शिमला: जिला शिमला में नशे का काला कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है. आए दिन जिले में नशे के मामले सामने आ रहे हैं. वहीं, जिला पुलिस भी नशाखोरी पर लगाम कसने में लगी है. पुलिस द्वारा जारी किए गए 2022 के आंकड़े की ओर अगर ध्यान दिया जाए तो 236 मामले एनडीपीएस एक्ट के दर्ज हुए हैं. जिसमें चरस 22 किलोग्राम, अफीम 26 किलोग्राम, भुक्की 330 ग्राम, चिट्टा 3.840 ग्राम व टेबलेट 1396 ग्राम पकड़ी जा चुकी है. (drug cases in shimla district in 2022)
नशे के इन मामलों में सबसे ज्यादा युवा ही शामिल हैं. चिट्टे के मामले भी जिले में काफी बढ़े हैं. इसके अलावा अफीम, गांजा, चरस का सेवन भी युवा काफी मात्रा में कर रहे हैं. आज का युवा पढ़ा लिखा होने के बावजूद भी नशे के दलदल में धंसता जा रहा है. एएसपी रमेश ने बताया कि नशीले पदार्थों को पकड़ने के लिए पुलिस समय-समय पर विशेष अभियान भी चलाती है. पुलिस ने कई तस्करों का पर्दाफाश किया है. पुलिस द्वारा यही कोशिश की जा रही है कि जल्द ही जिले को नशामुक्त बनाया जाए. नशा मुक्त करने के लिए लोगों द्वारा पुलिस को सहयोग करने की आवश्यकता है. तस्करों को पकड़ने के लिए पुलिस कड़े कदम उठा रही है.
सरकार भी प्रदेश को नशा मुक्त करने के लिए काफी प्रयास कर रही है, लेकिन नशीले पदार्थों का कारोबार खतरा बन चुका है. गौर रहे कि नशा बेचने वाले और नशे के कारोबारियों को पकड़ने के लिए शिमला पुलिस ने अहम भूमिका निभाई है. कुछ समय पहले पुलिस ने चिट्टा के एक बड़े तस्कर को दिल्ली से पकड़ा था जो की विदेश का रहने वाला था. वहीं, पुलिस द्वारा जिला शिमला में थाना व चौकी स्तर पर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. वहीं, तस्करों को पकड़ने के लिए मुहिम भी चलाई जाती है.
आज का युवा चिट्टा, चरस व अफीम तक सीमित नहीं है, बल्कि गुटखा, सिगरेट, फ्लूड, बूट पॉलिश सूंघकर भी युवा नशे कर रहे हैं. विडंबना यह है कि नशे और नशीले पदार्थो को रोकने के लिए कानून तो बना दिए गए, लेकिन उन पर कोई ठोस अमल नहीं किया गया है. सार्वजनिक स्थलों सहित होटल, रेस्तरां क्लब और धार्मिक स्थल स्कूलों के समीप नशे का सामान खुलेआम बेचा रहा है.
ऐसा नहीं है कि आज का युवा नशे के कुप्रभावों से अवगत नहीं है. सभी जानते हैं कि नशा इंसान को मौत के मुंह में ले जा रहा है. बावजूद इसके आज का युवा नशा करना एक फैशन समझता है और अपनी शान समझता है. जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. खैर अगर नशे जैसी बुराई को समाज से दूर फैंकना है तो पहल अपने परिवार से करनी होगी. और सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान को मात्र एक मुहिम न समझकर उस पर अमल करना होगा.
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