पहचान
अप्रैल 2009 में नवीन चावला देश के 16वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनाए गए. नवीन चावला का कार्यकाल 21 अप्रैल 2009 से लेकर 29 जुलाई 2010 तक रहा. दिल्ली में जन्मे चावला ने 1953 से 1961 तक हिमाचल में ही पढ़ाई की. वह कसौली के सेंट स्नावर स्कूल के छात्र थे.

करीब एक साल तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे नवीन चावला के ही कार्यकाल में ही श्याम सरन नेगी को विधिवत रूप से भारत के प्रथम मतदाता होने का प्रमाणपत्र मिला था. चावला खुद श्याम सरन नेगी के घर कल्पा गए थे और उन्हें इस उपलब्धि से सम्मानित किया.

Chief Election Commissioners Naveen Chawla
पूर्व मुख्य-निर्वाचन आयुक्त नवीन चावला.

मनीषा नंदा ने किया है देश के 5 निर्वाचन आयुक्तों के साथ काम
चार मुख्य निर्वाचन आयुक्तों के अलावा एक और उपलब्धि भी है जो हिमाचल के नाम जुड़ी है. वर्तमान में हिमाचल सरकार में अतरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग, वित्त आयुक्त (राजस्व) मनीषा नंदा के नाम भी एक रिकॉर्ड दर्ज है.

मनीषा नंदा साल 2002 से 2008 तक हिमाचल की मुख्य चुनाव अधिकारी रही थी. मनीषा नंदा किसी भी राज्य की एकमात्र ऐसी मुख्य चुनाव आयुक्त अधिकारी हैं. जिन्होंने पांच-पांच मुख्य निर्वाचन आयुक्तों के साथ काम किया हो.

Additional Chief Secretary Manisha Nanda
हिमाचल सरकार में अतरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नंदा.

उन्होंने जेएम लिंगदोह (14 जून 2001-7 फरवरी 2004), टीएस कृष्णमूर्ति (08 फरवरी 2004-15 मई 2005), बीबी टंडन (16 मई 2005-29 जून 2006). एन गोपालास्वामी (30 जून 2006-20 अप्रैल 2009) के साथ काम किया जबकि उसी दौरान नवीन चावला चुनाव आयुक्त थे जो बाद में (21 अप्रैल 2009 से 29 जुलाई 2010) निर्वाचन आयुक्त भी बने. मनीषा नंदा हिमाचल की पहली महिला मुख्य चुनाव अधिकारी रही हैं.

ये भी पढ़ेंः हमीरपुर सीटः BJP का गढ़ माना जाने वाला हमीरपुर कभी था कांग्रेस का अभेद्य दुर्ग

शिमलाः लोकतांत्रिक परंपराओं को जीने वाले महादेश भारत में इस समय चुनावी कुम्भ की हलचल है. इसी भारत देश में छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल ने विलक्षण योगदान दिया है. न केवल देश के पहले मतदाता की भूमि हिमाचल है बल्कि समय-समय पर चुनाव संपन्न करवाने वाले मुख्य चुनाव आयुक्त भी इसी देवभूमि से संबंध रखते हैं.

भारत के चार मुख्य निर्वाचन आयुक्त किसी न किसी रूप में हिमाचल से जुड़े हुए हैं. स्वतंत्र भारत का प्रथम लोकसभा चुनाव संविधान के अंगीकृत किए जाने के बाद अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 में पांच महीनों की अवधि में पूरा हुआ था. उस समय लोकसभा में 489 सीटें थीं. इसके साथ ही देश के नाम पहला वोट डालने वाले थे किन्नौर जिले के श्याम सरन नेगी.

श्याम सरन नेगी इस बार फिर लोकसभा चुनाव के लिए मतदान करेंगे. श्याम सरन नेगी को भारत के पहले मतदाता होने का गौरव हासिल है. ऐसे ही गौरव के पल छोटे से राज्य हिमाचल ने इस देश को दिए हैं. छोटे राज्य हिमाचल ने देश को चार मुख्य निर्वाचन आयुक्त दिए हैं.

