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किसानों के हित में है कृषि बिल, अंत्योदय के जनक शांता कुमार बोले, मुट्ठी भर एलीट किसान कर रहे विरोध

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Published : Sep 24, 2020, 2:16 PM IST

पूर्व केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री शांता कुमार ने नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि बिल को किसानों के हित में बताया है. शांता कुमार ने कहा कि कृषि बिल के प्रावधानों से देश के किसानों की आर्थिक दशा सुधरेगी. शांता कुमार ने कहा कि एमएसपी पर विपक्ष का विरोध गलत है. एमएसपी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है, ये पहले की तरह जारी रहेगा. जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनके निजी स्वार्थ हैं.

former union minister shanta kumar
पूर्व केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री शांता कुमार

शिमला: अन्तयोदय के जनक और पूर्व केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री शांता कुमार ने नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि बिल को किसानों के हित में बताया है. शांता कुमार ने कहा कि कृषि बिल के प्रावधानों से देश के किसानों की आर्थिक दशा सुधरेगी.

उल्लेखनीय है कि शांता कुमार की अगुवाई में ही एक कमेटी ने कृषि बिल की ड्राफ्टिंग की थी. शांता कुमार पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की किसान सम्मान निधि योजना को भी सराहा है. शांता कुमार कहा कि विपक्ष इस बिल के विरोध के जरिए राजनीति कर रहा है. केवल मुट्ठी भर एलीट किसान ही बिल के खिलाफ स्वर बुलंद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी विपक्ष भ्रांतियां पैदा कर रहा है.

शांता कुमार ने कहा कि एपीएमसी व किसानों के उत्पाद के संदर्भ में सुधार लंबे समय से अपेक्षित थे. हालांकि शांता कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी को सुझाव दिया है कि फर्टीलाइजर सब्सिडी को भी सीधे किसानों के खाते में पहुंचाया जाना चाहिए.

बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में पहली बार सत्ता में आने के बाद कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए एक कमेटी का गठन किया था. शांता कुमार को कमेटी का जिम्मा सौंपा गया था और कृषि सुधार के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा था. शांता कुमार की अध्यक्षता वाली कमेटी ने वर्ष 2015 में रिपोर्ट सौंपी थी.

शांता कुमार ने कहा कि एमएसपी पर विपक्ष का विरोध गलत है. एमएसपी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है, ये पहले की तरह जारी रहेगा. जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनके निजी स्वार्थ हैं. खासकर बिचौलिए, आढ़तिए और बड़े किसान इस से परेशान हैं, क्योंकि उनकी मनमानी पर अंकुश लगेगा. शांता के अनुसार लघु व सीमांत किसानों को इस अध्यादेश से लाभ ही लाभ है. केंद्र सरकार ने किसानों को सीधे इन्सेंटिव देकर अच्छा कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि खेती एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें निवेश करने वाले को प्रीमियम नहीं मिलता.

शांता कुमार के अनुसार अभी भी किसानों की दशा सुधारने के लिए कई कदम उठाए जाने बाकी हैं. फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया की कार्यप्रणाली सुधारी जानी चाहिए. किसानों के हित में इसका नए सिरे से गठन होना चाहिए. विभिन्न रिपोट्र्स के आधार पर ये सामने आया है कि पीडीएस का अन्न बड़ी मात्रा में खराब हो जाता है. एफसीआई में भ्रष्टाचार एक अलग मुद्दा है. एफसीआई को केवल उन्हीं राज्यों में किसानों से उत्पाद खरीदना चाहिए, जहां खरीद सिस्टम अपेक्षाकृत कमजोर है.

उदाहरण के लिए यूपी, बिहार, आसाम आदि राज्यों में स्थानीय खरीद सिस्टम कमजोर है. ऐसे राज्यों में एफसीआई को खरीद करनी चाहिए. शांता कुमार के मुताबिक कमेटी की सिफारिश है कि एफसीआई को पंजाब, हरियाणा, एमपी जैसे राज्यों में खरीद प्रक्रिया आउटसोर्स करनी चाहिए, जहां सिस्टम मजबूत है. एफसीआई की खरीद प्रक्रिया ऐसी है कि अन्न का बेतहाशा भंडारण हो जाता है, जो बाद में सड़ जाता है. उन्होंने एमएसपी पर बोनस को भी गलत ठहराया है.

