शिमला: प्रदेश सरकार की ओर से जहां पहली से लेकर सातवीं तक के छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रमोट करने का फैसला ले लिया गया है. वहीं, अब पांचवी और आठवीं के छात्रों के लिए भी सरकार इसी तरह का फैसला लेने की तैयारी में है.
संभावना है कि पांचवी और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को भी बिना परीक्षा परिणाम घोषित किए ही अगली कक्षा में भेज दिया जाएगा. पांचवी और आठवीं कक्षा के साथ ही सरकार नवीं और 11वीं के छात्रों को भी प्रमोट करने पर विचार कर रही है.
सरकार की ओर से शिक्षा विभाग को आदेश जारी किए गए हैं कि वह जल्द प्रपोजल बनाएं जिससे कि इन कार्यों को पूरा किया जा सके. अभी तय किया गया है कि इन छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट करने के बाद स्थिति सामान्य होने के बाद इनके परीक्षाओं का आंकलन किया जाएगा, जिसके आधार पर यह देखा जाएगा की परीक्षाओं में छात्रों की परफॉर्मेंस किस तरह की रही हैं.
छात्रों का साल बर्बाद ना हो इसे देखते हुए सरकार की ओर से यह बड़े फैसले लिए जा रहे हैं. वहीं सरकार की ओर से यह भी फैसला लिया गया है कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच शिक्षक घरों में ही करेंगे.
विभाग की ओर से शिक्षा बोर्ड को प्रस्ताव इस बाबत सरकार को देने को कहा गया है. 12वीं के कुछ ऑप्शनल और वोकेशनल विषयों की परीक्षा नहीं हो पाई है तो ऐसे में अब इन विषयों की परीक्षाएं भी नहीं करवाई जाएंगी. हालांकि इस पर भी बोर्ड की ओर से ही सरकार को स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट की जाएगी.
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा है कि कोरोना की वजह से इस बार परीक्षाएं और परीक्षा परिणाम दोनों ही प्रभावित हुए हैं. ऐसे में छात्रों का साल बर्बाद ना हो इसे लेकर कई अहम फैसले सरकार की ओर से दिए जा रहे हैं, जिस पर शिक्षा बोर्ड की भी सलाह मांगी गई है. बोर्ड का प्रस्ताव आने के बाद ही फैसला परीक्षा परिणाम और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को लेकर किया जाएगा.
बता दें कि इस बार पांचवी और आठवीं कक्षा के लिए सरकार की ओर से डिटेंशन पॉलिसी को लागू किया गया था जिसके चलते पांचवी और आठवीं में जो छात्र परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाते उन्हें 2 माह बाद दोबारा से परीक्षा देने का मौका दिया जाना था.
अगर छात्र इस अवसर में भी परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं तो उन्हें फेल कर उसी कक्षा में दोबारा से बैठाया जाना था, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से सरकार का यह नियम लागू नहीं हो पा रहा है जिसके चलते छात्रों को इस बार डिटेंशन पॉलिसी से राहत मिल जाएगी.