ऐसे चार मुख्य निर्वाचन आयुक्त जिनका हिमाचल से गहरा नाता रहा है. यहां तक कि देश की पहली महिला मुख्य-निर्वाचन आयुक्त भी हिमाचल से संबंध रखने वाली थीं.

देश की पहली महिला मुख्य-निर्वाचन आयुक्त
26 नवंबर 1990 का दिन था जब भारत को पहली महिला मुख्य निर्वाचन आयुक्त मिलीं. वीएस रमादेवी को यह सम्मान हासिल है. करीब सवा महीने के अल्पसमय के लिए, 12 दिसंबर 1990 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहीं. उनके बाद टी एन शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया.

Chief Election Commissioners VS Ramadevi
देश की पहली मुख्य-निर्वाचन आयुक्त वीएस रमादेवी.

वीएस रमादेवी 1997 से 1999 के बीच हिमाचल की राज्यपाल रहीं. वीएस रमादेवी को हिमाचल से इतना प्यार था कि वो यहीं बस जाना चाहती थीं, लेकिन पारिवारिक कारणों के बाद वो कर्नाटक के राज्यपाल को तौर पर शिफ्ट कर गईं. वीएस रमादेवी का जन्म आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के चेब्रोलु में हुआ था. उनका आखिरी कार्यभार 2 दिसंबर 1999 से लेकर 20 अगस्त 2002 तक कर्नाटक के राज्यपाल के रूप में रहा.

एमएस गिल देश के 11वें निर्वाचन आयुक्त बने
देश के 11वें निर्वाचन आयुक्त चुने गए एमएस गिल की करते हैं. एमएस गिल 1958 बैच के आईएस अफसर थे और वह 1965 से 1967 के बीच लाहौल स्पीति के डीसी रहे. एमएस गिल 12 दिसम्बर 1996 में 11वें चुनाव आयुक्त बने थे और टीएन शेषन के सेवानिवृत होने के बाद उसी साल देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त बन गए थे.

Chief Election Commissioners GS Gill
पूर्व मुख्य-निर्वाचन आयुक्त जीएस गिल.

पढ़ेंः कांगड़ा सीट: गुरु की सत्ता के लिए चुनावी मैदान में उतरे 2 शिष्य, रोमांचक होगा 'त्रिगर्त' का रण

एमएस गिल 13 जून 2001 तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे और भारत में EVM चुनाव की शुरुआत का श्रेय उन्ही को जाता है. बाद में गिल केंद्रीय मंत्री भी बने. 1998 के चुनाव के दौरान वे जब हिमाचल आए थे तो शिमला में पत्रकारों से उन्होंने अपने लाहौल-स्पीति में बिताए समय को खुब याद किया था.

हिमाचल के बीबी टंडन बने देश को 14वें चुनाव आयुक्त
गिल के बाद इस पद पर हिमाचल से संबंधित दूसरे अफसर ब्रिज बिहारी टंडन यानी बीबी टंडन थे. बीबी टंडन 1965 के बैच के आईएएस अफसर थे और उनका कैडर भी हिमाचल ही था. टंडन ने 16 मई 2005 को देश के 14वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पदभार संभाला था. वे 29 जून 2006 तक इस पद पर रहे.

Chief Election Commissioners BB Tandon
पूर्व मुख्य-निर्वाचन आयुक्त बीबी टंडन.

नवीन चावला ने दी हिमाचल को नई पहचान
अप्रैल 2009 में नवीन चावला देश के 16वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनाए गए. नवीन चावला का कार्यकाल 21 अप्रैल 2009 से लेकर 29 जुलाई 2010 तक रहा. दिल्ली में जन्मे चावला ने 1953 से 1961 तक हिमाचल में ही पढ़ाई की. वह कसौली के सेंट स्नावर स्कूल के छात्र थे.

करीब एक साल तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त रहे नवीन चावला के ही कार्यकाल में ही श्याम सरन नेगी को विधिवत रूप से भारत के प्रथम मतदाता होने का प्रमाणपत्र मिला था. चावला खुद श्याम सरन नेगी के घर कल्पा गए थे और उन्हें इस उपलब्धि से सम्मानित किया.

