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शिमला से रोज निकलता है 70 टन कूड़ा, कचरे से बनती है बिजली

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Published : Mar 31, 2021, 5:59 PM IST

प्रदेश की राजधानी शिमला में कूड़े को डंप करने की लिए उचित व्यवस्था की गई है. शहर से 15 किलोमीटर दूर भरयाल में कूड़ा संयंत्र बनाया गया है जिसकी क्षमता 100 टन है. नगर निगम हर रोज शहर से डोर टू डोर कूड़ा एकत्रित कर गाड़ियों के जरिए कूड़ा यहां पहुंचाता है. एक विदेशी कंपनी को यह संयंत्र लीज पर दिया गया है जो हर रोज 2.5 मेगावाट बिजली पैदा करेगी जिसे 7.90 रुपए प्रति यूनिट की दर से विद्युत बोर्ड खरीदेगा.

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शिमला: राजधानी में हर रोज 70 टन कूड़ा निकलता है और कूड़े की डंपिंग के लिए शहर से 15 किलोमीटर दूर भरयाल में कूड़ा संयंत्र बनाया गया है जिसकी क्षमता 100 टन है.

नगर निगम हर रोज शहर से डोर टू डोर कूड़ा एकत्रित कर गाड़ियों के द्वारा कूड़ा संयंत्र तक पहुंचता है. शहर ही नहीं बल्कि ठियोग ओर आसपास की पंचायतों से भी कूड़ा यहां डंप किया जाता है. पहले नगर निगम इस कूड़े को चंडीगड़ भेजता था लेकिन अब इस कूड़े से आरएफडी तैयार कर सीमेंट कंपनियों को भेजा जा रहा है. वहीं कूड़े से बिजली भी तैयार की जा रही है. बिजली बनाने के लिए तीन सालों से ट्रायल किया जा रहा है और 6 महीने के भीतर यहां पर नियमित रूप से बिजली तैयार की जा रही है. विदेशी कंपनी एलीफेंट एनर्जी को नगर निगम ने भरयाल प्लांट को 20 साल की लीज पर दिया है.

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रोज 34 वार्डों से एकत्रित होता है कूड़ा

नगर निगम के आयुक्त आशीष कोहली ने बताया कि शिमला शहर को स्वच्छ रखने के लिए नगर निगम प्रयासरत है. शहर के 34 वार्डों से हर रोज कूड़ा एकत्रित किया जाता है और पिकअप द्वारा भरयाल में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाता है. कूड़े से बिजली पैदा करने के साथ ही आरएफडी तैयार किया जाता है जो सीमेंट कंपनियों को दिया जा रहा है.

कूड़े से बनी बिजली को खरीदेगा विद्युत बोर्ड

नगर निगम के चिकित्सा अधिकारी चेतन चौहान का कहना है कि शिमला शहर के कूड़ा निष्पादन के लिए बरयाल में कूड़ा सयंत्र बनाया गया है जो 2.4 एकड़ में फैला हुआ है. यह पूरा संयंत्र आगामी 50 वर्षों को देखते हुए बनाया गया है. कूड़ा संयंत्र में नियमित बिजली उत्पादन होता है तो कचरे की बदबू से लोगों को निजात मिलेगी और कचरा भी एकत्रित भी नहीं होगा. बता दें कि कंपनी हर रोज 2.5 मेगावाट बिजली पैदा करेगी जिसे 7.90 रुपए प्रति यूनिट की दर से विद्युत बोर्ड खरीदेगा.

ये भी पढ़ें: मां की सीख ने बनाया आत्मनिर्भर, आसमान से मां दे रहीं आशीष- HAS शिखा

शिमला: राजधानी में हर रोज 70 टन कूड़ा निकलता है और कूड़े की डंपिंग के लिए शहर से 15 किलोमीटर दूर भरयाल में कूड़ा संयंत्र बनाया गया है जिसकी क्षमता 100 टन है.

नगर निगम हर रोज शहर से डोर टू डोर कूड़ा एकत्रित कर गाड़ियों के द्वारा कूड़ा संयंत्र तक पहुंचता है. शहर ही नहीं बल्कि ठियोग ओर आसपास की पंचायतों से भी कूड़ा यहां डंप किया जाता है. पहले नगर निगम इस कूड़े को चंडीगड़ भेजता था लेकिन अब इस कूड़े से आरएफडी तैयार कर सीमेंट कंपनियों को भेजा जा रहा है. वहीं कूड़े से बिजली भी तैयार की जा रही है. बिजली बनाने के लिए तीन सालों से ट्रायल किया जा रहा है और 6 महीने के भीतर यहां पर नियमित रूप से बिजली तैयार की जा रही है. विदेशी कंपनी एलीफेंट एनर्जी को नगर निगम ने भरयाल प्लांट को 20 साल की लीज पर दिया है.

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रोज 34 वार्डों से एकत्रित होता है कूड़ा

नगर निगम के आयुक्त आशीष कोहली ने बताया कि शिमला शहर को स्वच्छ रखने के लिए नगर निगम प्रयासरत है. शहर के 34 वार्डों से हर रोज कूड़ा एकत्रित किया जाता है और पिकअप द्वारा भरयाल में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाता है. कूड़े से बिजली पैदा करने के साथ ही आरएफडी तैयार किया जाता है जो सीमेंट कंपनियों को दिया जा रहा है.

कूड़े से बनी बिजली को खरीदेगा विद्युत बोर्ड

नगर निगम के चिकित्सा अधिकारी चेतन चौहान का कहना है कि शिमला शहर के कूड़ा निष्पादन के लिए बरयाल में कूड़ा सयंत्र बनाया गया है जो 2.4 एकड़ में फैला हुआ है. यह पूरा संयंत्र आगामी 50 वर्षों को देखते हुए बनाया गया है. कूड़ा संयंत्र में नियमित बिजली उत्पादन होता है तो कचरे की बदबू से लोगों को निजात मिलेगी और कचरा भी एकत्रित भी नहीं होगा. बता दें कि कंपनी हर रोज 2.5 मेगावाट बिजली पैदा करेगी जिसे 7.90 रुपए प्रति यूनिट की दर से विद्युत बोर्ड खरीदेगा.

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