शिमला: हिमाचल प्रदेश के दो निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के दस्तावेजों की जांच के बाद उन्हें पद के लिए अयोग्य पाया गया है. हिमाचल प्रदेश निजी शैक्षणिक संस्थान नियामक आयोग (एचपीपीईआरसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. वर्तमान में राज्य में 17 निजी विश्वविद्यालय हैं.
आयोग को कुलपतियों और प्राचार्यों समेत निजी संस्थानों में अपात्र फैकल्टी की नियुक्ति की शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद नियमों का पालन नहीं करने वाले संस्थानों पर शिक्षा नियामक ने शिकंजा कसा था. एचपीपीईआरसी के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अतुल कौशिक ने बताया अर्नी विश्वविद्यालय, शूलिनी विश्वविद्यालय, आईईसी विश्वविद्यालय, बहारा विश्वविद्यालय और एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपतियों के दस्तावेजों की यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार पात्रता मानदंड के सत्यापन के लिए जांच की गई.
यूजीसी के नियमों के मुताबिक वीसी पद के लिए प्रोफेसर के तौर पर दस साल का अनुभव अनिवार्य है. कुलपतियों के बायोडाटा, शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और अन्य दस्तावेजों की जांच करने के लिए एक समिति गठित की गई थी. चयन के लिए विज्ञापन के विवरण और साक्षात्कार के लिए उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों की संख्या, अधिकारियों की भर्ती के लिए अपनाई जाने वाली चयन प्रक्रिया पर भी ध्यान दिया गया था.
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कौशिक ने कहा कि अपात्र कुलपतियों को हटाने की प्रक्रिया नवंबर 2020 में शुरू की गई थी और अब तक करीब 16 कुलपतियों को अपात्र पाया गया है. क्योंकि कुछ नए कुलपतियों ने भी निर्धारित मानदंड पूरे नहीं किए थे. उन्होंने कहा शीर्ष पदों पर अयोग्य लोगों की नियुक्ति गंभीर चिंता का विषय है.
कौशिक ने पहले कहा था हम किसी भी निजी संस्थान के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन शिक्षा में कदाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. क्योंकि इससे राज्य का नाम खराब होता है. सभी नए कुलपतियों की पात्रता भी सत्यापित की जाएगी.
(सौजन्य: पीटीआई)