Chief Election Commissioners Naveen Chawla
पूर्व मुख्य-निर्वाचन आयुक्त नवीन चावला.

मनीषा नंदा ने किया है देश के 5 निर्वाचन आयुक्तों के साथ काम
चार मुख्य निर्वाचन आयुक्तों के अलावा एक और उपलब्धि भी है जो हिमाचल के नाम जुड़ी है. वर्तमान में हिमाचल सरकार में अतरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग, वित्त आयुक्त (राजस्व) मनीषा नंदा के नाम भी एक रिकॉर्ड दर्ज है.

मनीषा नंदा साल 2002 से 2008 तक हिमाचल की मुख्य चुनाव अधिकारी रही थी. मनीषा नंदा किसी भी राज्य की एकमात्र ऐसी मुख्य चुनाव आयुक्त अधिकारी हैं. जिन्होंने पांच-पांच मुख्य निर्वाचन आयुक्तों के साथ काम किया हो.

Additional Chief Secretary Manisha Nanda
हिमाचल सरकार में अतरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नंदा.

उन्होंने जेएम लिंगदोह (14 जून 2001-7 फरवरी 2004), टीएस कृष्णमूर्ति (08 फरवरी 2004-15 मई 2005), बीबी टंडन (16 मई 2005-29 जून 2006). एन गोपालास्वामी (30 जून 2006-20 अप्रैल 2009) के साथ काम किया जबकि उसी दौरान नवीन चावला चुनाव आयुक्त थे जो बाद में (21 अप्रैल 2009 से 29 जुलाई 2010) निर्वाचन आयुक्त भी बने. मनीषा नंदा हिमाचल की पहली महिला मुख्य चुनाव अधिकारी रही हैं.

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माध्यम से अदालत को दी/ अदालत को यह भी बताया गया कि सौ नई एम्बुलेंस को खरीदने के लिए इ टेंडर आमंत्रित किये गए है/ मुख्य न्यायधीश सूर्य कान्त और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने जनहित में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य और मिशन डायरेक्टर को आदेश दिए कि वह शपथ पत्र के माध्यम से 102/108 एम्बुलेंस में कार्यरत कर्मचारियो की सेवा सम्बन्धी नियमो को शपथपत्र के माध्यम से अदालत के समक्ष रखा जाए/

अपने पिछले आदेशो के तहत प्रदेश हाई कोर्ट ने सचिव स्वास्थ्य को आदेश दिए कि वह प्रदेश में खटारा एम्बुलेंस को तुरंत प्रभाव से बदले बारे केन्द्रीय सरकार से मामला उठाये  और सुनिश्चित करे कि इनकी जगह नई एम्बुलेंस चलाई जाए/ खंडपीठ ने स्वास्थ्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह प्रदेश के सभी नेशनल हाई वे और स्टेट हाई वे पर पेट्रोलिंग के लिए आपातकालीन वाहन उपलब्ध करवाए/

ज्ञात रहे कि  एम्बुलेंस 108 और 102 में कार्यरत ड्राइवर और तकनीशियन का अपनी मांगो को लेकर झगड़ा चल रहा है/ कर्मचारियो की मांगे है कि राज्य के सभी  एम्बुलेंस कर्मचारियो को हरियाणा राज्य के 108 एम्बुलेंस कर्मचारियो की तरह अधीनस्थ किया जाये/ जिन 108 कर्मचारियो ने सरकारी खर्चे पर प्रशिक्षण लिया है उनको प्राथमिकता के आधार पर लिया जाए/ सामान काम का सामान वेतन समस्त कर्मचारियो में लागू हो/ एम्बुलेंस कर्मचारियो को अस्थाई नौकरी को स्थायी करना सुनिषित करे/ कर्मचारियो को ठेकेदारी प्रथा से मुक्त किया जाए/ कर्मचारियो के साथ किसी भी प्रकार की घटना होने पर परिवार के एक सदस्य को स्थायी नौकरी मिले और परिवार वालो को मुवावजा भी मिले/ 


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