ये भी पढ़ें: कोरोना काल में हावी हुई अफसरशाही, अधर में लटकी घर की फाइल

शिमला: अन्तयोदय के जनक और पूर्व केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री शांता कुमार ने नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि बिल को किसानों के हित में बताया है. शांता कुमार ने कहा कि कृषि बिल के प्रावधानों से देश के किसानों की आर्थिक दशा सुधरेगी.

उल्लेखनीय है कि शांता कुमार की अगुवाई में ही एक कमेटी ने कृषि बिल की ड्राफ्टिंग की थी. शांता कुमार पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की किसान सम्मान निधि योजना को भी सराहा है. शांता कुमार कहा कि विपक्ष इस बिल के विरोध के जरिए राजनीति कर रहा है. केवल मुट्ठी भर एलीट किसान ही बिल के खिलाफ स्वर बुलंद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी विपक्ष भ्रांतियां पैदा कर रहा है.

शांता कुमार ने कहा कि एपीएमसी व किसानों के उत्पाद के संदर्भ में सुधार लंबे समय से अपेक्षित थे. हालांकि शांता कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी को सुझाव दिया है कि फर्टीलाइजर सब्सिडी को भी सीधे किसानों के खाते में पहुंचाया जाना चाहिए.

बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 2014 में पहली बार सत्ता में आने के बाद कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए एक कमेटी का गठन किया था. शांता कुमार को कमेटी का जिम्मा सौंपा गया था और कृषि सुधार के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा था. शांता कुमार की अध्यक्षता वाली कमेटी ने वर्ष 2015 में रिपोर्ट सौंपी थी.

शांता कुमार ने कहा कि एमएसपी पर विपक्ष का विरोध गलत है. एमएसपी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है, ये पहले की तरह जारी रहेगा. जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनके निजी स्वार्थ हैं. खासकर बिचौलिए, आढ़तिए और बड़े किसान इस से परेशान हैं, क्योंकि उनकी मनमानी पर अंकुश लगेगा. शांता के अनुसार लघु व सीमांत किसानों को इस अध्यादेश से लाभ ही लाभ है. केंद्र सरकार ने किसानों को सीधे इन्सेंटिव देकर अच्छा कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि खेती एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें निवेश करने वाले को प्रीमियम नहीं मिलता.

शांता कुमार के अनुसार अभी भी किसानों की दशा सुधारने के लिए कई कदम उठाए जाने बाकी हैं. फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया की कार्यप्रणाली सुधारी जानी चाहिए. किसानों के हित में इसका नए सिरे से गठन होना चाहिए. विभिन्न रिपोट्र्स के आधार पर ये सामने आया है कि पीडीएस का अन्न बड़ी मात्रा में खराब हो जाता है. एफसीआई में भ्रष्टाचार एक अलग मुद्दा है. एफसीआई को केवल उन्हीं राज्यों में किसानों से उत्पाद खरीदना चाहिए, जहां खरीद सिस्टम अपेक्षाकृत कमजोर है.

उदाहरण के लिए यूपी, बिहार, आसाम आदि राज्यों में स्थानीय खरीद सिस्टम कमजोर है. ऐसे राज्यों में एफसीआई को खरीद करनी चाहिए. शांता कुमार के मुताबिक कमेटी की सिफारिश है कि एफसीआई को पंजाब, हरियाणा, एमपी जैसे राज्यों में खरीद प्रक्रिया आउटसोर्स करनी चाहिए, जहां सिस्टम मजबूत है. एफसीआई की खरीद प्रक्रिया ऐसी है कि अन्न का बेतहाशा भंडारण हो जाता है, जो बाद में सड़ जाता है. उन्होंने एमएसपी पर बोनस को भी गलत ठहराया है.

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