शिमला: हिमाचल प्रदेश में डॉक्टरों के साथ किए अपने वादे से सुक्खू सरकार पलट गई है. बताया जा रहा है कि नए भर्ती हुए डॉक्टरों के जॉब फॉर्मेट से एनपीए हटा दिया गया है. प्रदेश में डॉक्टरों ने मेडिकल ऑफिसर के पदों पर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती के बाद उन्हें बिना एनपीए का स्केल देने पर नाराजगी जाहिर की है. डॉक्टरों में अब सुक्खू सरकार को लेकर गहरा रोष है.
डॉक्टरों में सुक्खू सरकार के लिए रोष: हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ के महासचिव डॉ. विकास ठाकुर ने बताया कि इस मामले को पहले भी प्रदेश सरकार के सामने उठाया गया था, लेकिन अब फिर से वही हालात पैदा हो गए हैं. पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर से आश्वासन दिया गया गया था कि डॉक्टरों को एनपीए दिया जाएगा. अब डॉक्टरों के साथ इस तरह का अन्याय किया जा रहा है. डॉक्टरों को 33,500 का स्केल दिया जा रहा है. हालांकि पहले मेडिकल ऑफिसर को 40 हजार का स्केल दिया जाता था. उन्होंने कहा कि इस तरह की तैनाती देकर प्रदेश सरकार डॉक्टरों के साथ भेदभाव कर रही है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर सरकार का रवैया उनकी ओर ऐसा रहा तो उन्हें आंदोलन का रुख करना पड़ेगा.
डॉक्टरों की जॉब फॉर्मेट से NPA हटाया: हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ की बैठक डॉ. राजेश राणा की अध्यक्षता में हुई. बैठक में डॉक्टरों के प्रति हो रहे अन्याय को बेहद दुखद बताया गया. हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ के महासचिव डॉ. विकास ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश चिकित्सक संघ की संयुक्त संघर्ष समिति ने डॉक्टरों के एनपीए को रोकने के विरोध में पेन डाउन स्ट्राइक की थी. तब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आश्वासन दिया था की एनपीए को भविष्य में डॉक्टरों की नियुक्ति के समय फिर से लागू कर दिया जाएगा, लेकिन हाल ही में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति में उनके वेतन से एनपीए को हटा दिया गया है.
डॉक्टरों का वेतन घटाया: जानकारी के अनुसार 3 अगस्त 2023 को जारी की गई नोटिफिकेशन नंबर 44059-22461/2023 के तहत स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का वेतन 27 जुलाई 2022 की नोटिफिकेशन नंबर 41799-20892/2022 के तहत 40,392 रुपए से घटाकर 33,660 रुपए कर दिया है. डॉ. विकास ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री के वचनों का अफसरशाही द्वारा आदर नहीं करना चिंताजनक है. प्रदेश में पहले ही स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का अभाव है. ऐसे में इतने कम वेतन पर काम करने की जगह स्पेशलिस्ट डॉक्टर बाहरी राज्यों में जा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर प्रदेश की जनता को स्पेशलिस्ट फैसिलिटी नहीं मिलेंगी.
'अफसरशाही नहीं मानती सीएम की बात': हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ की 3 जून 2023 को सीएम सुक्खू से बात हुई थी. डॉ. विकास ठाकुर ने बताया कि 2 महीने बीत जाने के बाद भी धरातल पर किसी भी मांग को कार्यान्वित नहीं किया गया है. सीएम ने डॉक्टरों की मांगों गहनता से सुना था और उस समय कहा था की उनका वचन एक कानून है. मुख्यमंत्री ने प्रदेश की एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को पुनः वापस करने की बात कही थी. इसके बावजूद अफसरशाही ने यह कार्यभार एचएएस अधिकारी को सौंप दिया है.
'डॉक्टरों को किया जा रहा नजरअंदाज': डॉ. विकास ठाकुर ने कहा कि एड्स रोकथाम एक संवेदनशील विषय है जिसकी पूरी जानकारी डॉक्टरों को होती है. इस तरह से किसी अन्य विभाग के अधिकारी को कार्यभार सौंपना और स्वास्थ्य निदेशक को नजरअंदाज करना सही नहीं है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में स्थाई स्वास्थ्य निदेशक की नियुक्ति नहीं हो पाई है. साथ ही विभाग में उपनिदेशक संयुक्त निदेशक एवं खंड चिकित्सा अधिकारियों की प्रमोशन अब तक नहीं हो पाई है.
डॉक्टरों को नहीं मिल रहा प्रमोशन: डॉ. विकास ठाकुर ने कहा कि सालों से स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों की सीनियरिटी लिस्ट बनाने में नाकामयाब रहा है. हाईकोर्ट के निर्देशानुसार डॉक्टरों की सीनियरिटी उनके डेट ऑफ जॉइनिंग से बनाई जाए. डॉक्टर अधिकारियों की 25 से 30 साल बीत जाने के बाद खंड चिकित्सा अधिकारी के रूप में पदोन्नति होती है, लेकिन मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद भी कोई चिकित्सा अधिकारी खंड चिकित्सा अधिकारी नहीं बन पाया है. डॉक्टरों को 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत दिया जाता था उसे भी छीन लिया गया है, इससे डॉक्टरों के मनोबल को भारी ठेस पहुंची है. इसलिए इसे फिर से शुरू किया जाना चाहिए.
डॉक्टर नहीं हो रहे अपॉइंट: डॉ. विकास ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भर में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से हर साल सैकड़ों डॉक्टर पास आउट हो रहे हैं, लेकिन उन्हें रोजगार न दे पाना, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है. साल भर से स्वास्थ्य विभाग एक भी डॉक्टर को रोजगार देने में असमर्थ रहा है. इसका दुष्परिणाम प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है. प्रदेश भर के सैकड़ों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर ना होने के कारण प्रदेश की जनता को बेहतरीन हेल्थ केयर से वंचित रहना पड़ रहा है. पहले डॉक्टरों की कमी के कारण हिमाचल के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा से वंचित रहना पड़ता था, लेकिन अब पर्याप्त डॉक्टर होने के बाद भी उन्हें रोजगार नहीं मिलने के कारण उनकी सेवाओं से प्रदेश की जनता को वंचित रहना पड़ रहा है.
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