शिमला: जिला प्रशासन द्वारा नगर निगम के उपायुक्त कार्यालय में महापौर के कार्यालय पर जबरन कब्जा करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. नगर निगम के बीजेपी पार्षद सीएम से डीसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. बताया जा रहा है सोमवार को पार्षद सीएम जयराम से मिले और कार्रवाई की गुहार लगाई. हालांकि नगर निगम की महापौर इस मामले पर चुप्पी साध रही हैं. जब उनसे इसको लेकर पूछा गया तो इस मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.
पूर्व महापौर संजय चौहान ने जिला प्रशासन की इस कार्रवाई को असंवैधानिक करार दिया और कहा कि नगर निगम के कार्यालय पर जबरन कब्जा अशोभनीय घटना है. नगर निगम के महापौर जनता द्वारा चुने प्रतिनिधि होते हैं. संविधान द्वारा उन्हें कई अधिकार भी दिए गए हैं. उन्होंने कहा जिला प्रशासन को कब्जा करना था तो तो पहले नगर निगम के अधिकारियों से बात करते, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा ऐसा नहीं किया गया और जबरन महापौर के कार्यालय का ताला तोड़ कर कब्जा किया गया है, जोकि निंदनीय घटना है. संजय चौहान ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की.
बता दें कि टाउनहॉल मिलने के बाद नगर निगम की महापौर ने अपना कार्यालय शिफ्ट कर दिया था, लेकिन उपायुक्त कार्यालय को जहां महापौर पहले रह रही थी वो खाली नहीं किया गया था. उस कार्यालय में महापौर का सामान था. नगर निगम ने वहां पर अपना ताला लगाया गया थे. जिला प्रशासन ने कई बार नगर निगम को खाली करने के लिए नोटिस भी जारी किया गया था, लेकिन नगर निगम उसे खाली नहीं कर रहा था और जिला प्रशासन ने ताला तोड़ कर महापौर के कार्यालय को कब्जे में ले लिया है और उप-महापौर को भी जल्द कार्यालय खाली करने के निर्देश दिए हैं.
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